जर्जर स्कूल और बैंक में जमा मरम्मत की राशि सिंघौरा के शासकीय विद्यालय की पोल खोल रही है एक के बाद एक खामी
रिपोर्ट हरी प्रसाद यादव
अनूपपुर / जैतहरी विकास खण्ड के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिंघौरा का जर्जर भवन आज भी मासूम बच्चों की सुरक्षा पर खतरा बना हुआ है। मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत है और प्रथम किस्त खाते में जमा हो गई है उसके बावजूद कार्य शुरू नहीं हुआ है और यह पैसा बैंक खाते में पड़ा-पड़ा ब्याज कमा रहा है। यह मामला प्रशासनिक उदासीनता और भ्रष्टाचार के एक के बाद एक भ्रष्टाचार राज उजागर कर रहा है।
खतरे की दीवारों के बीच भविष्य की उम्मीद स्कूल भवन की हालत बेहद दयनीय है छत से पानी टपकता है दीवारों में गहरी दरारें हैं और प्लास्टर उखड़ रहा है बच्चों को इन्हीं खतरनाक हालात के बीच पढ़ाई करनी पड़ रही है। अभिभावक हर दिन अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर सहमे रहते हैं मरम्मत का वह पैसा जो बैंक में कमा रहा है ‘ब्याज’
सूत्रों से पता चला है कि स्कूल भवन की मरम्मत के लिए पर्याप्त राशि महीनों पहले ही जारी कर दी गई थी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि यह राशि मरम्मत कार्यों पर खर्च न होकर स्कूल के बैंक खाते में ही पड़ी है। इस राशि पर बैंक में ब्याज तो बन रहा है, लेकिन स्कूल भवन का जीर्णोद्धार नहीं हो पा रहा है। यह स्थिति सवाल उठाती है कि क्या बच्चों के भविष्य से ज्यादा महत्वपूर्ण यह ब्याज का लालच है?
दूसरी पोल ब्याज का ‘गणित’: जानकारों का मानना है कि मरम्मत राशि पर बैंक द्वारा मिलने वाला ब्याज एक ‘अतिरिक्त मुनाफा’ बन गया है। पैसा खर्च हो गया तो ब्याज बंद हो जाएगा, इसलिए मरम्मत का काम लटकाए रखना ही कुछ लोगों के हित में है।


















