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कोतमा में ‘मौत का गोदाम’: अकरम इंडेन गैस एजेंसी पर गहराया खतरा, प्रशासन मौन

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कोतमा में ‘मौत का गोदाम’: अकरम इंडेन गैस एजेंसी पर गहराया खतरा, प्रशासन मौन

रिहायशी इलाकों के बीच गैस रिफिलिंग सेंटर बना विस्फोटक ज्वालामुखी — हरदा, सतना और इंदौर जैसी घटनाओं से भी नहीं सीखा सबक

 

कोतमा (जमुना)
कोतमा का रिहायशी इलाका इन दिनों एक ऐसे खतरनाक जोखिम के साए में जी रहा है, जो किसी भी क्षण भयावह त्रासदी में बदल सकता है अकरम इंडेन गैस एजेंसी का रिफिलिंग सेंटर और गैस गोदाम नगर के बीचोंबीच घरों और दुकानों से महज कुछ कदम की दूरी पर संचालित हो रहा है जहां रोजाना सैकड़ों सिलेंडरों की भराई, ट्रांसफर और भंडारण का काम बिना किसी सुरक्षा मानक के खुलेआम होता है स्थानीय लोगों का कहना है कि यह इलाका अब एक “बारूद का गोदाम” बन चुका है — और प्रशासन की चुप्पी किसी आपदा को न्योता देने जैसी है

 

हरदा विस्फोट की यादें ताजा, फिर भी लापरवाही बरकरार

सिर्फ कुछ महीने पहले मध्यप्रदेश के हरदा में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए भीषण विस्फोट ने पूरे प्रदेश को हिला दिया था। 11 निर्दोष लोगों की जान गई, सैकड़ों घायल हुए, और प्रशासन ने सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे
लेकिन कोतमा में स्थिति वैसी ही खतरनाक बनी हुई है यहाँ भी घनी आबादी के बीच ज्वलनशील गैस सिलेंडरों का भंडारण जारी है
सवाल उठता है — क्या सरकार हरदा जैसी एक और त्रासदी का इंतजार कर रही है?

एक चिंगारी… और पूरा मोहल्ला राख

विशेषज्ञों का कहना है कि गैस रिफिलिंग सेंटर को रिहायशी क्षेत्रों से कम-से-कम 500 मीटर दूर होना चाहिए यह नियम पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) द्वारा स्पष्ट रूप से निर्धारित है
लेकिन कोतमा में यह एजेंसी घरों से सटी है और बगल में खदान कोयला संचालित है जहां पर कोयला विस्फोट के लिए बारूद का उपयोग किया जाता है अगर किसी दिन सिलेंडर से गैस रिसाव हुआ, या रिफिलिंग के दौरान चिंगारी भड़की, तो पूरे मोहल्ले और खदान परिसर में चेन रिएक्शन जैसा धमाका हो सकता है — जिसकी चपेट में सैकड़ों जानें आ सकती हैं

 

जेब पर डाका, सिर पर खतरा उपभोक्ताओं की दोहरी मार

सुरक्षा मानकों की अनदेखी ही नहीं, एजेंसी पर उपभोक्ताओं को ठगने के भी आरोप लगे हैं
स्थानीय नागरिकों में गुलाब रजक वह अन्य के मुताबिक, सील बंद सिलेंडरों में 1 से 1.5 किलो तक गैस कम पाई जाती है

संतोष शर्मा, निवासी वार्ड-7, बताते हैं

> “हम पूरी कीमत चुकाते हैं, लेकिन सिलेंडर का वजन हमेशा कम निकलता है शिकायत करने पर कहा जाता है कि ‘मशीन में गलती है’ — ये तो खुली लूट है

 

दूसरी ओर, कई उपभोक्ता यह भी दावा करते हैं कि एजेंसी सरकारी रेट से ₹20–₹30 ज्यादा वसूलती है यानी नागरिक न केवल अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, बल्कि ठगे भी जा रहे हैं

 

शिकायतें दबीं, जांच रुकी
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

स्थानीय निवासियों ने इस संबंध में नगरीय प्रशासन, फायर ब्रिगेड और गैस कंपनी के जिला अधिकारियों सीएम हेल्पलाइन को कई बार लिखित शिकायतें दी हैं
परिणाम?
कोई ठोस जांच नहीं हुई, न ही कोई कार्रवाई
वार्ड-8 की निवासी रेहाना बानो कहती हैं

> “हमारी गलियों में रोजाना सैकड़ों सिलेंडर ट्रकों से लादे-उतारे जाते हैं कई बार गैस की गंध फैली, लेकिन कोई अधिकारी नहीं आया लगता है किसी बड़े हादसे का इंतजार है

 

 

नियमों की अनदेखी का लंबा इतिहास

ऐसी घटनाएँ पहले भी देश भर में हुई हैं

हरदा (MP, 2024): पटाखा फैक्ट्री में धमाका, 11 मौतें

सतना (2021): अवैध गैस गोदाम में सिलेंडर ब्लास्ट, दो मृत

इंदौर (2019): रिफिलिंग के दौरान विस्फोट, कई घायल

हर हादसे के बाद नियम सख्त करने की बातें होती हैं, लेकिन कोतमा गोविंदा जैसे कस्बों में ज़मीनी हकीकत अब भी वही है — “सुरक्षा केवल कागजों में

जनता का आक्रोश — अब कार्रवाई नहीं तो आंदोलन

स्थानीय निवासियों ने साफ कहा है कि अगर एजेंसी को रिहायशी इलाके से नहीं हटाया गया, तो वे जोरदार जनआंदोलन करेंगे
उन्होंने जिला प्रशासन से यह चार मांगें रखी हैं:

1. गैस सिलेंडरों के वजन और कीमत की नियमित जांच हो
2. तय रेट से ज्यादा वसूली पर कड़ी सज़ा दी जाए
3. सुरक्षा मानकों की जांच कर एजेंसी पर कार्रवाई की जाए
4. रिफिलिंग और भंडारण कार्य केवल औद्योगिक क्षेत्र में ही हों

विशेषज्ञों की राय

अग्नि सुरक्षा विशेषज्ञ विजय दुबे का कहना है

> “गैस एजेंसी अगर आबादी के बीच चल रही है तो यह ‘टिक-टिक करता बम’ है रिफिलिंग प्रक्रिया में ज़रा-सी लापरवाही, घर्षण, या रिसाव बड़े विस्फोट का कारण बन सकता है। ऐसी एजेंसियों को तुरंत सील किया जाना चाहिए

क्या कहता है कानून

‘Explosives Act, 1884’ और ‘Gas Cylinder Rules, 2016’ के अनुसार,

आबादी से न्यूनतम दूरी 15–30 मीटर तक अनिवार्य है

किसी भी गैस रिफिलिंग या भंडारण इकाई के लिए PESO से लाइसेंस जरूरी है
अगर एजेंसी इन मानकों का उल्लंघन करती पाई गई, तो तीन साल तक की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है

अंतिम सवाल — क्या कोतमा को हरदा बनते देखेगा प्रशासन?

हरदा जैसी त्रासदी ने दिखाया कि लापरवाही का परिणाम कितना भयावह हो सकता है
कोतमा के नागरिक अब रोज़ाना उसी भय के साये में जी रहे हैं
अगर प्रशासन ने अभी कदम नहीं उठाए, तो किसी भी वक्त खबर की हेडलाइन बदल सकती है
“कोतमा में गैस गोदाम में विस्फोट, कई मौतें”
और तब जिम्मेदारी से बचने की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी

 

राज्य सरकार और जिला प्रशासन को यह समझना होगा कि विकास या व्यापार की सुविधा जनता की सुरक्षा से बड़ी नहीं हो सकती
रिहायशी क्षेत्रों में गैस रिफिलिंग या भंडारण की अनुमति खुद कानून का उल्लंघन है
अब वक्त आ गया है कि प्रशासन जागे, जांच करे, और कोतमा के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे
क्योंकि अगली बार अगर कोई हादसा हुआ, तो यह सिर्फ गैस एजेंसी की नहीं, प्रशासनिक नींद की भी जिम्मेदारी होगी

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