कोतमा में लाख की खेती पर प्रशिक्षण, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी नई दिशा
प्रशिक्षण कार्यक्रम की इस श्रृंखला में अनूपपुर जिले के कोतमा विकासखंड के उरतान ग्राम में भी लाख की खेती पर एकदिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह आयोजन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (IGNTU), अमरकंटक के प्रभारी कुलपति प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी के मार्गदर्शन और सहयोग से संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले जागरूक किसानों ने क्रमशः गोडारू, केशवरी, दुल्हिबाँध और रेउसा इत्यादि गाँवो से उत्साहपूर्वक भाग लिया।
यह प्रशिक्षण एमपीसीएसटी द्वारा प्रायोजित परियोजना का हिस्सा था, जिसे जिला प्रशासन अनूपपुर, आईजीएनटीयू-केवीके अनूपपुर, स्थानीय गैर-सरकारी संगठन हार्ड तथा अन्य साझेदार संस्थाओं के सहयोग से सफलतापूर्वक संपन्न किया गया। प्रशिक्षण की शुरुआत आये हुए किसानों के स्वागत से किया गया।
प्रशिक्षण में परियोजना के प्रमुख अन्वेषक डॉ. संदीप कौशिक ने किसानों को लाख और शहद जैसे गैर-लकड़ी वन उत्पादों के माध्यम से वन संरक्षण व आयवृद्धि के महत्व से अवगत कराया। सह-प्रधान अन्वेषक डॉ. देश दीपक चौधरी ने सामुदायिक सहभागिता के महत्व को रेखांकित करते हुए लाख उत्पादन से मिलने वाले आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों पर प्रकाश डाला।
आईजीएनटीयू के शोधार्थी युवराज ने किसानों को लाख कीट की प्रजातियाँ, मेज़बान वृक्षों की पहचान, छंटाई, रोग प्रबंधन और कटाई तकनीकों की व्यावहारिक जानकारी दी। सक्षम और रजत ने किसानों का उत्साह बढ़ाया और उन्हें लाख की खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र, अनूपपुर के वैज्ञानिकों ने भी किसानों से संवाद कर तकनीकी सहयोग का आश्वासन दिया।
ग्राम स्तर पर आयोजन की व्यवस्था में देवनाथ सिंह ने विशेष योगदान दिया। कार्यक्रम के समापन पर किसानों ने अपने अनुभव साझा किए और प्रशिक्षण से मिली जानकारियों को उपयोगी बताया। समापन सत्र में डॉ. देश दीपक चौधरी ने पंचायत, प्रशासन, हार्ड और सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।


















