जालंधर वध एवं बेल पत्र की महिमा की कथा सुनकर भाव विभोर हुए श्रोता
रिपोर्टर हुकुम सिंह
उमरिया जिले के नौरोजाबाद तहसील अंतर्गत ग्राम महुरा (गोगा नगरी )मे महाराणा क्षत्रिय महासभा समिति के द्वारा आयोजित शिव महापुराण एवं पंचकुण्डीय रुद्र महायज्ञ की कथा मे व्यास पीठ के द्वारा जालंधर वध एवं बेलपत्र महिमा कथा सुनाई गई, कथा व्यास सुश्री जया देवी के द्वारा पहले बेल पत्र की महिमा को बताते हुए कहा की महा शिवरात्रि एवं साप्ताहिक सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना मे बेलपत्र का बड़ा महत्व है मान्यता है की आस्था के साथ भगवान शिवलिंग पर बेल पत्र अर्पित किए जाए तो तब भी भगवान भोले नाथ भक्तो की हर मनोकामना पूर्ण करते है शिव महापुराण के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है मान्यता है की बेलपत्र तीनो पत्ते त्रिनेत्र स्वरूपम भगवान शिव के तीनो नेत्रों को बहुत प्रिय है बेलपत्र पूजन से सभी पापों का नाश भी होता है स्कंद पुराण के अनुसार बेल पत्र की उत्पत्ति के संबंध के बारे मे बताया गया है की एक बार माता पार्वती ने अपने लालट पर आया पसीना पोछकर उसे फेक दिया था,माँ के पसीने की कुछ बुँदे मदार पर्वत पर पड़ी थी कहते है उसी से बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ,जिस कारण भगवान शिव को बेलपत्र बहुत प्रिय है आगे उन्होंने जालंधर वध की कथा सुनाते हुए कहा की एक बार महादेव ने अपना अंश समुद्र में फेंक दिया था,जिससे यह महाबली दैत्य उत्पन्न हुआ, शुक्राचार्य ने उसे दैत्य गुरु बना दिया,और वह अपनी पत्नी के पतिव्रता धर्म के फल से सर्व शक्तिशाली हो गया, स्वयं त्रिदेव भी उसके सामने नहीं टिक पाते थे,तब विष्णु जी एवं शिव ने युक्ति बनाकर उसका बध किया, पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय जालंधर को अपनी शक्ति पर अभिमान हो गया था इस लिए उसने भगवान नारायण की पत्नी को मारना चाहा जिसके लिए उसके द्वारा बैकुंठ में हमला कर दिया गया,बैकुंठ मे वह माता लक्ष्मी को देखकर मोहित हो गया,परन्तु माता लक्ष्मी ने स्वयं की रक्षा करने के लिए जालंधर से कहां की तुम्हारे मन मे जो भी इच्छा हो वह त्याग दो,जल से जन्म लेने के कारण हम दोनों भाई बहन है इस लिए जो तुम सोच रहे हो वह संभव नहीं है इस बात से जालंधर प्रभावित हुआ था,यह देख नारायण ने जालंधर की पत्नी वृंदा का पतिव्रत धर्म को भंग करने के लिए जालंधर का रूप बनाया था,इधर भगवान के छल से उसका पतिव्रत धर्म भंग हो गया,उधर भगवान शिव ने त्रिशूल से जालंधर का वध कर दिया, बेलपत्र महिमा और जालंधर बध की कथा सुनकर समस्त श्रोता भाव विभोर हो गए ,शिवमहापुराण कथा सुनने आ रहे समस्त श्रद्धालु कथा स्थल मे चल रहे पंचकुण्डीय रुद्र महायज्ञ के यज्ञ स्थल का परिक्रमा कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे है