वाददाता भरत रावत/डबरा
डबरा। दीपावली के दूसरे दिन मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा, घर-घर में उल्लास और भक्ति के साथ संपन्न हुई। मान्यता है कि द्वापर युग में जब इंद्रदेव ने गोकुल वासियों पर क्रोधित होकर भारी वर्षा की थी, तब भगवान श्री कृष्ण ने अपनी एक उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी की रक्षा की थी। इसी घटना के स्मरण में गोवर्धन पूजा का आयोजन होता है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण की शक्ति और संरक्षण को नमन किया जाता है।
सुबह से ही श्रद्धालुओं ने गाय के गोबर से गोवर्धन बनाए और उन पर ताजा वनस्पतियों से सजावट की। श्रीमती मंजू लता तिवारी के अनुसार, “यह पूजा समृद्धि और शांति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए गोवर्धन की पूजा कर उन्हें भोग अर्पण किया जाता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और बुराइयों से रक्षा बनी रहे।”
इस पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व गहरा है, जिसमें पूरे परिवार के साथ मिलकर गोवर्धन के प्रतीक को सजाया जाता है और उनके समक्ष दीप जलाकर मंगल कामनाएं की जाती हैं। गोवर्धन पूजा का यह पर्व हमें भगवान श्री कृष्ण के अद्वितीय साहस और उनकी लोक कल्याण की भावना की याद दिलाता है।