प्रेम और भाईचारे का त्यौहार है ईद उल फितर- पूनम सिंह
दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई ईद
बच्चों ने गले लगकर एक दूसरे को दी बधाई
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एमसीबी। जिले के मनेन्द्रगढ़ शहर में स्थित मानक शिक्षण संस्थान दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल में स्कूल प्रबंधन और बच्चों द्वारा धूमधाम से ईद उल फितर का त्यौहार मनाया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में विद्यालय के प्री प्राइमरी कक्षाओं के नौनिहालों द्वारा विशेष प्रातः सभा का आयोजन किया गया। इसके बाद विद्यालय की शिक्षिकाओं सुश्री आरज़ू खान और कायनात अंसारी द्वारा बच्चों को रमज़ान के पवित्र माह के महत्त्व से अवगत कराते हुए बताया गया कि रमज़ान इस्लाम धर्म में एक पवित्र महीना माना जाता है जिसमें रोजे रखे जाते हैं और अल्लाह की इबादत की जाती है। एक महीने तक संयम, आत्म संयम और परोपकार की भावना को अपनाने के बाद ईद- उल – फितर का त्योहार खुशियों का संदेश लेकर आता है। इस दिन लोग मस्जिदों में विशेष नमाज अदा करते हैं। एक दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद देते हैं और जरूरतमंदों को दान देकर अपनी खुशी सभी के साथ साझा करते हैं।
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ बसंत कुमार तिवारी ने विद्यालय परिवार को सम्बोधित करते हुए कहा कि ईद हमें यह शिक्षा देती है की हम धर्म, जाति और भाषा की दीवारों को तोड़कर आपसी प्रेम और भाईचारे को मजबूत करें। यह पर्व हमें गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने और समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने की प्रेरणा देता है। हमें ईद के पवित्र संदेश को अपने जीवन में अपनाना चाहिए और आपसी प्रेम तथा सौहार्द को बढ़ावा देना चाहिए।
विद्यालय की निदेशिका श्रीमति पूनम सिंह ने बच्चों और अभिभावकों को इस विशेष अवसर पर शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि आज के दिन बच्चों ने आपसी सौहार्द और भाईचारा के प्रति समर्पित त्योहार ईद के विषय में जाना है तथा इसके साथ रमजान के महीने की पवित्रता के साथ बच्चों ने देश की संस्कृति, परंपरा और पर्व की विशेषताओं को भी जाना है। हमारे देश की संस्कृति गौरवशाली है और अनेकता में एकता का प्रदर्शन करते हुए सभी धर्म के लोग एक दूसरे की परंपराओं का समान सम्मान करते हैं। आपसी भाईचारा और सांप्रदायिक सहभागिता की मिसाल के रूप में ईद की अलग पहचान है। ईद ना केवल एक धार्मिक त्योहार है अपितु यह एक भावनात्मक तथा मानवीय मूल्यों का संदेश भी है। ईद का दिन वह बहुमूल्य समय है जब हम नफरत और भेदभाव को भूलकर एक दूसरे को गले लगाते हैं। रमजान में पूरे महीने के रोजे रखने के बाद जब ईद आती है तो यह त्याग, धैर्य और अपने संयम का इनाम होती है। यह हमें सिखाती है कि हर कठिनाई के बाद खुशी आती है और हर अंधेरे के बाद उजाला होता है। यह संदेश केवल धर्म तक सीमित नहीं है बल्कि हमारे जीवन के हर पहलू पर लागू होता है। इस विशेष दिन पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम प्रेम और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे तथा अपने समाज में सकारात्मकता और एकता को बढ़ावा देंगे।