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गोहांडरा का पावर प्लांट: 12 मेगावाट की आड़ में काला कोयला, सफेद झूठ और नियमों की ताबड़तोड़ धज्जियाँ

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गोहांडरा का पावर प्लांट: 12 मेगावाट की आड़ में काला कोयला, सफेद झूठ और नियमों की ताबड़तोड़ धज्जियाँ

अनूपपुर जिले के गोहांडरा डोंगरतला गांव की जमीन पर कभी एक हरित क्रांति की नींव रखी गई थी। आर्या एनर्जी लिमिटेड द्वारा संचालित 12 मेगावाट क्षमता वाला बायोमास पावर प्लांट इस उम्मीद के साथ मंजूर हुआ था कि यह स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का आदर्श बनेगा — बायोमास जैसे चावल की भूसी, पुआल, लंताना, यूकेलिप्टस, लकड़ी अपशिष्ट आदि का उपयोग कर पर्यावरण के अनुकूल बिजली उत्पन्न करेगा। लेकिन आज, यही संयंत्र कथित ‘हरित ऊर्जा’ की जगह ‘काले धंधे’ और ‘कोयले की कालिख’ का केंद्र बन गया है

केशवाही का वह अवैध खदान जहां से कोयला चोरी होता है

 

इस प्लांट को सरकार की स्पष्ट नीति के तहत मंजूरी मिली थी: कुल 89,812 टन वार्षिक कच्चे माल में से 80,831 टन यानी 90% बायोमास और केवल 8,981 टन (10%) कोयले का उपयोग — वह भी सिर्फ सह-ईंधन (Co-firing) के रूप में। उद्देश्य था किसानों की फसल अवशेष से बिजली बनाना और प्रदूषण कम करना। मगर हकीकत इससे उलट है — प्लांट में अब 90 से 100 प्रतिशत तक कोयले का ही इस्तेमाल हो रहा है, वह भी खुल्लम-खुल्ला अवैध कोयला!

हैरानी की बात यह है कि यह प्लांट मूल रूप से बायोमास आधारित है, जिसे कोयले की सीमित मात्रा (सिर्फ 10%) सह-ईंधन के रूप में उपयोग करने की अनुमति है। इसके बावजूद परिसर में इस समय 2,500 से 3,000 टन कोयले का अवैध स्टॉक मौजूद है, जो नियमों की खुलेआम अवहेलना है। इतनी बड़ी मात्रा में कोयले का भंडारण स्पष्ट रूप से इस बात का सबूत है कि यह प्लांट अब हरित ऊर्जा का केंद्र नहीं,
मिनी थर्मल पावर प्लांट है

स्थानीय कर्मचारियों, ट्रक चालकों और गांववासियों की मानें तो यह कोयला किसी अधिकृत खदान से नहीं, बल्कि केशवाही क्षेत्र से अवैध खनन कर लाया जा रहा है। दर्जनों ट्रक रोज़ाना रात के अंधेरे में नहीं, बल्कि दिन-दहाड़े इस कोयले से लदे होकर प्लांट में घुसते हैं — न रोक, न तलाशी, न जांच। जैसे यह कोई ‘नो रूल ज़ोन’ हो, जहां न कानून की पहुंच है, न शासन की चिंता

इस पूरी प्रक्रिया में न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि वायु (प्रदूषण नियंत्रण और निवारण) अधिनियम, 1981, कोल माइन्स (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट, 2015, और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 की भी सरेआम धज्जियाँ उड़ रही हैं। इन सबके बावजूद प्रशासन की चुप्पी और विभागों की निष्क्रियता अपने आप में सबसे बड़ा अपराध प्रतीत होती है।

कोई सोच भी नहीं सकता कि जिस संयंत्र को बायोमास आधारित कहकर सरकारी सब्सिडी, छूट और लाइसेंस मिले थे, वह अब ‘मिनी कोल बेस्ड थर्मल पावर स्टेशन’ बनकर पर्यावरणीय विनाश और भ्रष्टाचार का प्रतीक बन चुका है। चिमनियों से निकलता धुआं अब बिजली से ज़्यादा ज़हर उगल रहा है। हवा में फैले कण, राख और सल्फर की गंध अब गांव के बच्चों की सांसों में समा रही है, और कोई पूछने वाला नहीं

अभी तक न प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोई निरीक्षण किया, न कोई रिपोर्ट जारी की गई। न जिला प्रशासन ने सच्चाई जानने की कोशिश की और न ही खनिज विभाग ने कोई एफआईआर दर्ज की। यह चुप्पी — चाहे वह डर की हो, मिलीभगत की या ‘ऊपरी दबाव’ की — अब संदेह नहीं, बल्कि सच्चाई बन चुकी है।

इस प्लांट ने सरकार की बायोमास को-फायरिंग नीति (2017 और 2021) का न केवल मज़ाक बनाया है, बल्कि देशभर में बायोमास आधारित ऊर्जा पर उठते भरोसे को भी ठेस पहुंचाई है। किसान, जिनकी पराली इस प्लांट के लिए ईंधन बन सकती थी, आज भी उस पराली को जलाने को मजबूर हैं — और इस पावर प्लांट में धड़ल्ले से जल रहा है ‘केशवाही का काला हीरा’

प्रश्न अब यह नहीं है कि यह गड़बड़ी हो रही है — प्रश्न यह है कि इसे कौन संरक्षण दे रहा है? कौन है वह हाथ जो इन ट्रकों की रफ्तार को हर रात और हर सुबह सुरक्षा की चादर में ढंक देता है? कौन हैं वे अफसर, जो हवा में ज़हर घोलते इस संयंत्र को देखकर भी अंजान बने हुए हैं?

स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों ने अब इस घोटाले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वे इसे ‘हरित ऊर्जा के नाम पर चल रही काली कमाई की प्रयोगशाला’ घोषित कर चुके हैं। आने वाले दिनों में यह मामला सिर्फ गोहांडरा तक सीमित नहीं रहेगा — यह मध्य प्रदेश और भारत में हरित ऊर्जा की विश्वसनीयता पर एक गहन सवालिया निशान खड़ा करेगा

अगर अब भी सरकार नहीं जागी, तो यह सिर्फ एक प्लांट की नहीं, एक नीति की, एक विश्वास की और एक पीढ़ी की हार होगी। और वह धुआं जो आज आसमान में उड़ रहा है, वह कल तक लोगों के दिल और दिमाग को इस तंत्र पर से उठते विश्वास की तरह धुंधला कर देगा

2500 से 3000 टन कोयले का स्टॉक वर्तमान समय में प्लांट में रखा हुआ है यह किस नियम के तहत आया यह गहन जांच का विषय है

इनका कहना है
इस पूरे मामले के संदर्भ में आपको चंद्र कुमार उपाध्याय द्वारा जानकारी दी जाएगी

मनोज मिश्रा महाप्रबंधक आर्या एनर्जी पावर प्लांट रेउला

इनका कहना है

हमारे पास प्लांट में भूसा भी उपलब्ध है रही बात कोयला चोरी का केसवाहीं से आने वाला खरीदने की तो अगर ऐसा है तो मैं उसे स्वयं पकड़वाऊंगा

चंद्र कुमार उपाध्याय एचआर मैनेजर आर्या एनर्जी पावर प्लांट रेउला कोतमा

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