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महाकाली महोत्सव संगठन सोहागपुर , शहडोल द्वारा इस वर्ष भी दीपावली की रात्रि 12 बजे होगी महाकाली की स्थापना

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महाकाली महोत्सव संगठन सोहागपुर , शहडोल द्वारा इस वर्ष भी दीपावली की रात्रि 12 बजे होगी महाकाली की स्थापना

 

बघेलखंड क्षेत्र के पारंपरिक काली नृत्य, और पूजन से चमत्कृत हो उठेगा सोहागपुर गढ़ी प्रांगण

 

20 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक आयोजित होंगे विविध कार्यक्रम, एवं 25 अक्टूबर को भव्य शोभा यात्रा के साथ होगा मां काली का विसर्जन।

 

सोहागपुर का काली महोत्सव ऐतिहासिक एवं पारंपरिक महत्व रखने वाला शहडोल संभाग का एकमात्र महोत्सव है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालू आते हैं।

 

मां काली की स्थापना के संबंध में पौराणिक कथाओं में कई कथाएं हैं, जिनमें सबसे प्रमुख शुम्भ-निशुम्भ राक्षसों के वध की कथा है।

इस कथा के अनुसार, मां दुर्गा के माथे से क्रोधित होकर काली का अवतरण हुआ था, जिन्होंने राक्षसों का संहार कर सृष्टि की रक्षा की।

इसके अलावा, कुछ अन्य कथाएं मां काली के जन्म और स्थापना के विभिन्न पहलुओं को बताती हैं।

शुम्भ-निशुम्भ वध की कथा

जब शुम्भ-निशुम्भ नामक दैत्यों ने देवताओं को पराजित कर दिया, तो सभी देवताओं ने मां दुर्गा का आह्वान किया।

मां दुर्गा के ललाट से प्रचंड रूप में मां काली का जन्म हुआ।

उन्होंने चंड और मुंड जैसे राक्षसों का संहार किया और फिर रक्तबीज जैसे अन्य राक्षसों को भी समाप्त कर दिया।

अन्य कथाएं जैसे

शिव के शरीर से उत्पत्ति: एक अन्य कथा के अनुसार, मां पार्वती का एक अंश शिव के गले में स्थित विष से उत्पन्न हुआ। शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोला और मां काली का विकराल रूप सामने आया।

कालिका और महाकाल: तंत्र शास्त्र के अनुसार, मां काली महाकाल के ऊपर विराजमान हैं और उन्हें सृजन और संहार की ऊर्जा प्रदान करती हैं।

मां काली की स्थापना का महत्व –

मां काली भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें शत्रुओं से बचाती हैं।

वह भक्तों को कष्टों से मुक्त करती हैं और मोक्ष प्रदान करती हैं। काली को सृजन और संहार की शक्ति के रूप में पूजा जाता है।

महाकाली महोत्सव संगठन सोहागपुर शहडोल ने सभी श्रद्धालुओं से इस महोत्सव में सम्मिलित होने का आग्रह किया है।

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