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आईसीआईसीआई फाउंडेशन नामक एनजीओ नौगवां में मशीनों के माध्यम से करवा रहा जलाशय निर्माण

आईसीआईसीआई फाउंडेशन नामक एनजीओ नौगवां में मशीनों के माध्यम से करवा रहा जलाशय निर्माण

कृष्ण कुमार उपाध्याय मानपुर बांधवगढ़ उमरिया

मजदूर और किसानों की हित की जगह खेल रहा शासन के पैसों की होली।।किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त कर उनके चह्मुखी विकास हेतु जहां शासन द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है जिसके तहत किसानों को समय-समय पर प्रशिक्षण देकर एवं आधुनिक तकनीकी से परिचित कराकर उन्हें व्यावसायिक रूप से कृषि कार्य करने हेतु सक्षम बनाया जा रहा है जिसमें सरकार द्वारा कई एनजीओ आदि की मदद लेकर ग्रामीण स्तर पर जल संरक्षण एवं संवर्धन वृक्षारोपण कार्यक्रम पशुपालन एवं जंगल से प्राप्त उत्पादों से आए में वृद्धि के स्रोत उत्पन्न कर नवाचार कर इसका क्रियान्वयन किया जा रहा है लेकिन इस कार्य हेतु नियुक्त कुछ संस्थाएं शासन की इस मनसा पर पानी फेर कर कृषकों को सशक्त बनाने की इस योजना में पाटिल लग रहे हैं और भोले भाले आदिवासी किसानों को ठग कर सरकारी पैसों की होली खेल कर अपनी जेबें भरने का काम कर रहे हैं एक ऐसा ही मामला मानपुर जनपद के ग्राम पंचायत नौगवां में प्रकाश में आया है जहां पर आईसीआईसीआई फाउंडेशन नमक अशासकीय संस्थान के द्वारा जलाशय निर्माण का कार्य चैन माउंटिंग मशीन और जेसीबी मशीनों के माध्यम से करवा कर संबंधित अभियान की लाखों की राशि की हेरा फेरी की जा रही है सबसे बड़ी बात तो यह है कि संबंधित ग्राम पंचायत में ही कई जरूरतमंद एवं पंजीकृत मजदूर हैं जिन्हें उक्त एनजीओ के इस प्रोजेक्ट में मजदूरी करने का अवसर तक नहीं दिया गया और आधुनिक मशीनों के माध्यम से उक्त प्रोजेक्ट को पूरा कर संबंधित एजेंसी स्वीकृत राशि की बंदर वाट में जुटी हुई है इस कार्य स्थल पर निर्माण कार्य की स्वीकृति राशि या अनुमानित लागत अथवा संबंधित उद्देश्य के संबंध का कोई भी नोटिस बोर्ड भी नहीं लगाया गया प्राप्त जानकारी के मुताबिक संबंधित आईसीआईसीआई फाउंडेशन के कोई बाबूलाल मेहता नामक प्रोजेक्ट इंचार्ज द्वारा इस कार्य को संपादित करवाया जा रहा है जिनके पास ना तो वन विभाग की कोई अनुमति है और ना ही राजस्व विभाग से संबंधित कार्य की कोई अनुमति ली गई है कोई एनओसी नहीं होने के बावजूद भी संबंधित एजेंसी के द्वारा धड़ल्ले से नियम विरुद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की वन क्षेत्र की सीमा और राजस्व की भूमि पर कार्य करवाया जा रहा है जिस संबंध में जानकारी चाहने पर संबंधित निर्माण कर्ता श्री मेहता द्वारा बताया गया कि हमारे पास ग्राम पंचायत की अनुमति है और उक्त कार्य में जब स्थानीय मजदूरों को न लगाए जाने के संबंध में बात की गई तो उन्होंने दबंगई के साथ कहा कि यह हमारी कंपनी का इशू है जहां पर हम मजदूर से काम करवाए अथवा मशीनों से यह हमारी स्वेच्छा है इसके लिए हम ही हमें कोई बाध्यता नहीं। इस संदर्भ में जब तहसीलदार मानपुर को जानकारी दी गई तो उन्होंने स्थल निरीक्षण कर यवाही का आश्वसन दिया है अब देखना यह होगा कि एनजीओ के माध्यम से शासन के लाखों करोड़ों के बजट का निपटान करने वाले ऐसे जिम्मेदारों के ऊपर स्थानीय प्रशासन और जिला प्रशासन कब तक क्या कुछ कार्यवाही कर पाते हैं अथवा हमेशा की तरह ग्रामीण क्षेत्र में जल संरक्षण एवं संवर्धन जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट निर्माण कि खाना पूरी कर संबंधित रसूखदार शासन को करोड़ों की चपत लगाकर मौके से फरार हो जाते हैं

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