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प्रशासन की जबरदस्ती के साथ हुआ भूख हड़ताल का अंत भूख हड़ताल पर बैठे युवकों को बीमार बताकर जिला अस्पताल कराया गया भर्ती

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प्रशासन की जबरदस्ती के साथ हुआ भूख हड़ताल का अंत
भूख हड़ताल पर बैठे युवकों को बीमार बताकर जिला अस्पताल कराया गया भर्ती

अब भी बदहाली के आंसू रो रहा कोतमा में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं

चार दिन से लगातार भूख हड़ताल के बाद भी नहीं निकला निराकरण

इन्ट्रो:- कोतमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सामने बैठे हुए भूख हड़ताल में युवकों को बुधवार के शाम लगभग 5:00 बजे पुलिस, स्वास्थ्य और राजस्व विभाग की टीम द्वारा जबरदस्ती एंबुलेंस में ले जाकर जिला अस्पताल भर्ती कर भूख हड़ताल को तुड़वा दिया गया। चार दिन से लगातार कोतमा संभाग स्वास्थ्य केंद्र के सामने कुछ युवक बैठकर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन में बैठे हुए थे लगातार हो रही बातचीत का निराकरण न निकलने पर प्रशासन ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए आंदोलनकारी को जिला अस्पताल भर्ती करा दिया है।

अनूपपुर। अनूपपुर जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर सत्ता और शासन पर सवाल सदैव खड़े होते रहे हैं वर्तमान में कोतमा नगर पालिका अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोतमा की बदहाली को लेकर कोतमा के युवा आमरण अनशन पर बैठे हुए थे , लगातार चार दिन से भूख हड़ताल और आमरण अनशन में बैठे हुए युवाओं के पास 2 बार स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की टीम ने मांगों पर सहमति पर आश्वासन देने की बात कही थी लेकिन ठोस निराला मिलने के कारण आंदोलन लगातार चार दिनों से चल रहा था। बुधवार की शाम कोतमा में मंत्री का दौर था मंत्री के दौरे के पूर्व प्रशासन सक्रिय होकर भूख हड़ताल पर बैठे हुए युवकों को बीमार बता जबरदस्ती पुलिस प्रशासन की मदद से एंबुलेंस में भरकर जिला अस्पताल रेफर कर दिया है, जिला अस्पताल में चार दिन से भूखे युवकों की हालत खराब होने के कारण इलाज करना बताया जा रहा है लेकिन वास्तविकता तो यह है कि मंत्री के दौरे के पूर्व भूख हड़ताल हटाने के लिए प्रशासन ने यह हथकंडा अपनाया है जिसमें पुलिस राजस्व और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मिलकर भूख हड़ताल में बैठे युवकों को बलपूर्वक धरना प्रदर्शन तोड़ने पर मजबूर किया।

चार दिन के भूख हड़ताल का नहीं निकला निराकरण

चार दिन से लगातार चल रहे भूख हड़ताल का समुचित निराकरण निकालने के कारण 28 मार्च को आम आदमी पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और सीटू एकजुट होकर आंदोलन की तैयारी कर रहे थे दूसरे और कोतमा में रोज के अवसर पर रखी गई अवतारी पार्टी को लेकर मंत्री का दौरा भी होना था उक्त दौर में मंत्री के शामिल होने के पूर्व स्वास्थ्य विभाग ने तो स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को व्यवस्थित करने के लिए पहल नहीं की लेकिन राजस्व पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मिलकर बिना आश्वासन दिए ही बलपूर्वक भूख हड़ताल को तोड़कर अपनी पीठ स्वयं थपथपा ली है।

तो सोशल मीडिया तक ही सीमित रहा भूख हड़ताल का समर्थन

चार दिन से सोशल मीडिया में भूख हड़ताल की लगातार समर्थन की बाढ़ लग गई थी। स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर न जाने कितने युवकों और जनप्रतिनिधियों ने सोशल मीडिया में कमेंट और पोस्ट की बाढ़ लगा दी थी लेकिन जब वास्तविक रूप में भूख हड़ताल में बैठे हुए युवकों को समर्थन की आवश्यकता पड़ी तो एक भी जनप्रतिनिधि थी और सोशल मीडिया में समर्थन देने वाले युवक भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन करने वाले युवकों के समर्थन में दिखाई नहीं पड़े पुलिस द्वारा जबरदस्ती दोनों हड़ताल में बैठे हुए व्यक्तियों को उठाकर एंबुलेंस में डालकर अनूपपुर के लिए रेफर कर दी। कुल मिलाकर यह देखा गया कि स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर सिर्फ सोशल मीडिया तक ही लोग सीमित रहे वास्तविकता के आधार पर फोटो बड़ी और सोशल मीडिया में वह वाही लूटने के लिए समर्थन के पोस्ट डाले गए थे।

तो क्या छोटी-मोटी मांगों को भी पूर्ण करने में असफल जिला प्रशासन

भले ही जिला प्रशासन और स्थानी स्वास्थ्य विभाग की टीम आंदोलनकारी के साथ सहमति बैठने की कोशिश की गई हो लेकिन 4 दिन से लगातार चल रहे हैं आमरण अनशन पर अब तक कोई निराकरण निकाल कर सामने नहीं आया है। देवशरण और अन्य साथियों के साथ विगत चार दिन से भूख हड़ताल पर बैठकर विभिन्न मांगों को लेकर प्रशासन से मांग की जा रही है कि कोतमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की पूर्ति साफ सफाई की व्यवस्थाएं, जनता को मिलने वाली व्यवस्था जैसे ठंडा पानी के लिए फ्रीजर एक टीवी जैसी अन्य सुविधाओं को बहाल करने, दवाइयां की उपलब्धता और सोनोग्राफी सेंटर के संचालन को लेकर लगातार मांग की जा रही थी। जिस पर जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन उनकी मांगों को पूर्ण करने में असमर्थ रहा और तानाशाही रमैया एपिरेट हुए भूख हड़ताल को बीमारी के बहाने से खत्म कर दिया गया।

आंदोलनकारी के लिए भी इलाज की नहीं मिली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में व्यवस्था

सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि भूख हड़ताल में बैठे हुए युवकों को भी इलाज के लिए कोतमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छोड़कर जिला अस्पताल इलाज के लिए भेजा गया है जिससे यह स्पष्ट होता है कि भूख हड़ताल में बैठे हुए युवकों की मांगे किस तरह जायज थी जहां छोटी-मोटे इलाज के लिए भी मरीज को जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया जाता है, शरीर में सीरम की मात्रा कम या बढ़ जाने की इलाज आम डॉक्टर भी कर सकता है लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली की स्थिति यह है कि स्वयं मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने स्पष्ट कहा कि इनका इलाज यहां नहीं हो पाएगा इसलिए जिला चिकित्सालय रेफर किया गया है।

इनका कहना है

भूख हड़ताल और अनशन के लिए कोई परमिशन नहीं ली गई थी, वहीं अनशन में बैठने के कारण 3 दिन से भूखे रहने पर युवकों की स्थिति बिगड़ती जा रही थी डॉक्टरों की परामर्श से उन्हें जिला अस्पताल इलाज के लिए भेजा गया है।

अजीत तिर्की, एसडीएम कोतमा

3 दिन से भूखे रहने के कारण युवकों की स्थिति बिगड़ती जा रही थी जिसके कारण रिपोर्ट के आधार पर इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा गया है।

डॉ आरके वर्मा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी अनूपपुर

 

हमारे द्वारा परमिशन का आवेदन दिया गया है अजीत तिर्की द्वारा पर आवेदन स्वीकार किया गया था दीपक पटेल& देवशरण

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