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भाषाओं के संरक्षण में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका” विषयक ऑनलाइन व्याख्यान एवं तकनीकी कार्यशाला का हुआ आयोजन

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भाषाओं के संरक्षण में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका” विषयक ऑनलाइन व्याख्यान एवं तकनीकी कार्यशाला का हुआ आयोजन

अमरकंटक। इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के कंप्यूटर विज्ञान विभाग एवं राजभाषा प्रकोष्ठ द्वारा दिनांक 31 जुलाई 2025 को “भाषाओं के संरक्षण में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका” विषयक ऑनलाइन व्याख्यान एवं तकनीकी कार्यशाला का आयोजन आभासी (ऑन लाइन) माध्यम से किया गया। उपर्युक्त कार्यशाला की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी द्वारा की गयी। मुख्य वक्ता के रूप में माइक्रोसॉफ्ट भारत के भारतीय भाषाएँ और सुगम्यता प्रभाग के निदेशक डॉ. बालेन्दु शर्मा दाधीच आभासी माध्यम से आमंत्रित रहे।

कंप्यूटर विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. नारायण पी. भोसले द्वारा कार्यक्रम संचालन की प्रक्रिया में प्रभारी कुलपति के प्रति उनके दिशानिर्देश के माध्यम से इस कार्यशाला के कार्यान्वयन हेतु आभार प्रदर्शित किया गया तथा विषय प्रवर्तन पर प्रारंभिक उद्बोधन प्रदान करने के लिए कंप्यूट्रॉनिक्स संकाय के अधिष्ठाता प्रो. नीरज कुमार राठौर को आमंत्रित किया गया।

प्रो. राठौर ने आभासी माध्यम से उपस्थित प्रभारी कुलपति, मुख्य वक्ता तथा समस्त अधिष्ठाताओं, विभागाध्यक्षों, संकाय सदस्यों, अधिकारियों, कर्मचारियों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों तथा पत्रकारों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (A.I.) पर आधारभूत चर्चा करते हुए इसकी वर्तमान एवं भावी संभावनाओं पर चर्चा की।

 

कार्यशाला के अगले चरण में डॉ. भोसले द्वारा आमंत्रित मुख्य वक्ता डॉ. बालेन्दु शर्मा दाधीच का वृत्तिक परिचय प्रदान किया गया तथा उनसे वक्तव्य प्रदान करने का अनुरोध किया गया। डॉ. दाधीच ने विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो ब्योमकेश त्रिपाठी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कार्यशाला के आयोजन में संलग्न समस्त शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक अधिकारियों / कर्मचारियों की प्रशंसा की तथा अपने विस्तृत व्याख्यान में भाषा के उत्तरोत्तर विकास में तकनीक के परिप्रेक्ष्य से उसकी ग्राह्यता की ओर प्रयास किए जाने पर चर्चा की। उन्होंने विश्व में हिंदी भाषा की पहुँच होने के बाद भी मंदारिन भाषा से पीछे रहने का कारण तकनीकी अभाव को बताया।

साथ ही वर्तमान जीवन में कंप्यूटर की अनिवार्यता के समान ही भविष्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (A.I.) के होने पर भी चर्चा की। उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के एलोरा पहल के माध्यम से गोंडी भाषा पर किए जा रहे कार्यों एवं इसके संरक्षण, देवनागरी लिपि से इसकी समानता जैसे तथ्य प्रस्तुत किए। इसके अतिरिक्त दैनंदिन कार्यों हेतु माइक्रोसॉफ्ट के ट्रांसलेटर ऐप तथा बिंग वेबसाइट में मौखिक / टंकित अनुवाद करने की सुविधा से भी अवगत कराया।

 

मुख्य वक्तव्य के पश्चात विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. दाधीच के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (A.I.) का प्रयोग करते हुए हिंदी भाषा का विकास तथा कार्यालय में इसके व्यापक एवं व्यावहारिक उपयोग की संभावनाओं पर चर्चा की।

इस प्रयोजन हेतु उन्होंने डॉ. दाधीच को विश्वविद्यालय में आमंत्रित किया जिससे अधिकाधिक स्तर पर इसका लाभ सभी को प्राप्त हो सके। प्रो. त्रिपाठी ने स्पष्ट किया कि तकनीक के अभाव में प्रगति संभव नहीं है तथा हमें हिंदीतर समुदाय की सुगमता का भी ध्यान रखना होगा l

विश्वविद्यालय सक्षम तथा निपुण विशेषज्ञों के प्रशिक्षण के अधीन कृत्रिम बुद्धिमत्ता (A.I.) से संबंधित कार्यक्रम आयोजित करने के लिए तत्पर है। प्रो. त्रिपाठी ने आगामी प्रत्यक्ष कार्यशालाओं एवं प्रशिक्षणों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (A.I.) से संबंधित 10 बिंदु निर्धारित करने तथा उन पर कार्य करने की संभावनाओं पर अपने विचार व्यक्त किए l

 

कार्यशाला के अंतिम चरण में कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अर्चना श्रीवास्तव द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया जिन्होंने माननीय कुलपति महोदय, डॉ. बालेन्दु शर्मा ‘ दाधीच’, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, प्रो. विकाश सिंह, प्रो. नीरज कुमार राठौर, डॉ. नारायण पी. भोसले, उपस्थित समस्त अधिष्ठाताओं, विभागाध्यक्षों, अधिकारियों, कर्मचारियों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों,सहित धन्यवाद ज्ञापित करते हुए संयोजन एवं उपस्थिति से संबंधी सबके प्रयासों की सराहना की। ऑनलाइन व्याख्यान एवं तकनीकी कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हुई।

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