सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण की कार्यवाही,प्रशासन की दोहरी नीति और दिखावे की कार्रवाई उजागर, 144/1 पर पार्क क्यों नहीं?
बरगवां अमलाई। दो साल बीत गए, लेकिन सरकारी भूमि पर अतिक्रमण जस का तस बना हुआ है। प्रशासन की ओर से महज दिखावे की कार्रवाई कर दीवार के कुछ हिस्से को तोड़ दिया गया, लेकिन पूरी जमीन का सीमांकन और अतिक्रमण हटाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। आखिर क्या वजह है कि बड़े अफसरों की नाक के नीचे सरकारी जमीन पर कब्जा बना हुआ है? क्या अतिक्रमी को प्रशासनिक संरक्षण मिला हुआ है या फिर सिस्टम ही लाचार हो चुका है? बरगवां नगर परिषद के वार्ड क्रमांक एक की मेला भूमि (खसरा क्रमांक 144/1) का मामला सरकारी तंत्र की नाकामी का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है। ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों ने लगातार शिकायतें कीं, अखबारों में खबरें छपीं, लेकिन प्रशासन केवल कागजों पर कार्रवाई करने में व्यस्त रहा।
सितंबर 2023 में अतिक्रमण हटाने का आदेश पारित हुआ, लेकिन जून 2024 में की गई कार्रवाई महज दिखावे की निकली। गेट निकालकर और दीवार के कुछ हिस्से तोड़कर प्रशासन ने पल्ला झाड़ लिया। वास्तविकता यह है कि महज 3-4 डिसमिल भूमि को ही कब्जे से मुक्त किया गया, जबकि 2.24 एकड़ की पूरी सरकारी जमीन अब भी अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है।सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब बात खसरा क्रमांक 133/1 की आई, तो प्रशासन ने तुरंत सीमांकन कर वहां पार्क निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी जो कि निस्तार की भूमि है। जबकि इस जगह पर पहले से ही एक विशाल पार्क मौजूद था और इसे राम जानकी मंदिर के निर्माण के लिए संकल्पित किया गया था। आखिर क्यों एक ओर सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त नहीं किया जा रहा, और दूसरी ओर निस्तार की जमीन पर जबरदस्ती पार्क बनाया जा रहा है?
स्थानीय नागरिकों और किसानों की एक ही मांग है अगर पार्क ही बनाना है तो खसरा क्रमांक 144/1 पर अतिक्रमण हटाकर वहां पार्क बनाया जाए। इससे क्षेत्र की मवेशियों जल स्रोत तक जाने ओर किसानों को अपने खेतों तक पहुंचने का रास्ता मिलेगा साथ ही सरकारी जमीन का सही उपयोग हो सकेगा। रहवासियों का यह भी सवाल है कि जब 133/1 पर तेजी से सीमांकन किया जा सकता है, तो फिर 144/1 के मामले में प्रशासन की चुप्पी क्यों?क्या प्रशासन केवल रसूखदारों के पक्ष में काम करेगा? क्या सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने वालों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई होगी या सिर्फ दिखावे की कार्रवाई जारी रहेगी?