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क्या अनूपपुर पुलिस कप्तान दिलाएंगे न्याय या रसूख के आगे झुकेंगे?

क्या अनूपपुर पुलिस कप्तान दिलाएंगे न्याय या रसूख के आगे झुकेंगे?

अनूपपुर। जिले का जैतहरी थाना इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। एक तरफ कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार अधिकारी एस.पी. शुक्ला को बिना किसी ठोस कारण के हटाया गया, तो दूसरी ओर विवादित शिक्षक गीतराम केवट पर कार्रवाई करने में पुलिस असहाय नजर आ रही है सूत्रों के अनुसार, जैतहरी थाना अब ऐसे रसूखदारों के लिए अभयदान बन चुका है, जिनके लिए कानून सिर्फ एक मज़ाक बनकर रह गया है। शिक्षक होते हुए भी ‘दबंगई’ क्यों ग्राम चोलना में पदस्थ जनशिक्षक गीतराम केवट का नाम पहले भी कई विवादों में आ चुका है। नियमों को ताक पर रखकर वह छात्रावास अधीक्षक बना बैठा है, जो कि पूरी तरह से नियम विरुद्ध है।गाँव में उसका दबदबा इतना ज्यादा है कि लोग उसके खिलाफ बोलने से डरते हैं।
“मैं पैसे के दम पर कुछ भी कर सकता हूँ। थाने को अपनी जेब में रखता हूँ, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।” ऐसा कहना होता है उक्त शिक्षक का सूत्रों के अनुसार, 29 जनवरी 2025 की रात शिक्षक गीतराम केवट शराब के नशे में धुत होकर अपने बच्चों के साथ मोहन केवट के घर में घुस आया। वहाँ उसने गाली-गलौज की, मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी।लेकिन अगले ही दिन मोहन केवट पर आरोप लगा दिया कि उसने अपने वाहन से गीतराम को टक्कर मारी और फिर मारपीट कर फरार हो गया।
**अनसुलझे खड़े हो रहे सवाल**
अगर गीतराम को इतनी गंभीर चोट लगी थी तो उसने तुरंत 100 डायल पर फोन क्यों नहीं किया,अगर कोई दुर्घटना हुई थी, तो पुलिस ने वाहन का नंबर दर्ज कर मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्यवाही क्यों नहीं की गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद गीतराम तुरंत अनूपपुर अस्पताल जाने के बजाय चोलना के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मामूली चोट का इलाज कराने क्यों पहुँचा क्या यह पहले से रची गई साजिश थी, जिसमें मोहन केवट को फँसाने की योजना बनाई गई थी यहाँ पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में क्यों बताई जा रही है शिक्षक का कृत्य करके हमारे अख़बार ने पहले भी प्रकाशित किया था , जिसमें यह साफ़ था कि शिक्षक गीतराम ने शराब के नशे में मोहन केवट के घर में घुसकर मारपीट की थी।
लेकिन बाद में पुलिस ने मोहन केवट पर ही झूठा आरोप मढ़ दिया कि उसने अपने वाहन से टक्कर मारी और मारपीट की। सूत्रों के अनुसार
पारिवारिक रंजिश के कारण और जमीन विवाद के कारण यह साजिश रची गई थी मोहन केवट के पास कोई वाहन ही नहीं है, तो वह किसी को टक्कर कैसे मार सकता है अगर सच में कोई वाहन से दुर्घटना हुई थी, तो दोनों पक्षों के वाहन नंबर दर्ज क्यों नहीं किए गए शिक्षक गीत राम केवट को जब इतनी चोट लगी थी, तो उसने उसी समय पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी थाने जाने या मेडिकल कराने की बजाय वह पहले मोहन के घर क्यों गया
शिक्षक के जख्मों का सच क्या है
घटना की रात रात 11 बजे जब शिक्षक गीतराम केवट चोलना के अस्पताल पहुँचा, तो उसकी मेडिकल रिपोर्ट में कोई गंभीर चोट दर्ज नहीं थी। रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ अंगूठे में हल्की सूजन थी। जबड़े पर मामूली खरोंच थी।अगले दिन अचानक मारपीट के गहरे निशान दिखने लगे। सवाल यह है कि क्या ये चोटें रातों-रात बढ़ गईं या फिर ये निशान किसी और वजह से आए
**ईमानदार अफसर पर कार्रवाई, लेकिन रसूखदार को छूट*
एस.पी. शुक्ला, जो अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाने जाते थे, उन्हें बिना ठोस कारण के हटा दिया गया। वहीं, एक शिक्षक जो अपने पद का गलत इस्तेमाल कर रहा है, नियमों को तोड़ रहा है और गरीबों को फँसाने की साजिश रच रहा है, उसे बचाने के लिए पुलिस कोई कसर नहीं छोड़ रही।
**क्या अनूपपुर कप्तान लेंगे कड़ा फैसला*
अब यह मामला अनूपपुर के पुलिस कप्तान तक पहुँच चुका है। क्या अनूपपुर कप्तान इस मामले की निष्पक्ष जाँच करवाएंगे क्या गरीब को न्याय मिलेगा या फिर रसूखदार फिर बच निकलेंगे गरीब के लिए न्याय इतना मुश्किल क्यों हो रहा इस पूरे घटनाक्रम से साफ़ होता है कि पैसे और रसूख के दम पर पुलिस किसी भी निर्दोष को फँसा सकती है।

**क्या गरीब व्यक्ति को कोल्हू का बैल बनाकर पीसने की परंपरा जारी रहेगी*
अब यह मामला प्रदेश की राजधानी तक पहुँच चुका है। जल्द ही निष्पक्ष जाँच के आदेश आने की उम्मीद है और यदि प्रशासन सही तरीके से कार्यवाही करता है तो सच्चे दोषी के खिलाफ कार्रवाई होगी और पीड़ित को न्याय मिलेगा।
अब देखना यह है कि पुलिस महकमा अपनी निष्पक्षता साबित कर पाएगा या फिर पैसे की ताकत के आगे घुटने टेक देगा?

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