भालूमाड़ा में रेत माफियाओं का खुला आतंक! पुलिस की मिलीभगत से ईमानदार अफसर की बली चढ़ी – वायरल ऑडियो ने खोली पोल
अनूपपुर मध्य प्रदेश के भालूमाड़ा थाना क्षेत्र में रेत माफियाओं का राज किस हद तक फैला हुआ है, इसका सनसनीखेज खुलासा एक वायरल ऑडियो से हुआ है। इस ऑडियो में रेत माफिया बेखौफ होकर कबूल कर रहे हैं कि किस तरह अवैध रेत खनन होता है, पुलिस से उनकी सेटिंग कैसे रहती है और जब कोई अफसर रास्ते में आता है, तो उसे कैसे ठिकाने लगा दिया जाता है!
“मैं चोरी नहीं करता, टाइम फिक्स है!” – माफियाओं का बेहया ऐलान
ऑडियो में एक रेत माफिया पूरी बेशर्मी से कहता है, “मेरा टाइम फिक्स है, सुबह 4 बजे! मैं चोरी छिपके नहीं करता!” इसका मतलब साफ है – रेत माफिया कोई चोरी-छिपे धंधा नहीं कर रहे, बल्कि खुलेआम लूट मचा रखी है, और पूरा सिस्टम उनकी जेब में है!
“राघव बगारी लाइन हाजिर हो गया, बधाई हो!” – अपराधियों की जीत, ईमानदारी की हार!
ऑडियो में सबसे बड़ा धमाका तब हुआ जब एक माफिया ने कबूल किया कि सब-इंस्पेक्टर राघव बगारी ने जब उनके खिलाफ कार्रवाई की, तो उसे लाइन हाजिर करा दिया गया! माफिया खुशी से चिल्लाता है, “बधाई हो! बगारी साहब, आपका लाइन अटैच हो गया!” मतलब – जिसने अपराध के खिलाफ आवाज उठाई, उसे ही सिस्टम ने मिटा दिया!
और यह सिर्फ एक साजिश नहीं थी, बल्कि सुनियोजित बदला था। ऑडियो में एक माफिया खुद स्वीकार करता है, “राघव बगारी ने कोई गलत काम नहीं किया, बस मेरे साथ गलत किया था, इसलिए लाइन हाजिर हो गए!” यानि जिसने भी इनका धंधा रोका, उसका खेल खत्म कर दिया गया। यही है भालूमाड़ा का काला सच!
“पुलिस ही हमको पहले से खबर कर देती थी!” – अब क्या बचा कानून का डर?
ऑडियो में यह भी साफ हो गया कि पुलिस खुद ही माफियाओं को पहले से सतर्क कर देती थी। “कोतमा से फोन आ गया था कि आज गाड़ी मत लगाना, फील्डिंग बहुत तेज है!”
यानि कार्रवाई से पहले ही पुलिस अपने ही आकाओं को आगाह कर देती थी ताकि वे आसानी से बच सकें। यह बात साबित करती है कि पुलिस और माफियाओं का गठजोड़ इतना मजबूत है कि कानून की कोई औकात नहीं बची!
मंदिर में “धन्यवाद यात्रा!” – जब अफसर हटा, तब भगवान को प्रणाम
जब राघव बगारी को सस्पेंड किया गया, तो एक रेत माफिया खुशी से मंदिर गया और भगवान का धन्यवाद किया। “जैसे ही न्यूज़ आई कि बगारी साहब को लाइन हाजिर कर दिया गया, तब मैं मंदिर गया!”
सोचिए, जब अपराधी ईमानदार पुलिसवाले को हटाने पर मंदिर जाकर जश्न मनाएं, तो समझ लीजिए कि सिस्टम पूरी तरह सड़ चुका है!
“हम चोरी थोड़ी करते हैं, पैसा देते हैं!” – कौन है इनके गॉडफादर?
माफिया यह भी कहते हैं, “हम चोरी थोड़ी करते हैं, पैसा देते हैं! जब सपोर्ट मिलेगा, तो गाड़ी लगाएंगे, जब सपोर्ट नहीं मिलेगा, तो बंद कर देंगे!”
तो फिर सवाल उठता है – यह सपोर्ट कौन देता है?क्या नेता इनके पीछे खड़े हैं? क्या पुलिस इनकी जेब में है?
क्या प्रशासन खुद इनसे हिस्सा लेता है?
रेत माफियाओं का गढ़ – देवगवा से ऑपरेट हो रहा गैंग
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह पूरा रेत माफिया गैंग ग्राम पंचायत देवगवा से संचालित किया जा रहा है। देवगवा के कई प्रभावशाली लोगों के नाम इसमें सामने आ रहे हैं, जो पुलिस, प्रशासन और नेताओं तक अपनी पहुंच रखते हैं।
अब होगा कोई एक्शन या फिर नोटों की गर्मी में मामला ठंडा पड़ेगा?
अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इन रेत माफियाओं के खिलाफ कोई कड़ा कदम उठाएगा, या फिर हमेशा की तरह कुछ मोटी रकम लेकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
भालूमाड़ा में रेत माफियाओं का साम्राज्य दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, और कानून बेबस नजर आ रहा है। जनता जवाब चाहती है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस बार कोई सख्त कार्रवाई होगी, या फिर नोटों की बारिश में फिर से न्याय बिक जाएगा?