अनूपपुर
बिना सहमति के बेबस आदिवासी के जमीन पर नगर प्रशासन कर रहा है पानी टंकी का निर्माण
एक तरफ मध्यप्रदेश सरकार अपने आपकों बता आदिवासी हितैषी बता रही है तो वहीं दूसरी तरफ नगर प्रशासन आदिवासी विरोधी नजर प्रतीत नजर आ रही है अनूपपुर नगरपालिका परिषद के द्वारा एक बेबस आदिवासी के जमीन पर राजस्व अमले के साथ सांठगांठ करके उक्त जमीन को शासकीय बता कर पानी टंकी का निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है
मामला अनूपपुर नगरपालिका के वार्ड नंबर 10 शांति नगर का है , जब गरीब बेबस आदिवासी बेसाहू सिंह गोड़ को पता चला कि उनके पुश्तैनी जमीन पर नगर प्रशासन पानी टंकी का निर्माण कार्य के लिए गड्ढा खोदा हैं तब उन्होंने उसका विरोध किया , विरोध को देखकर कुछ समय के लिए काम बंद कर दिया गया ठेकेदार के द्वारा महज दिखावे के लिए लेकिन कुछ समय बाद वहां पर सरिया गिराने लगे इसे देखकर आदिवासी बेसाहू सिंह गोड़ ने अपने दुखड़ा मीडिया के सामने रखते हुए,बताया कि नगर प्रशासन बिना सहमति के मेरी पुश्तैनी जमीन पर पानी टंकी का निर्माण कार्य कर रहे हैं मेरे विरोध के बाद भी यह काम बंद नहीं कर रहे हैं कहते हैं कि यह जमीन सरकारी है जबकि यह जमीन मेरी पुश्तैनी है , मेरे पास इस जमीन की पट्टा है हालांकि मीडिया ने जब पड़ताल चालू कि तो सब शासकीय जमीन वाली बात से आधिकारी अपना पल्ला झाड़ते हुए नजर आये
अनूपपुर पटवारी रुप नारायण प्रजापति ने कहा कि मैंने कोई लिखित दस्तावेज अनूपपुर नगरपालिका को नहीं दिया है कि वह शासकीय भूमि हैं
वही दूसरी ओर जब अनूपपुर नगर पालिका सीएमो भूपेंद्र सिंह कहते हैं कि,मैं किसी के पट्टे जमीन पानी टंकी निर्माण नहीं होने दूंगा, मुझे पटवारी और आर ई ने बताया था कि उक्त भूमि शासकीय है
लेकिन उनके जबाब में टाल मटोल कि बातें दिख रही थी, क्योंकि जब आधिकारी जान रहे हैं कि गरीब बेबस आदिवासी कि जमीन पट्टे की है तो फिर निर्माण क्यों ,? लेकिन जमीन पर काम चालू और जुबां पर कार्य बंद की बातें
देखिए कौन क्या क्या बयां बाजी करके अपना पल्ला झाड़ रहे हैं
लेकिन गरीब आदिवासी की सुनने वाला कोई नहीं है