जल, जंगल और जमीन’ पर अधिकार की लड़ाई—पूर्व सरपंच उमाकांत सिंह उईके के नेतृत्व में परौर में उभरा विरोध
महिलाओं ने भी संभाला मोर्चा, कहान जमीन देंगे न पानी हमारा गांव नहीं बिकेगा किसी कीमत पर
जमुनाकोतमा जिला मुख्यालय अनूपपुर के ग्राम पंचायत परौर में आज अनूपपुर थर्मल एनर्जी म०प्र० प्राइवेट लिमिटेड (जिसे ग्रामीण अडाणी समूह का प्रोजेक्ट बता रहे हैं) द्वारा बिछाई जा रही भूमिगत वाटर पाइपलाइन के खिलाफ ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा ग्रामीणों ने काम रुकवाते हुए कंपनी और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की
पूर्व सरपंच उमाकांत सिंह उईके की अगुवाई में ग्रामीणों ने इसे मध्य प्रदेश पेसा नियम 2022 (PESA Rules 2022) का सीधा उल्लंघन बताया है
क्या है ‘पेसा’ कानून का पेंच?
प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का नेतृत्व कर रहे पूर्व सरपंच उमाकांत सिंह उईके ने आरोप लगाया कि परौर का यह पूरा प्रकरण पेसा नियमों के सीधे उल्लंघन का एक स्पष्ट मामला है उन्होंने कहा कि ये नियम अनुसूचित क्षेत्रों में “जल, जंगल और जमीन” पर अंतिम अधिकार ग्राम सभा को देते हैं
नियमों के अनुसार, किसी भी निजी या सरकारी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण करने, सर्वे करने या गाँव के प्राकृतिक संसाधनों (जैसे नदी या तालाब) का उपयोग करने से पहले ग्राम सभा की “अनिवार्य सहमति” लेना आवश्यक है ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी ने बिना कोई सहमति या सूचना दिए, सर्वे के लिए पत्थर गाड़कर काम शुरू करने का प्रयास किया
SDM ने माना- “बिना बताए हुआ सर्वे”, पर कहा- “ग्रामीण भ्रमित हैं
हंगामे की सूचना पर मौके पर पहुंचे SDM कमलेश पुरी ने रिपोर्टर को बताया कि उन्हें जानकारी मिली थी कि यह सर्वे “बिना ग्राम सभा में बताए” किया गया था
उन्होंने कहा, “इस संबंध में हमने चर्चा की है और फिलहाल काम रोक दिया गया है पहले इस पर एक बार फिर ग्राम सभा की बैठक की जाएगी, उसके बाद ही अग्रिम कार्रवाई होगी
हालांकि, SDM पुरी ने ग्रामीणों के विरोध को भ्रम की स्थिति बताया उन्होंने कहा, “ग्रामीण अभी कुछ भ्रमित हैं, उन्हें बताने की आवश्यकता है क्योंकि यह प्रोजेक्ट है, वो तो बनेगा ही उन्होंने ग्रामीणों की जल स्तर घटने की आशंका को भी खारिज करते हुए कहा, नहीं नहीं, ऐसी कोई स्थिति नहीं बनती है
हमें आमदनी नहीं, उलटा घटेगा पानी”—उप-सरपंच
प्रशासन के भ्रमित वाले बयान के ठीक उलट, ग्राम पंचायत परौर के उप-सरपंच लखनलाल केवट ने ग्रामीणों के पक्ष को पूरी मजबूती से रखा उन्होंने SDM के दावों को सिरे से खारिज कर दिया
श्री केवट ने कहा, “हमारा आखिरी निर्णय है कि हम पानी नहीं देंगे हमें इस प्रोजेक्ट से कोई आमदनी नहीं दिख रही है, उल्टा हमें बताया जा रहा है कि इससे हमारा ‘पानी का स्रोत घटते क्रम’ में चला जाएगा
उन्होंने अधिकारियों पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा, “हम इसके लिए 4-5 बार मीटिंग कर चुके हैं लेकिन न कंपनी, न कलेक्टर, न SDM हमारी सुन रहे थे आज विरोध के बाद SDM ने काम रुकवाया है
“गांव बचाएंगे, मुआवज़ा नहीं चाहिए महिलाओं ने संभाला मोर्चा
विरोध प्रदर्शन में गांव की महिलाओं ने भी कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है ग्रामीण महिला श्रीमती संतोषी बाई ने कहा, “हम कंपनी को पानी नहीं देंगे, हम अपने गांव को बचाएंगे न हमें मुआवज़ा चाहिए, न कोई लालच हम अपनी ज़मीन ही नहीं देंगे
एक अन्य महिला श्रीमती फूल कुमारी ने भी दो टूक कहा, “यहाँ से न पानी जाएगा, न ज़मीन देंगे, और न यहाँ कंपनी बैठेगी किसी कीमत पर नहीं
फिलहाल, SDM कमलेश पुरी के आश्वासन के बाद काम रुका हुआ है लेकिन ग्रामीणों के उग्र तेवर और ‘पेसा कानून’ के उल्लंघन के आरोपों ने इस पूरे प्रोजेक्ट पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं इस दौरान सैकड़ो ग्रामीणों के अलावा कमलेश पुरी के साथ तहसीलदार नायक तहसीलदार पटवारी व पुलिस व अडानी कंपनी के कई लोग मौजूद रहे


















