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छठ महापर्व की तैयारियों में नपा पसान में उमंग का माहौल-राम अवध सिंह

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छठ महापर्व की तैयारियों में नपा पसान में उमंग का माहौल-राम अवध सिंह

जमुना कोतमा आरोग्य, ऊर्जा और जीवन के देवता सूर्यदेव की उपासना का पवित्र पर्व छठ आस्था, श्रद्धा और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है यह पर्व सूर्योपासना का अनोखा उदाहरण है, जिसमें भक्ति, अनुशासन और आत्मसंयम की मिसाल देखने को मिलती है लोक परंपरा के अनुसार छठ का व्रत सूर्यदेव और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित होता है यह पर्व नहाय-खाय से प्रारंभ होकर चार दिनों तक चलता है छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो इस बार शुक्रवार को मनाया गया इस दिन

श्रद्धालु शुद्ध जल में स्नान कर शरीर और मन को पवित्र करते हैं उसके बाद व्रती लौकी की सब्जी, चने की दाल और भात (चावल) का सेवन करते हैं यह भोजन पूरी तरह सात्विक और बिना लहसुन-प्याज का होता है इसी के साथ व्रत का आरंभ होता है व्रती इस दिन से शुद्धता, संयम और तपस्या के मार्ग पर चल पड़ते हैं अगले दिन खरना का आयोजन होता है, जो इस बार शनिवार को मनाया जाएगा खरना के दिन व्रती पूरा दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को सूर्यास्त के बाद चावल की खीर, रोटी और गुड़ से बनी प्रसाद तैयार

करते हैं। इसे पहले भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है, तत्पश्चात ब्राह्मणों, परिजनों और मित्रों को खिलाया जाता है।खरना की यह खीर प्रसाद स्वरूप ग्रहण कर व्रती आगे के 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ करते हैं इस उपवास में अन और जल दोनों का त्याग किया जाता है, जो तप और श्रद्धा की पराकाष्ठा मानी जाती है तीसरे दिन, यानी रविवार की शाम को श्रद्धालु नदी, तालाब या किसी पवित्र जलाशय पर पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सोलह श्रृंगार कर पूजा करती

हैं व्रती अपने सिर पर टोकरी या सुप में प्रसाद जैसे ठेकुआ, फल, नारियल, केला, गन्ना आदि लेकर घाट तक जाती हैं सूर्यास्त के समय पूरे वातावरण में भक्ति गीतों की गूंज और लोक संगीत की मधुर लहरियां वातावरण को पवित्र बना देती हैं घाटों पर छठी मइया के जयकारों से समूचा वातावरण भक्तिमय हो उठता है नगर पालिका परिषद पसान में छठ घाटों की तैयारियां चरम पर नगर पालिका परिषद पसान अध्यक्ष राम अवध सिंह के निर्देशन में नगर के प्रमुख घाटों की सफाई, समतलीकरण और सौंदर्याकरण का कार्य जोरों पर किया गया है नगर पालिका की टीम ने भाई घाट, भालूमाड़ा पुल के नीचे स्थित घाट तथा जमुना वार्ड क्रमांक 1 के तालाब की विशेष साफ-सफाई कर ब्रद्धालुओं के लिए छठ घाट तैयार किए है तालाबों में पानी की स्वच्छता और सुरक्षा के लिए बैरिकेडिंग की गई है। साथ ही प्रकाश व्यवस्था, सीसीटीवी और रेत समतलीकरण का कार्य भी पूरा किया गया है अध्यक्ष राम अवध सिंह ने बताया कि छठ पर्व आस्था और लोकसंस्कृक्ति का पर्व है, इसलिए नगर पालिका का यह दायित्व बनता है कि श्रद्धालुओं को स्वच्छ, सुरक्षित और सुंदर वातावरण प्रदान किया जाए

उन्होंने नगरवासियों से अपील की है कि सभी लोग एकजुट होकर इस पवित्र पर्व को अनुशासन और स्वच्छता के साथ मनाएं नगर पालिका कर्मचारियों के साथ-साथ स्थानीय युवाओं और महिला मंडलों ने भी घाटों की सजावट में सहयोग दिया रंग-बिरंगी झालरों, केले के पत्तों और दीपमालाओं से घाटों को सजाया जा रहा है श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पीने के पानी, प्रकाश और सुरक्षा बलों की विशेष व्यवस्था

की गई है व्रत का समापन उगते सूर्य

को अर्घ्य देकर होता है पूर्ण

सोमवार की सुबह व्रती महिलाएं और श्रद्धालु पुनः घाट पर पहुंचकर उदीयमान सूर्य को अघ्य अर्पित करेंगे। माना जाता है कि सूर्य को अर्घ्य देने से आरोग्य, समृद्धि और संतानों की दीर्घायु का वरदान मिलता है व्रत की समाप्ति के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करते हैं छठ पर्व का विशेष महत्व इस बात में है कि यह किसी विशेष जाति या वर्ग का पर्व नहीं, बल्कि सभी समुदायों का सामूहिक लोकपर्व है इसमें शुद्धता,

अनुशासन, त्याग और प्रकृक्ति के प्रति श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।। आज के युग में जब प्रदूषण और भौतिकता ने जीवन की लय को असंतुलित कर दिया है, छठ पर्व हमें प्रकृति और ऊर्जा के स्रोत सूर्य की उपासना का संदेश देता है छठ केवल पूजा नहीं, बल्कि यह जीवन में संयम, समर्पण और सादगी का उत्सव है जिसमें भक्ति के साथ प्रकृति के प्रति आभार और कृतज्ञता की भावना झलकती है

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