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थाने में दी थी धमकी की शिकायत, कार्रवाई नहीं हुई तो व्यवसायी ने एसपी को दी लिखित शिकायत हरिजन एक्ट में फंसाने की साजिश, महिला को मोहरा बनाकर चाल चलने की तैयारी थी

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थाने में दी थी धमकी की शिकायत, कार्रवाई नहीं हुई तो व्यवसायी ने एसपी को दी लिखित शिकायत

हरिजन एक्ट में फंसाने की साजिश, महिला को मोहरा बनाकर चाल चलने की तैयारी थी

कोतमा | प्रतिनिधि

कोतमा में कोयला व्यवसायी को झूठे केस में फंसाने की खौफनाक साजिश सामने आई है। पहले थाना रामनगर में धमकी की लिखित शिकायत दी गई, लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो पीड़ित ने मजबूर होकर आज 14 अप्रैल को जिला पुलिस अधीक्षक अनूपपुर को शिकायत सौंपी। अब सवाल ये है कि क्या पुलिस की चुप्पी ने साजिशकर्ताओं के हौसले बुलंद कर दिए?

 

सुनियोजित स्क्रिप्ट, पूरा षड्यंत्र – और पुलिस मौन!
व्यवसायी आशीष कुमार मिश्रा ने बताया कि आमाडंड ओसीएम में कोयला लोडिंग को लेकर रामराज रजक और प्रशांत द्विवेदी उर्फ सोनू से विवाद हुआ था। जब उनके कर्मचारी ने फोन पर यह जानकारी दी, तो रामराज ने फोन छीनकर उन्हें गालियां दीं और CBI, लोकायुक्त में फंसाने की धमकी भी दी। इसकी शिकायत मिश्रा ने तत्काल थाना भालूमाडा रामनगर में दर्ज कराई, मगर अब तक पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया

13 अप्रैल की शाम: महिला को सामने कर फंसाने की कोशिश

शिकायत में बताया गया है कि 13 अप्रैल की शाम, मिश्रा के कोतमा स्थित ऑफिस के बाहर रामराज और सोनू एक महिला और पुरुष के साथ खड़े थे वहां मिश्रा के कर्मचारियों वीर बहादुर और नारायण मिश्रा ने सुना कि आरोपी महिला से कह रहे थे

> “जैसे ही आशीष बाहर आए, तू उस पर लिपट जाना, चिल्लाना शुरू कर देना… हम लोग आएंगे, मारेंगे और सीधा SC/ST एक्ट में अंदर करवा देंगे

 

ये सुनकर कर्मचारियों ने तुरंत मिश्रा को बताया। आशंका के चलते मिश्रा ने ऑफिस से बाहर निकलने से बचना ही बेहतर समझा

पहले थाने ने सुनी नहीं, अब एसपी तक पहुँची बात
मिश्रा का कहना है कि उन्होंने पूरी घटना की लिखित सूचना थाना भालूमाडा रामनगर को दी थी, लेकिन थाना स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई उल्टा आरोपियों का हौसला बढ़ता गया और अब वे खुलेआम योजना बनाकर झूठे केस में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं इसी वजह से अब उन्होंने पुलिस अधीक्षक अनूपपुर को पूरे घटनाक्रम की शिकायत दी है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है

प्रशासन की चुप्पी, व्यापारी में दहशत
व्यवसायी ने प्रशासन से सवाल किया है

> “क्या कोई तब ही सुना जाएगा जब उस पर केस दर्ज हो जाए या कोई हादसा हो जाए? पुलिस ने अगर समय रहते कार्रवाई की होती, तो आज मैं अपनी इज्जत और भविष्य को लेकर भयभीत न होता।”

 

अब देखना ये है कि पुलिस अधीक्षक स्तर से इस गम्भीर साजिश पर कोई ठोस कदम उठाया जाता है या नहीं

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