ग्राम पंचायत पड़ौर में थर्मल एनर्जी अदाणी समूह का पानी पाइपलाइन का जबरदस्त विरोध, बिना ग्राम सभा अनुमति के सर्वे पर भड़के ग्रामीण; कांग्रेस ने संभाला मोर्चा
ग्रामसभा की अनुमति के बिना थर्मल कंपनी ने शुरू किया सर्वे, आदिवासियों ने बताया यह उनकी ‘जीवनरेखा’ पर हमला
अनूपपुर/पड़ौर:
जिला मुख्यालय अनूपपुर के ग्राम पंचायत पड़ौर में अनूपपुर थर्मल एनर्जी (म०प्र०) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बिछाई जा रही भूमिगत वाटर पाइपलाइन के खिलाफ ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा है पूर्व सरपंच उमाकांत सिंह उईके की अगुवाई में ग्रामीणों ने एक बैठक आयोजित कर इस परियोजना का पुरजोर विरोध किया
ग्रामीणों ने कांग्रेस जिला अध्यक्ष श्याम कुमार उर्फ गुड्डू चौहान के माध्यम से एक ज्ञापन सौंपकर इस निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है
पूर्व सरपंच ने बयां की पीड़ा
बैठक की अगुवाई कर रहे पूर्व सरपंच उमाकांत सिंह उईके ने कहा, “मुख्य मुद्दा सोन नदी के किनारे बसे परासी, पड़ौर और धुर्वासिन क्षेत्र के लोगों के लिए पानी की समस्या है कंपनी के आने के बावजूद स्थानीय लोगों को पानी नहीं मिल रहा है, जबकि हमारा पानी कहीं और (छतवई) भेजा जा रहा है उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी ने आदिवासियों की जमीन “ऊपर-ऊपर सौदा” करके छीन ली है, जो कि कानूनन नहीं किया जा सकता उन्होंने नए “ऊर्जावान नेता” गुड्डू चौहान जी और मानवेंद्र मिश्रा जी से आशा व्यक्त की कि वे सरपंचों के साथ मिलकर पानी की समस्या का समाधान करेंगे और पानी को बाहर जाने से रोकेंगे
बिना ग्राम सभा अनुमति के सर्वे का आरोप
ग्रामीणों द्वारा सौंपे गए ज्ञापन के अनुसार, ग्राम पंचायत पड़ौर एक पूर्णतः अनुसूचित क्षेत्र है इसके बावजूद, थर्मल एनर्जी कंपनी ने भूमिगत वाटर पाइपलाइन बिछाने के लिए बिना ग्राम सभा की अनुमति के निजी एवं शासकीय भूमि पर सर्वे कराकर पत्थरगढ़ी का काम किया है, जिसे ग्रामीणों ने “पूर्णतः गैर कानूनी” बताया है
जल संकट की आशंका से ग्रामीण भयभीत
ग्रामीणों ने अपनी अपत्ति में कहा है कि लगभग 10-15 वर्ष पूर्व मोजर बेयर कंपनी द्वारा धुरवासिन के पास सोन नदी को बांधकर बिजली उत्पादन हेतु पानी चढ़ाया गया था तब से गांव के पूर्व में स्थित केवई एवं सोन नदी मई-जून के महीने में सूख जाती हैं, जिससे गांव के कुएं और तालाब भी सूख जाते हैं
अब पुनः थर्मल एनर्जी द्वारा ग्राम के केवई व सोन नदी से ग्राम छतई के लिए भूमिगत पाइपलाइन ले जाई जा रही है ग्रामीणों को डर है कि इससे उनकी “जीवन रेखा” कही जाने वाली नदियों का स्रोत पूरी तरह प्रभावित हो जाएगा, जल स्तर गिर जाएगा और उन्हें विकराल जल संकट का सामना करना पड़ेगा ज्ञापन में कहा गया है कि गांव की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर आधारित है, जो इस परियोजना से बर्बाद हो जाएगी
कांग्रेस ने दिया समर्थन, प्रशासन और पेसा एक्ट पर उठाए सवाल
मौके पर पहुंचे कांग्रेस जिला अध्यक्ष श्याम कुमार उर्फ गुड्डू चौहान ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि यह प्रोजेक्ट पहले वेलस्पन कंपनी के पास था, जो अब थर्मल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर है, और अदाणी समूह का हैं
गुड्डू चौहान ने कहा, “कंपनी बिना ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कराए, बिना किसानों की सहमति के यहां से पानी और उनकी जमीनें ले जाना चाहती है न वो सही मुआवजा देना चाहते हैं, न रोजगार देना चाहते हैं
उन्होंने जिला प्रशासन पर आंखें मूंदकर बैठने का आरोप लगाते हुए कहा, “जिला प्रशासन पेसा एक्ट का भी पालन नहीं किया जा रहा है शासन और प्रशासन भूल जाते हैं कि गांव के गरीब और किसान ही उनके असली मालिक हैं और वे केवल नौकर हैं अगर वे जनता की बात नहीं मानेंगे, तो कांग्रेस पार्टी हर स्तर की लड़ाई लड़ेगी और जनता की बात मनवा कर ही दम लेगी
एकजुट रहने पर नहीं जाएगा एक बूंद पानी: मानवेंद्र मिश्रा
युवा कांग्रेस नेता मानवेंद्र मिश्रा ने भी ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा, “मिटा दो ज़ुल्म की हस्ती, बगावत हो तो ऐसी हो यदि आप सभी गांव वाले एकजुट रहेंगे तो हम इस कंपनी को आपकी बिना परमिशन के यहां से एक बूंद पानी भी नहीं ले जाने देंगे
ग्राम पंचायत पड़ौर का यह पूरा प्रकरण मध्य प्रदेश पेसा नियम 2022 (PESA Rules 2022) के सीधे उल्लंघन का एक स्पष्ट मामला प्रतीत होता है ये नियम अनुसूचित क्षेत्रों में “जल, जंगल और जमीन” पर अंतिम अधिकार ग्राम सभा को देते हैं
नियमों के अनुसार, किसी भी निजी या सरकारी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण करने, सर्वे करने या गाँव के प्राकृतिक संसाधनों (जैसे नदी या तालाब) का उपयोग करने से पहले ग्राम सभा की “अनिवार्य सहमति” लेना आवश्यक है
ग्रामीणों ने अपने ज्ञापन में स्पष्ट मांग की है कि थर्मल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्य को तत्काल प्रभाव से रोका जाए और इस परियोजना को किसी अन्य स्थान पर स्थापित किया जाए अब देखना होगा कि प्रशासन पेसा नियमों के उल्लंघन पर क्या कार्रवाई करता है और क्या ग्रामीणों की आवाज़ जल-जंगल-जमीन की रक्षा में सुनी जाती है इस दौरान सैकड़ो कांग्रेसी कार्यकर्ता व ग्रामीण जन उपस्थित रहे


















