अनूपपुर में हुई अपराध समीक्षा बैठक: पुलिस अधीक्षक ने दिखाया कड़ा रुख
लेखक – संतोष चौरसिया
अनूपपुर जिले की कानून-व्यवस्था की समीक्षा को लेकर 19 जून 2025 को पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सभागार में एक व्यापक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता पुलिस अधीक्षक श्री मोती उर रहमान ने की, जिसमें जिले के समस्त राजपत्रित अधिकारी, थाना और चौकी प्रभारी उपस्थित रहे। यह बैठक महज एक परंपरा या औपचारिकता नहीं थी, बल्कि पुलिस अधीक्षक द्वारा जिला पुलिस की कार्यप्रणाली की बारीकी से पड़ताल और उसमें सुधार की ठोस मंशा का प्रदर्शन था
बैठक की शुरुआत जिले में लंबित अपराधों की समीक्षा से हुई, जिसमें धारा 173(8) के तहत लंबित मामलों, एससी/एसटी एक्ट, पाक्सो एक्ट और माइनर एक्ट के मामलों पर विशेष ध्यान दिया गया। पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसे सभी प्रकरणों का समयबद्ध और निष्पक्ष निराकरण प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से उन प्रकरणों की चर्चा की जिनमें आरोपी फरार हैं, और उनके विरुद्ध शीघ्र गिरफ्तारी कर चालान प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
तकनीकी संसाधनों के प्रयोग को लेकर पुलिस अधीक्षक ने एक निर्णायक रुख अपनाया। eSakshya App, eVivechna App, eRakshak App, MedLeaPR Software और eProsecution Portal के माध्यम से अपराधों की विवेचना, अभियोजन, और न्यायिक कार्यवाही में तेजी लाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। उन्होंने थानों को निर्देशित किया कि विवेचना में पारदर्शिता और गति लाने के लिए इन डिजिटल टूल्स का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित किया जाए। विशेष रूप से मोबाइल गुमशुदगी के मामलों में CEIR Portal पर दर्ज शिकायतों की समीक्षा करते हुए रिकवर मोबाइलों के सार्वजनिक प्रकाशन और प्रेस नोट जारी करने के निर्देश दिए गए।
पुलिस अधीक्षक ने इस बात पर असंतोष व्यक्त किया कि धारा 173(8) के तहत पूर्व में लंबित प्रकरणों का निराकरण अपेक्षित गति से नहीं हो रहा है। उन्होंने सभी थाना प्रभारियों को सख्त निर्देश दिए कि ऐसे मामलों में आरोपी की पहचान सुनिश्चित कर उसका स्पष्ट विवरण पंचनामे के साथ प्रस्तुत किया जाए और नामांकन केवल उसी स्थिति में किया जाए जब आरोपी के पास आधार कार्ड जैसी ठोस पहचान हो।
एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज प्रकरणों में जाति प्रमाण पत्र की अनिवार्यता को रेखांकित करते हुए उन्होंने फरियादियों का प्रमाण पत्र एसडीएम स्तर से तत्काल तैयार कराने की बात कही। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिन मामलों में अपराध तकनीकी या साक्ष्य के अभाव में खारिजी योग्य हैं, उन्हें कारण स्पष्ट कर समय रहते निपटाया जाए ताकि न्याय व्यवस्था पर अनावश्यक भार न पड़े।
पुलिस अधीक्षक ने माइनर एक्ट और प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की समीक्षा के दौरान पाया कि कई थानों में धारा 110 के अंतर्गत अपेक्षित कार्रवाई नहीं हो रही है। इस पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने थानों को निर्देशित किया कि एनव्ही एक्ट और आबकारी अधिनियम के अंतर्गत अधिक संख्या में कार्रवाई की जाए और असामाजिक तत्वों पर सख्त नजर रखी जाए।
रेत माफिया, शराब माफिया, कोयला, क्रेशर, वासरी, पेट्रोल पंप जैसे व्यावसायिक संस्थानों में कार्यरत व्यक्तियों की सूची तैयार कर उनके चरित्र सत्यापन कराने के निर्देश भी दिए गए। साथ ही थानों में वर्षों से जप्त पड़ी गाड़ियों के शीघ्र निस्तारण की बात करते हुए पुलिस अधीक्षक ने कहा कि धारा 102 जा.फौ. और अन्य प्रकरणों में जप्त वाहनों की सूची तैयार कर न्यायालय से अनुमति लेकर उनकी नीलामी अथवा निस्तारण की प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ की जाए।
बैठक में रात्रिकालीन गश्त और बाजार व्यवस्था की भी गहन समीक्षा हुई। उन्होंने निर्देशित किया कि रात्रि 11:30 बजे के बाद समस्त दुकानों को बंद कराया जाए और उसके उपरांत गश्त शुरू की जाए। रात्रि में अनावश्यक रूप से घूमने वाले संदिग्ध व्यक्तियों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
शराब की अवैध पैकारी और उसके परिवहन में प्रयुक्त वाहनों पर भी कड़ा रुख अपनाते हुए पुलिस अधीक्षक ने साफ कहा कि शराब माफियाओं के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए और उनके सहयोगियों को भी चिन्हित किया जाए। उन्होंने सभी थानों को निर्देश दिए कि गुंडा बदमाशों और निगरानी बदमाशों की हर 15 दिन में परेड आयोजित की जाए ताकि उन पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके।
पुलिस अधीक्षक ने ट्रैफिक विभाग को भी निर्देश दिए कि ट्रैफिक चौपाल जैसे जनजागरूकता कार्यक्रम नियमित रूप से चलाए जाएं और धारा 185 एम.व्ही. एक्ट के तहत नशे में वाहन चलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। थाना प्रभारी अजाक को एससी/एसटी एक्ट के प्रावधानों को लेकर लोगों को जागरूक करने हेतु जनचौपाल आयोजित करने के निर्देश भी दिए गए।
बैठक के अंत में पुलिस अधीक्षक ने विशेष रूप से यह कहा कि थानों में आने वाले आम नागरिकों और जनप्रतिनिधियों के साथ शिष्टाचार और सहानुभूति के साथ व्यवहार किया जाए। उन्होंने कहा कि पुलिस की छवि केवल कार्रवाई से नहीं, बल्कि व्यवहार से बनती है और यदि पुलिस संवेदनशीलता से पेश आएगी तो समाज में कानून के प्रति विश्वास और मजबूत होगा।
इस समीक्षा बैठक में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री इसरार मन्सूरी, एसडीओपी श्री सुमित केरकेट्टा, श्री नवीन तिवारी, श्री एन. एस. ठाकुर, रक्षित निरीक्षक श्रीमती ज्योति दुबे समेत जिले के समस्त थाना प्रभारी, चौकी प्रभारी एवं पुलिस अधीक्षक कार्यालय का स्टाफ उपस्थित रहा। बैठक ने यह संकेत दिया कि आने वाले समय में जिले की पुलिस व्यवस्था और अधिक सतर्क, तकनीकी और जनसंपर्क केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने जा रही है।