पत्नी को जलाकर मार डालने वाले पति को आजीवन कारावास की सजा
बहुचर्चित हत्याकांड में कोतमा अपर सत्र न्यायालय का फैसला
कोतमा अपनी पत्नी को ही डीजल डालकर माचिस से जला देने वाले हत्यारे पति मणिशंकर दुबे 54 वर्ष निवासी राम मंदिर के सामने रामनगर को धारा 302 आईपीसी में दोषसिद्ध पाए जाने पर कोतमा के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश जय सिंह सरोते की न्यायालय ने 28 फरवरी शुक्रवार को आजीवन कारावास की सजा के साथ 5 हजार जुर्माने से दंडित किया। घटना थाना रामनगर क्षेत्र की है। मामले में अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक राजगौरव तिवारी द्वार पैरवी की गई।
घटना के बारे में बताया जाता है कि सरस्वती दुबे ने पति मणिशंकर की आए दिन प्रताड़ना से तंग आकर थाने में घरेलू हिंसा व दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया था जिसे पति द्वारा वापस लेने का दबाव डाला जाता रहा एवं हमेशा मार डालने की धमकी भी दी जाती रही है।
1 सितंबर 2019 को रामनगर थाना अंतर्गत राम मंदिर के सामने घर में मणिशंकर दुबे ने अपनी पत्नी सरस्वती दुबे के साथ विवाद के दौरान डीजल डालकर माचिस से जला दिया गया। घायल महिला को स्थानीय लोगों के द्वारा नजदीक के मनेंद्रगढ़ (सीजी) अस्पताल में भर्ती कराया गया। मामले में रामनगर पुलिस ने आरोपी पति के खिलाफ हत्या के प्रयास की धारा 307 दर्ज करते हुए घटना में उपयोग गैलन, माचिस की तीली सहित अधजले कपड़े को जप्त किया गया।
मनेंद्रगढ़ में मृतिका ने मृत्यु पूर्व तहसीलदार के समक्ष दिए कथन में पति के द्वारा डीजल डालकर जलाकर मार डालने की बात कही।
गंभीर हालत होने पर मनेंद्रगढ़ से शहडोल फिर भिलाई में उपचार के लिए ले जाया गया। उपचार के दौरान 12 सितंबर को महिला की मौत हो गई। मौत होने पर आरोपी पति के खिलाफ हत्या की धारा 302 दर्ज की गई। थाना रामनगर में अपराध कायम कर आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया गया था।
मामले में प्रकरण की सुनवाई हेतु डायरी न्यायालय पेश की गई । न्यायालय में मृतक के परिजनों,संबंधित साक्षियों,पुलिस विवेचक व डॉक्टर के द्वारा दिए गए कथन एवं साक्ष्यों के आधार पर आरोपी मणिशंकर दुबे को हत्या में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास के साथ साथ ही 5 हजार जुर्माना से दंडित किया गया।
अभियोजन की तरफ से पैरवी करते हुए विशेष लोक अभियोजक राज गौरव तिवारी द्वारा 20 गवाहों के कथन कराने के साथ 42 दस्तावेजों को सिद्ध किया और विवेचना में जप्त किए गए मृतिका के कपड़े, डीजल के गैलन, माचिस सहित 5 अति आवश्यक साक्ष्यों को पेश किया। मृत्यु कालिक कथन सिद्ध किए जाने की सभी आवश्यक शर्तों को सिद्ध कर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्याय दृष्टांत पेश कर अभियोजन कथा को न्यायालय के समक्ष संदेह से परे सिद्ध किया जिससे संतुष्ट होकर अपर सत्र यायालय द्वारा उक्त दंड से दंडित किया गया।आरोपी घटना के बाद 1 साल 4 माह 25 दिन तक पूर्व में भी जेल में रहा।