यह वक्तव्य आज एआईटीयूसी (AITUC) की महासचिव सुश्री अमरजीत कौर द्वारा जारी किया गया
एआईटीयूसी ने “श्रम शक्ति नीति 2025” नामक श्रम नीति मसौदा को खारिज किया
भारतीय श्रम सम्मेलन (ILC) को तत्काल बुलाने की मांग
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) ने 8 अक्तूबर 2025 को जारी की गई मसौदा श्रम नीति “श्रम शक्ति नीति 2025” को ठोस कारणों से पूरी तरह अस्वीकार किया है। यह नीति भाजपा सरकार द्वारा एकतरफा रूप से थोपे गए आदेश के रूप में जारी की गई है, जो स्थापित त्रिपक्षीय प्रक्रिया का खुला उल्लंघन है। यह अलोकतांत्रिक और चिंताजनक कदम मजदूरों और ट्रेड यूनियनों के लिए गहरा झटका और विश्वासघात है।
एआईटीयूसी ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (MOLE) से मांग की है कि वह इस मसौदे को तुरंत वापस ले और किसी भी सार्वजनिक विमर्श से पहले केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (CTUs) के साथ चर्चा शुरू करे।
श्रम नीति का अर्थ है — सरकार द्वारा कार्यस्थलों को नियमित करने और देश के रोजगार परिदृश्य को दिशा देने वाला एक समग्र ढांचा, जो श्रम अधिकारों और सुरक्षा की गारंटी देता है। भारत में ऐसी किसी भी नीति का मसौदा तैयार करने से पहले ट्रेड यूनियनों से विचार-विमर्श करना एक स्थापित और अनिवार्य परंपरा है। केवल इसी प्रक्रिया से नीति को वैधता और प्रभावशीलता मिलती है। ट्रेड यूनियनों से परामर्श कोई औपचारिकता नहीं बल्कि सशक्त श्रम नीति की आधारशिला है।
एआईटीयूसी ने मंत्रालय द्वारा इस संवाद प्रक्रिया को दरकिनार कर मसौदा नीति जारी करने के तानाशाहीपूर्ण तरीके की निंदा की है।
राष्ट्रीय श्रम नीति सरकार की कार्यबल रणनीति तय करती है। इसमें रोजगार सुरक्षा, नए रोजगार सृजन, सामाजिक सुरक्षा (जिसमें मातृत्व लाभ भी शामिल है), कार्य घंटे, सुरक्षा, कौशल विकास आदि को शामिल किया जाना चाहिए। लेकिन प्रस्तुत मसौदा नीति न तो इन मानकों पर खरी उतरती है और न ही इसका कोई विश्वासयोग्य आधार है। भाजपा की कॉर्पोरेट समर्थक और श्रमिक विरोधी नीतियों के परिप्रेक्ष्य में यह मसौदा केवल एक औपचारिक दस्तावेज प्रतीत होता है, जिसका उद्देश्य अपनी श्रमिक विरोधी नीतियों को वैधता देना है।
नीति के त्वरित अध्ययन से स्पष्ट है कि यह केवल उन श्रम संहिताओं (Labour Codes) को पूरक करने के लिए लाई गई है, जिनका केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा कड़ा विरोध किया जा चुका है। इसमें रोजगार सुरक्षा, रोजगार सृजन और न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत न्यूनतम वेतन के अनिवार्य प्रावधान जैसे मुद्दों पर कोई ठोस नीति नहीं है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और न्यायसंगत परिवर्तन (Just Transition) पर नीति के अभाव में तथा अधूरी व संदिग्ध आंकड़ा संरचना की पृष्ठभूमि में इस मसौदे में किए गए दावे केवल दिखावटी हैं।
एआईटीयूसी ने श्रम मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा के झूठे दावे को भी सख्ती से चुनौती दी है। कल्याण योजनाएँ सामाजिक सुरक्षा का स्थान नहीं ले सकतीं। प्रत्येक श्रमिक — चाहे वह असंगठित क्षेत्र, दिहाड़ी मजदूरी, गिग, अनुबंध, कृषि, घरेलू, या घर-आधारित कार्यकर्ता हो — सभी को न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा कानूनी अधिकार के रूप में दी जानी चाहिए, जिसकी निगरानी सख्त निरीक्षणों से हो। इस मानक से कम कोई भी नीति स्वीकार्य नहीं होगी।
एआईटीयूਸੀ पुनः “श्रम शक्ति नीति 2025” के मसौदे को अस्वीकार करती है और श्रम मंत्रालय से इसे तुरंत वापस लेने तथा केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ विचार-विमर्श शुरू करने की मांग करती है, जिसके लिए भारतीय श्रम सम्मेलन (ILC) को शीघ्र बुलाया जाए।
अमरजीत कौर
महासचिव, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC)


















