मनेन्द्रगढ़ में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया गोपाष्टमी पर्व,गौ माता की पूजा-अर्चना के लिये उमड़ा जनसमुदाय
गौसेवा और संरक्षण का लिया संकल्प
मनेन्द्रगढ़। नगर में बुधवार को गोपाष्टमी पर्व श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया गया। प्रातःकाल से ही विभिन्न मंदिरों, गौशालाओं और धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। महिलाएँ पारंपरिक वेशभूषा में हाथों में पूजन सामग्री लिये गौमाता की पूजा-अर्चना के लिये उत्साहित दिखाई दीं।
पूजन-अर्चन और भक्ति का वातावरण
सुबह से ही गौशाला सहित अन्य धार्मिक स्थलों में भक्ति गीतों और घंटानाद की गूंज सुनाई देती रही। श्रद्धालुओं ने गौ माता को स्नान कराया, तिलक लगाया, पुष्प-माला और गुड़-चारा अर्पित किया। बच्चों ने भी उत्साहपूर्वक गौ माता को खिलाया और गौ सेवा का महत्व जाना। गौशाला परिसर में महिलाओं ने मंगल गीत गाये और भजन-कीर्तन में भाग लिया। वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक और श्रद्धामय बना रहा। कई श्रद्धालुओं ने गौशाला में दान-पुण्य किया तो किसी ने आर्थिक सहयोग प्रदान किया।
गोपाष्टमी पर्व पर नगर के सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों ने भी गौसंवर्धन और संरक्षण के संदेश दिए। गौसेवा समिति, विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठनों के सदस्यों ने बताया कि भारतीय संस्कृति में गौ माता को माता का दर्जा दिया गया है क्योंकि उनके माध्यम से मनुष्य, पर्यावरण और कृषि तीनों का संतुलन बना रहता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि गौवंश की सेवा केवल पूजा तक सीमित ना रहे बल्कि उनके संरक्षण के ठोस प्रयास किए जाएँ।
श्रद्धालुओं की भावनाएँ और संदेश
स्थानीय नागरिकों का कहना था कि गोपाष्टमी ना केवल धार्मिक पर्व है बल्कि यह गौसंवर्धन और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक भी है।
श्रद्धालु नित्यानंद द्विवेदी ने बताया कि गौ माता हमारी संस्कृति की आत्मा हैं। उनका आशीर्वाद घर परिवार में सुख-समृद्धि लाता है वहीं श्रद्धालु महिलाओं ने कहा कि वे प्रतिवर्ष इस दिन गौ सेवा में भाग लेकर आत्मिक संतोष अनुभव करती हैं।
भजन-कीर्तन के साथ श्रद्धालुओं ने गौ माता की महिमा का गुणगान किया। जगह-जगह प्रसाद वितरण का आयोजन भी किया गया। पूरे दिन नगर में भक्ति, दया और सेवा का अनुपम संगम देखने मिला। श्रद्धालु देर शाम तक गौशाला में दर्शन कर पुण्यलाभ लेते रहे।


















