नहीं सुधर रहे लोग सड़क सुरक्षा सरकार की ही नहीं हमारी भी है जिम्मेदारी
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह के तहत लोगों में जागरूकता लाने जिला मुख्यालय मे विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन
हर वाहन चालक के मन में खुद से ही यह भावना पैदा होना चाहिये कि वे ट्रैफिक नियमों का पालन कर खुद की और दूसरों की जिंदगी बचा सके। हर चीज अकेले सरकार नहीं कर सकती। दुनिया के कई देशों का अनुभव यही कहता है कि सड़क सुरक्षा के मामलों में जन सहयोग आवश्यक ही अनिवार्य है। प्रशासन और राजनीति के स्तर पर भी आदर्श प्रस्तुत किये जाये तो यह सोने पर सुहागा होगा। लेकिन अफसोस की बात यह हैै। सड़क सुरक्षा अभियान के तहत बीते दस सालों से लोगों को जागरुक करने परिवहन विभाग व पुलिस महकमा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता आ रहा है लेकिन लोगों की मानसिकता नहीं बदली
छतरपुर// नौगांव/ नियमों का पालन कर सड़क सुरक्षा को बरकार रखना सरकार की नहीं हमारी भी जिम्मेदारी बनती है। विडम्बना है कि सड़क सुरक्षा का सीधा संबंध हमारी जिंदगी से होने के बाद भी हमारे समाज में चेतना नही आयी। जिले में बीते दस सालों से ऐसे अभियान चल रहे। जिस पर करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं। इसके बावजूद लोगों की मानसिकता में बदलाव देखने को नहीं मिल रहा। हालांकि परिवहन विभाग ,पुलिस महकमा व अन्य विभाग संयुक्त रूप से सड़क सुरक्षा पर फोकस करते आ रहे। लेकिन सरकारी करण से बाहर आकर लोगों के लिये जन अभियान का रूप नहीं ले पाया। लेकिन इस बार पुलिस अधीक्षक इस अभियान को लेकर जिस प्रकार से सक्रिय नजर आ रहे है ।इससे पहले इतनी गंभीरता कभी देखने को नहीं मिली
यातायात नियमों का जरा भी डर नहीं
सड़कों पर बढ़ती आबादी के साथ वाहनों की बढ़ती संख्या का बोझ दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। सड़कें पहले से दुरुस्त भी हो रही है। इससे आवागमन तो सुलभ हुआ है। पर सड़कों पर खून के धब्बे भी लगातार बढ़ते जा रही है। प्रति वर्ष सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने व घटनाओं में हो रही मौत व घायलों की संख्या कम करने को भी शासन प्रशासन सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता अभियान भी समय-समय पर चलाते है ।जिसको लेकर परिवहन विभाग प्रति वर्ष जागरूकता अभियान चला रहा है ।बीते दस वर्षों से यह अभियान चलाये जा रहे है। इसके बावजूद उस पर वाहन से जुड़े लोग अमल नहीं कर रहे है। यातायात नियमों को ताक में रखकर रफ्तार के साथ वाहन चलाने व सुरक्षा मांनको पर जरा भी ध्यान नहीं रखने की वजह से सड़कों पर मौत की संख्या में इजाफा हो रहा है। अब भी खुद की जान की सुरक्षा के प्रति लोग सजग नहीं हुये तो उनके लिये खुद मौत को आमंत्रण देना ही माना जायेगा । आज जिले के हालात यह है कि बाइक पर लोग खासकर युवा बैठते ही वाहन की रफ्तार हवा से बात करने लगते है। जबकि चालक न तो सिर पर हेलमेट और न पांव को जूता से सुरक्षित रखते है। वहीं बाइक पर पीछे बैठने वाली सवारी को हेलमेट पहनना ही नहीं है ।मानो वे जान चुके होते हैं। कि सड़क दुर्घटना की स्थिति में सिर पर गंभीर चोट आने वाली नहीं हो। यही हाल चार पहिया वाहन चालकों का है। वे सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करते। क्या इनकी मनमानी खुद को बचा पायेगी। नतीजतन खुद तो दुर्घटना का शिकार होते है राह चलते लोगों की जान भी खतरे में फस जाती है ।इस प्रकार नियमों की अनदेखी व सुरक्षा मानकों के साथ खिलवाड़ की वजह से वाहन चालकों के अलावा राहगीरों के लिये जानलेवा साबित होते हैं। इसलिये सख्त कार्यवाही व मोटा जुर्माना लगाया जाये तभी यातायात नियमों का पालन वाहन चालक करेंगे व दुर्घटनाओं पर विराम लगेगा