यूरोप से लौटे प्रतिनिधिमंडल की डॉ. राकेश मिश्रा से प्रेरक भेंट
भारतीय संस्कृति, योग और आयुर्वेद के वैश्विक प्रसार पर हुई सार्थक चर्चा
नई दिल्ली
योग और आयुर्वेद की यूरोपीय देशों में सफल यात्रा के पश्चात दद्दा जी इंटरनेशनल कल्चर सेंटर एवं मतँगेश्वर सेवा समिति, खजुराहो के पंडित सुधीर शर्मा के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने गणेश प्रसाद मिश्रा सेवा न्यास के अध्यक्ष, भारतीय एमेच्योर बॉक्सिंग फेडरेशन के प्रमुख तथा भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं गृह मंत्री अमित शाह जी के पूर्व प्रमुख सचिव डॉ. राकेश मिश्रा से सौजन्य भेंट की।
इस अवसर पर इंडो यूरोपियन बिजनेस काउंसिल के विनीत सियाल, परिवर्तन एनजीओ तथा ब्रह्मबाबा फाउंडेशन की सुश्री आकांक्षा टिक्कू उपस्थित रहीं।
भेंट के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने यूरोप प्रवास के दौरान आयोजित योग, आयुर्वेद एवं भारतीय संस्कृति से संबंधित कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने यूरोप में बसे प्रवासी भारतीय समुदाय की ओर से डॉ. मिश्रा को यूरोप आगमन का विशेष निमंत्रण भी प्रदान किया।
डॉ. मिश्रा ने इस आमंत्रण को सहर्ष स्वीकार करते हुए कहा कि वे दीपावली से पूर्व आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेने हेतु यूरोप जाएंगे, जहाँ वे बुंदेलखंड, राजस्थान और गुजरात से संबंध रखने वाले प्रवासी भारतीयों से प्रमुख रूप से मुलाकात करेंगे।
फ्रांस से आए दोड ग्रुप के रईस भारती, जो पद्मश्री सम्मान के प्रबल दावेदार हैं, ने इस अवसर पर डॉ. मिश्रा को “बुंदेलखंड एवं राजस्थान आर्ट एंड कल्चर” शीर्षक पुस्तक भेंट की। यह पुस्तक एक प्रसिद्ध फ्रांसीसी लेखक द्वारा लिखी गई है, जिसमें भारती के जीवन, उनके योगदान और भारतीय लोककला एवं संगीत के संरक्षण और संवर्धन में निभाई गई भूमिका का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है वह पिछले दो दशकों से बुंदेलखंड और राजस्थान की लोककला, लोकसंगीत, नृत्य तथा पारंपरिक वाद्ययंत्रों के पुनर्जीवन के लिए निरंतर कार्यरत हैं। उन्होंने इन क्षेत्रों की लोकधुनों को अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँचाकर भारतीय लोकसंस्कृति को नई पहचान दिलाई है। उनके प्रयासों से भारत की ग्रामीण संस्कृति आज यूरोप सहित अनेक देशों में सम्मान और जिज्ञासा का विषय बन चुकी है।
डॉ. राकेश मिश्रा ने सभी अतिथियों का आत्मीय स्वागत करते हुए उन्हें गणेश प्रसाद मिश्रा सेवा न्यास की विशेष पुस्तक और माँ श्री अन्नपूर्णा का पवित्र स्मृति-चिन्ह भेंट किया।
उन्होंने प्रतिनिधिमंडल के सांस्कृतिक कार्यों की सराहना करते हुए कहा —
> “भारतीय संस्कृति की जड़ें अत्यंत गहरी हैं, और इसे विश्व मंच पर स्थापित करना प्रत्येक भारतीय का पवित्र कर्तव्य है।”
यह सार्थक एवं प्रेरणादायक भेंट भारत और यूरोप के मध्य सांस्कृतिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक सहयोग के एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक सिद्ध हो रही है।


















