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साइबर अपराधियो के सडयंत्रो से सावधान रहें

साइबर अपराधियो के सडयंत्रो से सावधान रहें

कृष्ण कुमार उपाध्याय मानपुर उमरिया

भाजपा मानपुर विधानसभा के सोशल मीडिया प्रभारी नितिन मिश्रा ने सायबर अपराधियो से सजग रहने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अक्सर आप लोगों को समाचार पत्रों या सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसी खबरें देखने पढ़ने को मिलती होगी कि साइबर अपराधियों ने किसी को डिजिटल अरेस्ट करके लाखों करोड़ों लूट लिए। अब ऐसे में कई लोगों के दिमाग में यह सवाल आता है कि गिरफ्तारी तो सुनी थी जो पुलिस करती थी लेकिन ये डिजिटल अरेस्ट क्या है जिसमें लोग अपने पैसे गंवा बैठते हैं। डिजिटल अरेस्ट में साइबर ठग द्वारा किसी ब्यक्ति को फोन कर बताया जाता है कि उनके नाम या उनके परिजनों रिस्तेदारो के नाम कोई शिकायत दर्ज हुई है। दर्ज शिकायत को लेकर पहले काफी डराया जाता है, ऐसा माहौल बनाया जाता है जिससे ब्यक्ति उस साइबर ठग पर विश्वास कर लेता है और घबरा जाता है। इसके बाद उन्हें घर से बाहर निकलने से मना कर दिया जाता है। डराने के बाद प्रकरण निपटाने हेतु समा बनाया जाता है।फोन कॉल करके मदद देने का आश्वासन दिया जाता है। मदद मानकर पीड़ित ठगों की कही हुई हर बात को फालो करता है। ठग पीड़ित को एक एप डाउनलोड करने को कहते हैं। लगातार उस एप के जरिये ठग ब्यक्ति से जुड़े रहते हैं। फिर कुछ देर बाद वह केस को रफा-दफा करने के लिए पीड़ित से कुछ पैसे मांगते हैं

साइबर अपराधी जिसे फोन करते है उसको इतना डरा देते है कि वह अपने स्वजन और करीबियों से भी इस तरह की बातें बताने में घबराने लगता है। ब्यक्ति को ऐसा प्रतीत होने लगता है जैसे वह बास्तविक अपराधी है। जबकि ऐसा कुछ होता नही है। पुलिस अधिकारी बनकर वो जालसाज बात करते है। वो वीडियो कॉल करते है तो पुलिस की वर्दी में रहते है। जिसे कॉल करते है उसे व्हाट्सएप पर पुलिस कार्यवाही का फर्जी लेटर भी भेज देते है। जिससे ब्यक्ति अत्यधिक डर जाता है वा उनकी सभी बातों पर विश्वाश करता हुआ ठगी का शीकार हो जाता है

 

अगर कोई आपको पुलिस या सीबीआइ अधिकारी बनकर डिजिटल तौर पर गिरफ्तार करने की धमकी देता है, तो सबसे पहले आप उपरोक्त व्यक्ति के साथ अपनी कोई भी व्यक्तिगत जानकारी जैसे आधार नंबर पैन कार्ड, अपने परिवारजनों एवं मित्रों का फोन नंबर, अपना बैंक अकाउंट, एटीएम या क्रेडिट कार्ड नंबर व पिन एवं कोई भी OTP शेयर न करें। साथ ही अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को इसके बारे में सूचित करना चाहिए। साथ ही तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर इसकी शिकायत करनी चाहिए, इस बात से नहीं डरना चाहिए कि पुलिस आपके खिलाफ कोई एक्शन लेगी। क्यों कि पुलिस के रूप में वो जालसाज होते है। पुलिस का कोई भी अधिकारी किसी भी विषय की पूछताछ वीडियो कॉल/वॉइस कॉल पर नही करते जांच हेतु वो स्वयं आरोपी या पीड़ित के घर आते है या थाने बुलाते है तब जाकर कथन बयान होता है। मित्रों आपकी जागरूकता ही आपको साइबर अपराधियो का शीकार होने से बचाएगी

मित्रों आपको भी अगर इस तरह के फोन कॉल या व्हाट्सएप मैसेज आये तो आप बिलकुल भी न डरे। इस तरह के किसी भी फोन कॉल या मैसेज पर प्रतिक्रिया न दे। इसकी सूचना आप 100 डायल कर भी पुलिस को दे सकते है। साथ ही सोशल मीडिया की किसी अपरिचित लिंक जिसमे फ्री रिचार्ज या लालच भरे ऑफर दिए गए हो कदापि उसे ओपन न करें। अन्यथा आप ठगी का शीकार हो सकते है

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