25 साल बाद मकान पर मिला मालिकाना हक
संवाददाता भरत रावत्
डबरा से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां 25 साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार मकान मालिक को उसका हक मिल गया। मकान किराए पर देना कभी-कभी कितना बड़ा जोखिम बन सकता है, इसका जीता-जागता उदाहरण यह मामला है। कई बार लोग कुछ समय के लिए किराए पर दिया गया मकान जीवनभर के तनाव का कारण बना बैठते हैं। गोविंद सिंह परिहार का मामला भी ऐसा ही रहा, जिन्होंने भरोसे में आकर किरायेदार को घर सौंपा, लेकिन फिर सालों तक न्याय पाने के लिए संघर्ष करते रहे।
मामला डबरा का है, जहां करीब 25 साल पहले गोविंद सिंह परिहार ने लालच में आकर अपना मकान गजेन्द्र रजक को किराए पर दे दिया था। शुरुआती कुछ साल सब ठीक चला, लेकिन जब मकान खाली कराने की बारी आई तो किरायेदार ने मकान खाली करने से इनकार कर दिया। इसके बाद गोविंद सिंह को राजस्व विभाग और न्यायालय के चक्कर लगाने पड़े।
लंबी कानूनी जंग के बाद आखिरकार न्यायालय ने गोविंद सिंह परिहार के पक्ष में फैसला सुनाया। आदेश के बाद प्रशासन ने मकान खाली करवाकर कब्जा दिलाया और अवैध हिस्से पर बुलडोजर चलाया गया।
हालांकि मकान के आधे हिस्से पर अभी कब्जा बताया जा रहा है।
25 साल की यह जंग आखिरकार सच की जीत और मालिक के अधिकार की बहाली के साथ जीत की ओर अग्रसर है। यह मामला उन सभी के लिए सबक है जो किरायेदारी को हल्के में लेते हैं। मकान देना जितना आसान लगता है, वापस पाना उतना ही मुश्किल साबित हो सकता है।


















