धारअस्पताल पुलिस चौकी की उदासीनता दुर्घटना में घायल व्यक्तियों के तीन-तीन दिन तक नहीं हो पा रहे बयान
( शैलेंद्र जोशी )
धार जिला चिकित्सालय में स्थित पुलिस चौकी का आलम यह है कि यहां पर कभी कोई मिलता ही नहीं है दुर्घटना में घायल मरीजों को तीन-तीन दिन तक इंतजार करना पड़ता है विशेष कर निजी चिकित्सालय में भर्ती मरीजों के तीन-तीन दिन तक नहीं हो पाए बयान कई बार तो स्थिति यहां तक निर्मित हुई की दुर्घटना तथा मारपीट में घायल व्यक्ति की छुट्टी तक हो गई तब भी उनके बयान नहीं हो पाए पहले तो स्थानीय चौकी से यह कहकर तड़का दिया जाता है कि संबंधित थाना क्षेत्र के व्यक्ति आकर ही बयान लेंगे किंतु जीरो पर कायमी कर उनके बयान लिए जा सकते हैं
किंतु इस बयान न लेने के पीछे की कहानी कुछ अलग है दुर्घटना के केस मे मरीज जब तक दुर्घटना बीमा के वकील को तय नहीं करता है तब तक उसके बयान नहीं लिए जाते हैं जब निर्धारित वकील की बीमा राशि तय हो जाती है तब वकील साहब दुर्घटना में घायल व्यक्ति को थाने ले जाकर उसके बयान करवा देते हैं कौन सी गाड़ी को लगाना है
किस- गाड़ी का लाइसेंस है किस गाड़ी से दुर्घटना को बताना है यह सब बीमा राशि के लिए एक योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है इसी प्रकार की एक घटना धार निवासी शेखर मकवाना के साथ हुई चार दिन भर्ती होने के बाद भी ना तो उनके बयान लिए गए दसई के पास उनके साथ मारपीट हुई थी ऐसे ही एक और पीड़ित है श्याम चौहान जिनके साथ दुर्घटना सादलपुरके पास हुई थी बाद में अस्पताल से छुट्टी होने के बाद थाने पहुंचकर स्वयं उन्होंने अपने बयान दर्ज करवाएं धार पुलिस चौकी पर एक उप निरीक्षकतथा तीन आरक्षकों की नियुक्ति है नियुक्त होने के बाद भी चौकी का हमेशा खाली रहना तीन-तीन दिन तक मरीजों के बयान न देना पुलिस प्रशासन की स्थिति को रहस्य में बना देता है