गुलाब कमरो का सरकार पर हमला:शिक्षा में कटौती, शराब में बढ़ोतरी
एमसीबी।छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बड़ा और विवादित फैसला लेते हुए राज्य के 10,463 स्कूलों का युक्तिकरण (विलय) करने का आदेश जारी कर दिया है। इसमें ई-संवर्ग के 5,849 और टी-संवर्ग के 4,614 स्कूल शामिल हैं। इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
सरकार का दावा है कि इस कदम से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार, राज्य में 212 प्राथमिक स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है, जबकि 6,872 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक कार्यरत हैं। ऐसे में स्कूलों के एकीकरण से संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और शिक्षक विहीन स्कूलों में स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी।
लेकिन इस निर्णय ने बेरोजगारी के मोर्चे पर एक नई बहस छेड़ दी है। पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा—> “मोदी की गारंटी क्रमांक 4 में दो साल में एक लाख खाली पदों पर भर्ती का वादा किया गया था। लेकिन अब 10,463 स्कूलों को बंद किया जा रहा है। यह किस तरह का सुशासन है? स्कूलों को बंद कर बेरोजगारों का हक मारा जा रहा है, और दूसरी तरफ शराब दुकानों की संख्या बढ़ रही है।”
कमरो का कहना है कि यह फैसला सरकार के वादों के खिलाफ है और इससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर कम होंगे।
वास्तविकता यह है कि राज्य के कई स्कूल या तो शिक्षक विहीन हैं या फिर छात्रों की उपस्थिति नगण्य है। आंकड़े बताते हैं कि 362 स्कूलों में शिक्षक तो हैं, लेकिन एक भी विद्यार्थी नहीं है। वहीं, 255 स्कूल ऐसे हैं जहाँ केवल एक शिक्षक तैनात है।
सरकार की मंशा भले ही शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की हो, लेकिन विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता इसे एक “कठोर कदम” मान रहे हैं, जो न केवल शिक्षकों की संभावनाओं पर असर डालेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की पहुँच को भी सीमित कर सकता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि इस निर्णय के दूरगामी परिणाम क्या होंगे—क्या यह वाकई शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाएगा, या फिर यह बेरोजगारी और शिक्षा संकट को और गहरा करेगा?