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नर्मदा महोत्सव में पत्रकार हुए छल-कपट के शिकार

अनूपपुर /ओंकार सिंह

 

नर्मदा महोत्सव में पत्रकार हुए छल-कपट के शिकार

अनूपपुर जनसंपर्क विभाग ने इस बार झूठ बोलने और अनूपपुर जिले के पत्रकारों के साथ ऐसा खेल खेला की बहुत से पत्रकार सोच में पड़ गए कि ,मां नर्मदा की पावन नगरी में जहां लोग मां नर्मदा कि पवित्र कसमें खाते हैं लेकिन ऐसा खेला गया खेल जिसमें जनसंपर्क विभाग अनूपपुर के सुपर पीराओ और कठपुतली आधिकारी कुसुम मरकाम ने तो पत्रकारों के साथ ऐसा भेद भाव किया जिससे कोई अपेक्षा नहीं की जा सकती थी ,गुमराह से लेकर जातिवाद,भेदभाव जैसे तमाम दुर्भावना पूर्ण रवैया देखने को मिला जिसे देखकर यह कहना उचित होगा कि ,जब अन्याय के खिलाफ लडने वाले या आवाज उठाने वाले पत्रकार ही शिकार हो गए जातिवाद और छल-कपट का तो आम आदमी तो हो ही सकते हैं,

आइए जानते हैं क्या था और क्या क्या घटी पत्रकारों के साथ घटना

पहले व्यवस्था को साफ नकारा किया गया,कि कोई व्यवस्था नहीं ,फिर चंद लोगों को आने जाने की व्यवस्था ,रूकने की व्यवस्था ,नर्मदा महोत्सव कार्यक्रम आयोजित मे प्रिंटेड टी शर्ट ,जैकेट ,और भी व्यवस्था चंद लोगों को बाकी पत्रकारों को कोई सूचना नहीं ,न कि कोई व्यवस्था ,जाए भाड़ में,, मां नर्मदा की पावन स्थली अमरकंटक में अधर्म का राज कायम किया गया ,

झडप भी हुई थी पत्रकारों के सम्मान के लिए , लेकिन सुपर पीराओ रजनीश त्रिपाठी रोड़ा बने पत्रकारों के लिए,

पत्रकारों के लिए बैठक व्यवस्था में ,सब्जी वालों ,पान ठेला वालों कि इंट्री भी हुई ,उसके बाद पत्रकारों की सुरक्षा ढील दे दी गई जैसा कि पहले कुछ सुनियोजित था या

फिर पत्रकारों कि क्या जरूरत थी अमरकंटक में बुलाने की जब अपमान ही करना था ,

सुरक्षा व्यवस्था की थी बड़ी चूक प्रयागराज की तरह हो सकता था कांड ,पत्रकारों की बलि चढ़ाने में आतुर थी जनसंपर्क विभाग ,और किसके कहने पर पत्रकारों को सुरक्षा व्यवस्था मुहैय्या कराने की जगह में ढील दी गयी ,या कहीं पत्रकार निशाने में तो नहीं थे ,वक्त रहते पत्रकारों ने भीड़ से बचकर निकले

कहीं न कहीं पत्रकारों के खिलाफ छल कपट में अनूपपुर जनसंपर्क विभाग का था बड़ा हाथ

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