भक्ति की चरम सीमा हाथों की ताल और पैरों की थिरकन में हुई समाहित, श्रोताओं के बीच मंत्री जी का भक्तिरस
श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन, आचार्य दीपू महराज ने बाची कथा
एमसीबी/खड़गवां/ सभी के घर में परिजन सब पर बराबर दृष्टि रखते है, नजर रखते है किंतु बच्चे सोचते है कि पापा मुझे कम प्रेम करते है और भाई को ज्यादा प्रेम करते है, तो ये दृष्टि है। संसार हम सब लोगों का विश्वास से, प्रेम से, भक्तिभाव से क्योंकि इस जीवन में भगवान की भक्ति के अलावा अंत में कुछ नहीं है। महराज जी ने अपने कथा में जिक्र किए है कि
जो तपता है, वो गलता है, जो गलता है, वो बिगड़ता है, और जो बिगड़ता है वो बनता है और जो बनता है, वो मिटता है । मिटना तो तय है लेकिन ऐसा काम करके मिटे कि हजारों साल तक लोग आपको याद करे। महराज जी ने कथा में विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से जीवन जीने का तरीका बताया है, ताकि हम शुद्ध रहे, हममें सद्भाव की भावना जागृत हो। उक्त बाते स्थानीय विधायक श्याम बिहारी जायसवाल खड़गवां में खड़गवां वासियों के द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथा का श्रवण करने के बाद कही। उन्होंने कहा कि यह संसार बहुत बड़ा है, आप गंगाजी को जानते होगे, मां गंगा जी के नदी में जो रेत का कण है उस एक कण के बराबर एक आदमी का वैल्यू है उससे ज्यादा कुछ नहीं है लेकिन हम सोचते है कि हम ही होशियार है, तो हमको जीवन में सत्संग, सत्कर्म करते रहना है।
विदित हो कि खड़गवां में इस श्रीमद् भागवत कथा की शुरुआत 14 मई से की गई थी। इस दिन भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया था जिसमें खड़गवां में निवासरत महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और 15 मई से कथा की विधिवत वाचन आचार्य दीपू महराज के द्वारा जारी रहा। श्रीमद् भागवत कथा का समापन 21 मई को हुआ जिसमें प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल भी शामिल हुए
ज्ञात रहे कि स्थानीय विधायक व प्रदेश के मंत्री अपने व्यस्ततम दौरे के बाबजूद भी 07 दिवसीय कथा में तीन दिन शामिल हुए और कथा का रसपान किए। इस दौरान कई बार मंत्री जी भक्ति रस में भी डूबे दिखे, उनके भक्ति की चरम सीमा हाथों की ताल और पैरों की थिरकन से समाप्त हुई। फिलहाल श्री जायसवाल ने स्थानीयजनों को आश्वस्त किया कि आगे भी इस तरह क्षेत्र में श्रीमद कथा का रसपान करने का मौका उन्हें मिलता रहेगा