धनपुरी और देव्हारा चौकी की जुड़ाव सीमा में रेत चोर सक्रिय
( खनिज, पुलिस और वन तीनों की संलिप्तता उजागर )
जितेंद्र शर्मा
अनूपपुर
जिले के धनपुरी थाना अंतर्गत शहडोल और अनूपपुर की सीमा अलग करने बाली बेम्हौरी-गरफंदिया क्षेत्र मे जुड़मानी नदी (जिंदा नाला) जिसके आसपास शहडोल की तरफ से बेम्हौरी, गरफंदिया, बंडी और अनूपपुर की तरफ से पटना, धिरौल, तुम्मीबर, डोंगराटोला, खमरिया आदि गांव स्थित है जहां उक्त सभी गांवों के अलग-लग घाटों और पुलियों के पास ट्रैक्टर लगाकर रेत का अवैध खनन के लिए ट्रैक्टर और मेटाडोर फिर से सक्रिय हो चुके हैं। डोंगरा टोला रोड में नदी के भीतर ट्रैक्टर जैसे बड़े वाहन नदी में उतार कर रेत निकाला जाता है। यदि पुलिस, राजस्व या वन विभाग के बड़े अधिकारी मौके का निरीक्षण कर के नदी-नालों के आसपास ट्रैक्टर की लीक देख लें तो यकीनन चौकी प्रभारी, थाना प्रभारी सहित अन्य विभागों के जिम्मेदारों पर कार्रवाई होकर रहेगी, लेकिन रेत चोरों, और दलालों से सेटिंग ऐसी है कि उक्त तीनों विभाग, खासकर पुलिस ने खुली छूट दे रखी है।
यहां से इतने समय उठाते हैं रेत
ग्रामीण सूत्रों ने बताया कि बेम्हौरी पंचायत अन्तर्गत बेम्हौरी से पटना मार्ग में, तुम्मीबर डोंगराटोला रोड मे पुलिया के पास, बैरगिहा रपटा पुल के पास से, बंडी और लखबरिया पंचायत के जुड़ाव सीमा मे नरगड़ा नाला से, वहीं अनूपपुर जिले की सीमा मे डोंगराटोला पंचायत के पोंडापानी घाट से, बैरगिहा टोला के प्राथमिक स्कूल के समीप स्थित रपटा पुल और बेम्हौरी से पटना मार्ग वाले घाट में भोर के करीब 3 बजे से ट्रैक्टर और मेटाडोर का आना-जाना शुरू हो जाता है।
वहीं कभी कभी रात 12 बजे से सुबह 5 बजे तक कभी पूरे दिन अवैध निकासी की जाती है, नदी-नालों के आसपास स्पष्ट दर्जनों की संख्या में ट्रैक्टर का लीक बना हुआ है, जो का संबंधित वन अमला, पुलिस या राज्स्व के अधिकारियों को दिखाई नहीं दे रहा। रेत माफिया ट्रैक्टर ओव्हर लोड कर के सड़क में चलते हैं जिससे गांव की सड़के भी जर्जर हो रही हैं और जिन रास्तों में पक्की सड़क नहीं है वहां कीचड़ के साथ बड़े-बड़े नाली नुमा गड्ढे हो गए हैं।
यहाँ खपाते हैं चोरी का रेत
उक्त ठीहों से रेत का अवैध उत्खनन कर आसपास के ग्राम पंचायतों जैसे बेम्हौरी, पटना, धनौरा, डोंगराटोला, लखबरिया, अरझुला एवं बंडी आदि पंचायत में चल रहे सरकारी आवास, शौचालय, सीसी रोड़, पुलिया आदि एवं निजी निर्माण कार्यों के साथ-साथ आसपास के काॅलरी के श्रमिक काॅलोनियों एवं खदानों में चल रहे निर्माण कार्यों मे इसी अवैध रेत का उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान में बंगवार काॅलरी में हो रहे निर्माण कार्य मे जुड़मानी के रेत का उपयोग है रहा है। वहीं अवैध रेत के मुख्य खरीददार बेम्हौरी, बंडी, पटना, डोंगराटोला आदि ग्राम पंचायतो में चल रहे शासकीय निर्माणकार्य और प्रधानमंत्री आवास के भवनों में खपाई जा रही है।
पुलिसिया सांठगांठ की चर्चा
बताया गया कि देवहरा चौकी प्रभारी या चचाई थाना प्रभारी को रेत चोरी या अवैध ईंट-भट्ठों के लिए बाड़ी में इकट्ठा किए गए कई टन कोयले की सूचना देते हुए फोटो भेजी जाती है तो पता नहीं उक्त अवैध धंधों में संलिप्त लोगों को तत्काल सूचना मिल जाती है और तुरत-फुरत ठीहे से कोयला हटा लिया जाता है, और नदी नालों से ट्रैक्टर या मेटाडोर भी हटा लिए जाते हैं, और इतना ही नहीं उक्त पूरे घटना क्रम के 5 से 6 घंटे बाद देवहरा चौकी से दो जवान मौके पर ‘लकीर पीटने’ भी पहुंचते हैं, और ग्रामीणों के सामने बतौर दिखावटी, पुलिसिया हनक दिखाते हैं!
जनचर्चा है कि उक्त देवहरा चौकी, चचाई थाना और अवैध धंधों में संलिप्त लोगों के बीच रिश्ता कैसा है, ये खुद थानेदार जानें। रेत के अवैध खनन में पटना कला डूंगरा टोला, धीरौल आदि स्थानों के दबंग किस्म के लोग लगे हुए हैं।
क्वालिटी घटिया फिर भी रेट हाई-फाई क्यों?
मालुम हो कि क्षेत्र के जुड़मानी, नरगड़ा और पोंड़ा आदि जैसे नदी नालों में रेत तो भरपूर है लेकिन वह निर्माण के दृष्टि से बहुत ही घटिया है जिसे आसपास के पंचायतों के शासकीय निर्माण कार्यों में उपयोग करने के लिए संबंधित इंजीनियरों द्वारा सख्त मनाही है, फिर भी यह घटिया रेत की आपूर्ति आसपास के सभी पंचायतों के निर्माण कार्यों के साथ-साथ निजी निर्माण कार्यों में धड़ल्ले से की जा रही है, मात्र 500 से 800 रुपए की कीमत वाला रेत ढ़ाई हजार से 3 हजार रुपए तक बेचा जा रहा है, ग्रामीणों की मानें तो रेत चोरी में लगे ट्रैक्टर हर साल लाखों का वारा न्यारा कर रहे हैं, जिसकी न रॉयल्टी पर्ची का पता न सरकारी रेट कार्ड का, क्यों कि रेत अवैध खनन का रहता है। क्षेत्र के अधिकांश ट्रैक्टरों के सभी रजिस्ट्रेशन पुख्ता नही हैं, कृषि कार्य हेतु का रजिस्ट्रेशन करा के रेत के साथ-साथ काॅलरी से चोरी के कबाड़ निकाले जा रहे हैं, जिसपर न हि परिवहन विभाग, न हि वन विभाग, न हि राजस्व विभाग और न हि पुलिस विभाग की नज़र पड़ रही है, यदि जानकारी है तो यह सब खुले आम कैसे चल रहें?


















