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यूजीसी तथा शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के करोड़ों की ग्रांट को लूट रही है जनजाति विश्वविद्यालय

यूजीसी तथा शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के करोड़ों की ग्रांट को लूट रही है जनजाति विश्वविद्यालय

अनूपपुर। राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार, घोटाला, कमीशनखोरी को लेकर लगातार चर्चा में रहता है। हाल ही में गवर्नमेंट इलेक्ट्रॉनिक मार्केट जेम-पोर्टल के माध्यम से विवि की सेंट्रल पर्चेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पदाधिकारी द्वारा छात्रों के लिए खरीदी जाने वाली लैपटॉप एवं अन्य आईसीटी उपकरणों में भी घोटाला कमीशनखोरी करने पर आमदा हो गए हैं, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण विवि द्वारा जारी किया गया बीओक्यू टेंडर है जिसे जेम-पोर्टल पर खरीदारी हेतु जनवरी 2025 अपलोड किया गया है विवि के अधिकारी द्वारा सप्लायर से 30 -40% कमीशन हेतु इधर-उधर संपर्क करके बातचीत की जा रही हैं। इस सन्दर्भ में पत्रकार चैतन्य मिश्रा ने छात्रहीत में संज्ञान लेते हुए शिक्षा मंत्रालय, युजीसी के अधिकारीयों, जेम के सीईओ एल सत्य श्रीनिवास, जेम निदेशक मंडल सुनील बर्थवाल, सचिव, वाणिज्य विभाग, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय तथा अध्यक्ष एवं नामित निदेशक, सरन्यान कृष्णन, सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय तथा नामित निदेशक, संजय प्रसाद, अतिरिक्त सचिव, व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय तथा नामित निदेशक, विदित आत्रे, स्वतंत्र निदेशक, संजीव बिखचंदानी, स्वतंत्र निदेशक सहीत अन्य अधिकारीयों को ईमेल करके ज्ञापन सौपकर विवि के अधिकारीयों पर सख्त कार्यवाही करने की मांग की है, इस मामले में दोषियों पर एफआईआर दर्ज करवाने की माँग की गई है।
*लेपटॉप खरीदने जारी किया बीओक्यू ही अपराध और फिक्सिंग का साक्ष्य है*
चैतन्य मिश्रा ने बताया की लेपटॉप खरीदने के लिए बीओक्यू टेंडर जारी किया गया है जो की भ्रष्टाचार का अधिकृत प्रमाण है, गवर्नमेंट इलेक्ट्रॉनिक मार्केट से लैपटॉप जैसे आइटम की खरीदारी हेतु सीधे लैपटॉप के तकनीकी स्पेसिफिकेशन के सिलेक्शन के साथ किया जाता है, इस हेतु बीओक्यू टेंडर प्रकाशित नहीं किया जा सकता है क्योंकि लैपटॉप, कंप्यूटर यह सभी ब्रांडेड आइटम होते हैं तथा ब्रांडेड आइटम के ऑथराइज्ड डीलर ही इसकी सप्लाई कर सकते हैं ऐसे में बीओक्यू टेंडर जारी करने से कोई भी लोकल दुकानदार भी लैपटॉप सप्लाई कर देगा, विवि में पिछले कुछ वर्षों में इसी प्रकार लैपटॉप और कंप्यूटर की खरीददारी होते आ रही हैं।
*कपड़ा दुकानवाला विवि में लैपटॉप को भी सप्लाई करेगा*
चैतन्य मिश्रा ने आगे बताया की बीओक्यू टेंडर देखने से ही शक पैदा हो रहा है क्योंकि इसमें खरीददारी किये जाने वाले आइटम लेपटॉप, चिपसेट, ग्रैफिक्स कार्ड, ऑडियो सहित किसी भी आइटम का एग्जैक्ट स्पेसिफिकेशन नहीं लिखा गया है। चूँकि चिपसेट ₹5000 से लेकर 5 लाख तक आती है, इसीप्रकार प्रोसेसर भी ₹5000 से लेकर 5 लाख रुपये तक आ सकती है, ग्रैफिक्स कार्ड की भी वेरिएशन 5000 से लेकर ढाई तीन लाख रुपए तक होती है। ऑडियो में स्पीकर खरीदना है या कोई ऑडियो डिवाइस लेना है यह भी नहीं लिखा गया है। जब खरीद किये वाले आइटम का कोई स्पेसिफिकेशन ही नहीं लिखा गया है तब सप्लायर बिलो ऑफ क्वांटिटी टेंडर किस रेट / प्राइस से जमा करेगा। रेट लिखने के लिए बीओक्यू में आइटम का तकनीकी स्पेसिफिकेशन ना होना ही यह साबित करता है की खरीदारी के लिए पहले से ही सप्लायर फिक्स कर लिया गया है, विवि में पहले से सप्लायर फिक्स हो जाता है, फिक्सिंग वाला सप्लायर एक लिंक जारी करता है, उसी के अनुसार बीओक्यू टेंडर को विवि के अधिकारी जारी करके ₹10 लाख के आइटम को 45 लाख में खरीदता जाता है।
*कमीशनखोरी और करोड़ो के घोटाला से छात्रों का हाल बेहाल हो गया है*
चैतन्य मिश्रा ने आगे बताया की शिक्षा मंत्रालय और गवर्नमेंट इलेक्ट्रॉनिक मार्केट भारत सरकार का मुखौटा लगाकर बड़े स्तर का भ्रष्टाचार किया जा रहा है जो की बेहद दुर्भाग्य जनक है। फर्नीचर, आलमीरा के लिए भी बड़े स्तर की डुप्लीकेसी तथा लो क्वालिटी की फर्नीचर खरीददारी की गई है, छात्रों के कमर में दर्द और कई प्रकार की समस्याओं का सामना इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि विश्वविद्यालय में खरीदी गई फर्नीचर उचित गुणवत्ता की नहीं है। कीमत 5 गुना और गुणवत्ता 10 गुना कम है। गोदरेज ब्रांड की खरीदी गई अलमीरा के दरवाजे नहीं खुलते हैं केवल गोदरेज का स्टिकर लगाकर डुप्लीकेट सामान विश्वविद्यालय में सप्लाई हो रहा है, जेम-पोर्टल के माध्यम से खरीददारी करके विश्वविद्यालय यह साबित कर रहा है कि हम नियमानुसार सब खरीद रहे हैं जबकि जेम को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया गया है, सेंट्रल परचेज कमेटी के अधिकारी सप्लायरों से बात कर रहे हैं कि आपको समान की गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखता है आप सामान नहीं देंगे तो भी चलेगा, पहले 40% का कमीशन पहुंचा दो और अपना पेमेंट ले लो। छात्रों के उपयोग के लिए आने वाले लैपटॉप और कंप्यूटर की खरीदारी में निम्न स्तर का उच्च शिक्षा को कलंकित कर रहा है।

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