तहसीलदार की कुर्सी हिली ज़िंदा महिला को मृत बताकर हड़पी ज़मीन
रिश्ता भी निकला सौतेला ,अधिकारी पर गिरी गाज
ब्यूरो:आनंद शर्मा
सरगुजा संभाग से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक जिंदा महिला को मृत घोषित कर उसकी ज़मीन हड़पने का संगीन आरोप तहसीलदार पर साबित हुआ है। शासन-प्रशासन में खलबली मचाते हुए कमिश्नर कार्यालय ने तत्काल कार्रवाई करते हुए तहसीलदार को निलंबित कर दिया है
क्या है पूरा मामला?ग्राम कोयलारी, तहसील भैयाथान की निवासी शैल कुमारी दुबे, पत्नी स्व. राधेश्याम दुबे ने दिनांक 26 मई को शिकायत दर्ज कराई थी कि तहसीलदार संजय राठौर ने मिलीभगत कर उन्हें “मृत” घोषित कर दिया और उनकी निजी भूमि—खसरा नं. 45/3 (नया ख.नं. 344, रकबा 0.405 हेक्टेयर)—का नामांतरण उनके सौतेले पुत्र विरेन्द्रनाथ दुबे के नाम करवा दिया। आरोप है कि इस नामांतरण के साथ उनकी संयुक्त खातेदार भूमि का भी अनुचित बंटवारा किया गया
प्रशासन ने माना—’जिंदा महिला को मृत बताया गया
अपर कलेक्टर सूरजपुर, प्रभारी अधिकारी प्रतापपुर एवं तहसीलदार लटोरी की संयुक्त जांच टीम ने प्रारंभिक रिपोर्ट में तहसीलदार राठौर को प्रथम दृष्टया दोषी पाया। रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख है कि शैल कुमारी दुबे जीवित हैं, इसके बावजूद राठौर ने जानबूझकर उन्हें मृत दिखाया और ज़मीन उनके सौतेले बेटे के नाम करवा दी।संभागीय आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी आदेश क्रमांक 3087/स्थापना दिनांक 13 जून के अनुसार तहसीलदार संजय राठौर को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में उन्हें केवल जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा, और उनका मुख्यालय अब कलेक्टर कार्यालय बलरामपुर-रामानुजगंज निर्धारित किया गया है।सख्त संदेश ‘मनमानी नहीं चलेगी,आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि तहसीलदार राठौर का कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 का स्पष्ट उल्लंघन है, जिसमें ईमानदारी, निष्पक्षता और कर्तव्यनिष्ठा की बात की गई है।क्या ज़मीनी मामलों में ऐसी मनमानी आम हो चली है?दोषी अधिकारी पर अब तक कितनी अन्य शिकायतें आई हैं?क्या पीड़िता को अब न्याय मिलेगा?इस प्रकरण ने प्रशासनिक जवाबदेही और राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।बीते 27 मई प्रमुखता से खबर प्रकाशित किया गया था।