अनूपपुर जबलपुर इंदौर भोपाल मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी बैकुंठपुर रायपुर

सड़क निर्माण में गुणवत्ता और जनता की सुविधाओं की लगातार अनदेखी

WhatsApp Group Join Now

सड़क निर्माण में गुणवत्ता और जनता की सुविधाओं की लगातार अनदेखी

दुर्घटनाओं का बना रहता है अंदेशा

भ्रस्टाचार की भेंट नही चढ़ जाए करोड़ो की सड़क

आगर मालवा (नज़ीर अहमद की खास रिपोर्ट) जनता की सुख सुविधाओं को ध्यान में रखकर करोडो रूपये के विकास कार्य सरकार के द्वारा कराए जाते है। इसी को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने सड़कों की क्वालिटी सुधारने अपनाई वाइट टॉपिंग तकनीक, पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 21 जिलों में 41 सड़को का चयन किया गया 109 किलोमीटर लंबी इन सडकों का चार माह में पुरा करने का लक्ष्य रखा गया इस पहल से सड़कों की गुणवत्ता में सुधार होगा और यातायात व्यवस्था अधिक सुगम होगी।

सड़क निर्माण में नई क्रांति- व्हाइट टॉपिंग तकनीक सड़क निर्माण में एक नया मोड़ है यह तकनीक सड़कों को मजबूत और टिकाऊ बनाती है इससे सड़कों का रख रखाव भी आसान हो जाता है यह तकनीक लंबे समय में पैसा भी बचाती है सरकार का यह कदम प्रदेश की सड़कों की दशा सुधारने में मददगार साबित होगा इससे लोगों को आवागमन में सुविधा होगी और राज्य के विकास को गति मिलेगी।

यह तकनीक भविष्य में सड़क निर्माण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकती है साथ ही पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है यह तकनीक सड़कों को गर्मी से बचाती है. इससे शहरों का तापमान भी कम रहता है। व्हाइट टॉपिंग तकनीक से बेहतर सड़कें और बेहतर भविष्य की उम्मीद है।

लोगों को मिलेगा बेहतर यात्रा का अनुभव

भोपाल वल्लभ भवन में मार्ग और सीएम हाउस मार्ग समेत 14 सड़कों को चिह्नित किया गया है पीडबल्यूडी ने 15 अन्य जिलों में भी एक-एक सड़क पर इस तकनीक का इस्तेमाल करने का फैसला किया है।

जिसमे इंदौर, नर्मदापुरम, नीमच, बैतूल से लेकर मुरैना, रतलाम, रायसेन, रीवा, सतना, आगर मालवा, उमरिया, खंडवा, गुना, छतरपुर, देवास और हरदा शामिल हैं। इससे इन जिलों की सड़कों की हालत में सुधार होगा लोगों को बेहतर यात्रा का अनुभव मिलेगा।

ये होती है वाइट टॉपिंग सड़क निर्माण तकनीक वाइट टॉपिंग सड़क निर्माण की एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें पुरानी डामर सड़कों पर नया डामर कार्य करने के बाद कांक्रीट की मोटी परत चढ़ाई जाती है यह प्रक्रिया सड़कों को न केवल मजबूत और टिकाऊ बनाती है, बल्कि उनकी आयु 20 से 25 वर्षों तक बढ़ा देती है इस तकनीक में सबसे पहले डामर सड़क की सतह को साफ किया जाता है, उसके बाद 5 एमएम डामर (डीबीएम) का कार्य किया जाता है फिर 6 से 8 इंच मोटी कंाक्रीट की परत डाली जाती है, जो भारी यातायात और खराब मौसम का सामना करने में सक्षम होती है। इसके साथ ही यह परियोजना सड़कों को अधिक टिकाऊ और लंबे समय तक गड्ढामुक्त बनाए रखने में सहायक होगी।

आगर-मालवा जिला मुख्यालय पर 2.55 किमी वाइट टॉपिंग सड़क निर्माण- हाईवे पर हादसों भरे सफर से मुक्ति/निजात के लिए शहर से बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर तक डामरीकृत बायपास बना था। उसके बाद व्हाइट टाॅपिंग के नाम पर पायलेट प्रोजेक्ट में डामरीकृत सडक पर सीसी रोड का निर्माण शुरू किया गया जो भक्तों और राहगिरों के लिए मुसीबत बन गया है। निर्माण के दौरान मापदंडों को ताक मे रखा जा रहा है। साथ ही आवागमन सुचारू रखने के प्रबंध भी नही किए गए है। दर्शनार्थियों के लिए और इस मार्ग से आवाजाही करने वालों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। लोक निर्माण के अधिकारियों की अनदेखी के चलते या ये कहे मिली भगत से निर्माणाधीन मार्ग के हाल बेहाल हो गए है। आगर-सारंगपुर मार्ग स्थित छावनी गांधी उपवन से बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर तक 2.55 किमी लंबी निर्माण सड़क की निविदा लोनिवि ने अक्टूबर 2024 में बुलाई। निविदा में इतनी कठोर शर्ते तय की गई जिस वजह से स्थानीय ठेकेदार भागीदारी नही कर पाए। बाहरी निर्माण एजेंसी मेसर्स देवकाली इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड ने ठेका लिया। कार्यादेश जारी होने के बाद 8 माह में निर्माण पूर्ण होना था वह समय भी खत्म हो गया और निर्माण पूरा नही हुआ। ऐसी स्थिति में रोज मंदिर आने-जाने वाले भक्तगणों ,स्कूल के बच्चों सहित अनैक गांवों के लोग इस मार्ग से गुजरकर अपने गांवो की आवा-जाही करते है उनके लिए यह निर्माण मुसीबत बनता जा रहा है। ठेकेदार के द्वारा सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुवे व्यापक प्रबंध भी नही किए गए है जिसके कारण इस मार्ग से गुजरने वाले लोग चोटिल भी हुवे है। फायबर के कुछ स्टापर लाए जरूर है परन्तु वह नाग-नागिन के मंदिर के सामने मकान की शौभा बढाने का कार्य कर रहें हैं। उनका भी उपयोग ठेकेदार द्वारा नही किया जाना आम जन के समझ से परें ?

निविदा में रखे थे उच्च स्तरीय मापदंड

जब निविदा बुलाई गई थी तो उच्चस्तरीय मापदंड निर्धारित किए थे। इसमें निर्माण स्लिप फाॅर्म पैवर अनिवार्य था। जिसमे मशीन के आगे ही वाईब्रेटर होते है जो निर्माण स्थल पर मौजुद नही है। इसके स्थान पर फिक्स फॉर्म पैवर मशीन का उपयोग हो रहा। नाही लेवल, केम्बर और नाही सुपर ऐलीवेशन का भी ध्यान नही रखा जाना भी जानकार लोगों की समझ से परे है डामर की थिकनेश भी एग्रीमेंट के हिसाब से नही है साइट पर ही बेचमेंट प्लांट होना अनिवार्य था। प्रयोगशाला भी साइट के आस-पास होनी थी व सीसीटीवी कैमरे भी स्थापित किए जाने थे। साथ ही निर्माण में उपयोग होने वाले तमाम मशीनी संसाधन पांच वर्ष से पुराने नही होने थे।

गुणवत्ता का नही रखा गया ध्यान

राज्य सरकार ने व्हाइट टाॅपिंग के नाम पर पायलेट प्रोजेक्ट बनाया गया जिसमें पहली बार डामरीकृत सड़क पर सीमेंट-कांक्रीट सड़क का निर्माण। उच्च गुणवत्तायुक्त सड़क निर्माण में 55 एमएम डामरीकृत सडक एवं 150 एमएम सीमेंट-कांक्रीट एम 40 का निर्माण किया जाना है पर यहां गुणवत्ता का ध्यान रखना तो दूर मापदंडों का पालन नही हो रहा है। ना ही निर्माण के दौरान जिम्मेदार विभाग के अधिकारी/कर्मचारी भी मौके पर मौजूद नहीं रहते हैं, प्रतिदिन मंदिर आने वाले भक्तों को हो रही परेशानी आवागमन को भी किया नजरअंदाज यह मार्ग एक ऐसा मार्ग है जिस पर तड़के 4 बजे से लेकर देर रात तक श्रद्धालुओं की आवाजाही बनी रहती है। सैकड़ों श्रद्धालु रोज पैदल बाबा के दर्शन करने पहुंचते हैं और परेशानियों का सामना करते हैं। निर्माण एजेंसी ने निर्माण के दौरान आवागमन को नजरअंदाज किया है। एक तरफ से यदि निर्माण होता तो दूसरी तरफ से आवागमन सुचारु बना रहता लेकिन बिना बायपास बनाए मार्ग पर आवागमन अवरुद्ध करते हुए निर्माण जारी है। दोपहिया सवारों का कहना है सड़क किनारे लगे सरिये व अन्य संसाधनों की वजह से हादसे होते आ रहे हैं।

डामर कार्य पर लगा प्रश्न चिन्ह

– निर्माण कार्य शुरू किया जाने पर जो डामर कार्य किया गया था वह उच्च क्वालिटी का न होकर निम्न स्तर का था। जो दो माह में ही उखड गया । ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य लम्बे समय तक बंद कर दिया गया था। तब जो लगातार बारीश होने से वह डामर-सड़क उखडकर बिखरी गिटटी नुमा सडक में तबदील होती नजर आई । जिस पर दोबारा डामर नही किया जाकर उसी उखडी सडक पर सीमंेट-कांक्रीट सडक का निर्माण किया जा रहा है जिसे लेकर लोगों द्वारा यह भी कयास लगाए जा रहे है कि अगर ऐसी सडक पर ही सिमंेट-कांक्रीट करना थी तो डामर कार्य का निर्माण नही करना चाहिए था क्योंकि इससे डामर कार्य करने का खर्च भी बच जाता और समय भी बचता और यह बचे हुवे पैसे देश व जनता के हित में काम आते।

खनिज विभाग से नही ली अनुमती

प्राप्त जानकारी के अनुसार निर्माणाधीन सडक के दोनों ओर साईड के शोल्डर हार्ड शौल्डर का कार्य की बिना सीबीआर जांच किए बिना लाल मुरम उपयोग में लाई जा रही है जो मांपदंड अनुसार नही है। उसे खोदने के लिए ठेकेदार ने कोई खदान की अनुमती खनिज विभाग से नही ली है। जबकी उसके लिए अनुमती लेकर ही कही दूसरी जगह से खुदाई कर परिवहन किया जा सकता है। ऐसी भी नगर में चर्चा है कि इस प्राकार के कृत्य से शासन को कितनी राजस्व की हानी हुई होगी यह भी एक विचारणीय प्रश्न है। क्या शासन इस राजस्व वसुली के लिए कोई कार्यवाही करेगा या फिर ये ठेकेदार और खनिज विभाग की मिली भगत तो नहीं यह भी आम नागरीक की समझ से परे?

इनका कहना

बाबा बैजनाथ महादेव की जो सड़क बन रही है उसी डामर सडक पर जो डामर किया गया था वह बिल्कुल ही घटिया किया गया था जो दो माह में ही उखड गया और उखडी हुई डामर सडक पर सीमेंट कांक्रीट कर दिया गया जो यह साबीत करता नजर आता है कि ठेकेदार और विभाग की मिली भगत का परिणाम है इस निर्माण कार्य की उच्च स्तरीय जांच होना चाहिए और ठेकेदार के भुगतान पर भी रोक लगानी चाहिए।

देवेन्द्र वर्मा पूर्व पार्षद आगर मालवा

सरकार के द्वारा लगभग तीन करोड़ रूपये की जो सडक निर्माण हो रहा है उसमे गुणवत्ता और जनता की सुविधाओ का ध्यान नही रखा जा रहा है डामर कार्य प्रारंभ होने के कुछ ही महीने बाद डामर सडक का उखड जाना और सडक में गडडे हो जाना इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिमेंट कांक्रीट सडक किस गुणवत्ता की बन रही होगी इसकी जांच कराना चाहिए।

नजीबुल हक (मुन्ना कुरैशी) सामाजिक कार्यकर्ता आगर मालवा

इस संबंध में लोविनि अनुविभागीय अधिकारी नवीन शर्मा से चर्चा की तो उन्होने बताया कि हमारें द्वारा जो कार्य करवाया जा रहा है उसमें गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जा रहा है और रहा सवाल डामर कार्य का तो उस समय मै यहां पर पदस्थ नही था इस लिए कुछ कहना संभव नही है। सड़क के साईड के शौल्डर भराई का कार्य माप दंड अनुसार टेस्टींग करवाकर ही किया जावेगा और जो शौल्डर भरे गए है उनकी खुदाई कराकर फिर से माप दंड अनुसार ही भरवाए जायेंगे। दिनांक 23 अक्टोबर इस निर्माणाधिन सड़क का औचक निरिक्षण किया जा चुका है और उसकी टेस्ट रिपोर्ट भी आ चुकी है।

 

इस संबंध में कार्यपालन यंत्री कुलदीप चंद्रवंशी से चर्चा की तो उन्होने बताया कार्य समया अवधी में पूर्ण नही होने से हमारे द्वारा पेमेंट काट कर ही भुगातान किया जावेगा।

खबरों को शेयर कीजिए। धन्यवाद

Leave a Comment