मसीरा में माफिया राज: नियम-कानून ताक पर, अवैध खदान से बगैर सीमांकन बालू का धंधा चरम पर
शहडोल।जिले के ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र के मसीरा ग्राम पंचायत में रेत माफियाओं का दबदबा कायम है। नियम, कायदे और कानून को ठेंगा दिखाते हुए यहां अवैध खदान का संचालन हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि मसीरा घाट पर बिना किसी वैध अनुमति और सीमांकन के रेत का खनन किया जा रहा है। इस बात को लेकर ग्रामीणों ने दर्जनों पर शासन प्रशासन के सामने शिकायत की है लेकिन उनकी शिकायतों पर कभी भी कोई कार्यवाही नहीं होती है चाहे वह बेरोजगारी का मामला हो या ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार में रखकर नियम कायदे कानून को पूरा करने का फोरम तक को पूरा करना जरूरी नहीं समझते हैं
पुल के पास खनन पर रोक, फिर भी जारी कारोबार
शासकीय गाइडलाइन के मुताबिक पुल से 900 मीटर की दूरी पर ही रेत खनन की अनुमति है, लेकिन मैनेजमेंट और माफिया गठजोड़ के बल पर इस नियम को दरकिनार कर दिया गया है। खदान सीमा क्षेत्र से बाहर जाकर भी खनन किया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि इस बात की जानकारी क्षेत्रीय लोगों के साथ-साथ खनिज विभाग के अधिकारी को नहीं है उन्हें पूरी तरह पता है कि खदान अवैध तरीके से अवैध सीमांकन वाली जगह पर खुदाई चालू है और लाखों का आवारा न्यारा प्रतिदिन किया जा रहा है लेकिन फिर भी प्रशासनिक अम्लों में कमजोरी के बाद भी धड़क भी लगाम या खदान संचालित हो रही है
24 घंटे चल रही मशीनों से खुदाई
खदान पर पोकलेन और जेसीबी मशीनें 24 घंटे चल रही हैं, जबकि नियम के अनुसार इन्हें सिर्फ शासकीय मापदंड के कुछ चिन्हित घंटे तक चलने की अनुमति है। लेकिन मैनेजमेंट के आगे नियम कायदे कानून सब जीरो हो जाते हैं नदी के किनारे सैकड़ो जीव जंतु निवास करते हैं लेकिन रात के अंधेरों में मशीनों को और भी ज्यादा करके शोर गुल मचाने का काम कर रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि मशीनों की संख्या और मशीनों की घटा तय होते हैं कि उन्हें कितने समय तक चला सकते हैं लेकिन अनुभूति 24 घंटे की समझ कर रात दिन एक करते हुए कोलाहल मचाना अपना कर्तव्य समझकर चीख पुकार मचाते रहते हैं, जिससे वन क्षेत्र के जंतु भी उक्त क्षेत्र को छोड़कर अन्य जगह जाकर शरण ढूंढने को मजबूर हो जाते हैं। इन्हीं सब कारणों से जंगल के शेर शहरों में आकर घूम रहे हैं और हम वजह तलाश कर रहे हैं इसके अलावा, ग्राम पंचायत क्षेत्र में हैंड लोडिंग से रोजगार देने का भी प्रावधान है, लेकिन माफिया नियमों का पालन करना तो दूर, ग्रामीणों को बेरोजगार बना रहे हैं
पुष्पा की तर्ज पर चल रहा अवैध कारोबार
खदान पर ठेकेदार और माफिया
पुष्पा फिल्म के किरदार की तरह कानून की परवाह किए बिना दिन-रात खुदाई में जुटे हुए हैं ग्रामीणों का कहना है कि रेत के अवैध खनन से उनके रोजगार के अवसर खत्म हो गए हैं। ठेका लेते समय ठेकेदारों ने स्थानीय लोगों को रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन अब वे सिर्फ मशीनों पर निर्भर हैं
सीमांकन नहीं, शिकायतों के बावजूद कार्रवाई दूर
खदान का अब तक सीमांकन नहीं किया गया है और यह पूरी तरह अवैध तरीके से संचालित हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों की मिलीभगत के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। अगर शासकीय अमला उक्त रेत खदान के सीमांकन करके उस जगह की तलाश करें तो दूर-दूर तक उक्त खदान का खसरा नंबर खुदाई वाले जगह से मिलान नहीं होगा लेकिन यह करेगा कौन यह अपने आप में बड़ा सवाल है