श्री कांत शुक्ला ने उठाई ठेका मजदूरों की आवाज, अमाडांड ओसीएम में शोषण का लगाया आरोप
जमुना-कोतमा क्षेत्र के अमाडांड ओपन कास्ट माइंस (ओसीएम) में कार्यरत ठेका मजदूरों की समस्याओं ने अब गंभीर मोड़ ले लिया है। कोयला मजदूर सभा के अध्यक्ष श्री कांत शुक्ला ने क्षेत्रीय महाप्रबंधक को पत्र लिखकर प्रबंधन की अनियमितताओं और मजदूरों के साथ हो रहे शोषण की कड़ी आलोचना की है। पत्र में ठेका मजदूरों की समस्याओं का विस्तार से जिक्र करते हुए प्रबंधन पर लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाने का आरोप लगाया गया है
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श्री शुक्ला ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि नीलकण्ठ कंपनी द्वारा ठेका मजदूरों की उपस्थिति दर्ज करने में घोर अनियमितताएं की जा रही हैं। मजदूरों की उपस्थिति सादे कागज पर दर्ज कराई जाती है, जो न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि मजदूरों के अधिकारों पर सीधा आघात है। फार्म “डी” में उपस्थिति दर्ज करने की निर्धारित प्रक्रिया को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिसके कारण कई मजदूरों का वेतन काट लिया जाता है। यह प्रबंधन की ओर से एक सुनियोजित शोषण है।
एचपीसी दर लागू करने में प्रबंधन की असफलता
श्री शुक्ला ने आरोप लगाया कि हाई पावर कमेटी (एचपीसी) द्वारा निर्धारित मजदूरी दर को ठेका मजदूरों पर लागू नहीं किया जा रहा है। एसईसीएल से एचपीसी के अनुसार भुगतान लेने के बावजूद मजदूरों को उनके हक से वंचित रखा जा रहा है। उन्होंने खुलासा किया कि हर महीने मजदूरों को करीब 1.30 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, जो प्रबंधन की गैर-जिम्मेदारी और शोषणकारी नीतियों का स्पष्ट प्रमाण है।
चिकित्सा सुविधाओं की घोर उपेक्षा
पत्र में प्रबंधन की मजदूरों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति उदासीनता की भी आलोचना की गई है। मजदूरों और उनके परिवारों के लिए चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी है। श्री शुक्ला ने मांग की है कि सभी मजदूरों को मेडिकल कार्ड जारी किए जाएं, ताकि उन्हें कोलरी अस्पताल में इलाज मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि प्रबंधन ने कैंटीन और एंबुलेंस जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में लापरवाही बरती है।
स्थानीय विस्थापितों के साथ हो रहा भेदभाव
ग्राम निमहा और मझौली के विस्थापित किसानों की दुर्दशा को लेकर भी पत्र में गंभीर सवाल उठाए गए हैं। 2016 के सर्वे में जानबूझकर विस्थापितों के मकानों को नजरअंदाज किया गया और उन्हें बाउंड्री रेट के आधार पर मुआवजा दिया गया, जो अन्यायपूर्ण है। जिन किसानों की जमीन ली गई, उन्हें न तो उचित मुआवजा मिला और न ही रोजगार का वादा पूरा किया गया। प्रबंधन का यह रवैया विस्थापितों के प्रति उसकी असंवेदनशीलता को दर्शाता है।
प्रबंधन की तीखी आलोचना और चेतावनी
श्री कांत शुक्ला ने कहा कि प्रबंधन मजदूरों और विस्थापितों के साथ अन्याय कर रहा है। ठेका मजदूरों को समय पर वेतन, पीएफ और बोनस नहीं दिया जा रहा है। प्रबंधन का रवैया न केवल मजदूर विरोधी है, बल्कि यह उनकी आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा के लिए भी खतरा है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि प्रबंधन ने इन मांगों को गंभीरता से नहीं लिया, तो कोयला मजदूर सभा आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होगी।
प्रबंधन के लिए गंभीर संकट
अमाडांड ओसीएम और नीलकण्ठ कंपनी का प्रबंधन मजदूरों के अधिकारों की अनदेखी कर उनकी मेहनत का शोषण कर रहा है। यह स्थिति मजदूरों में भारी असंतोष पैदा कर रही है। श्री कांत शुक्ला ने कहा कि कोयला मजदूर सभा मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएगी
अब यह देखना बाकी है कि प्रबंधन इस गंभीर स्थिति को संभालने के लिए क्या कदम उठाता है। अगर इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो प्रबंधन को बड़े विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ सकता है