जिला कांग्रेस अध्यक्ष सहित कांग्रेस नेताओं ने किया गोंडवाना फॉसिल पार्क का निरीक्षण
फॉसिल को संरक्षित करने के नाम पर भ्रष्टाचार करने का लगाया आरोप
मनेंद्रगढ़। जिला कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव ने कांग्रेसी नेताओं के साथ गोंडवाना फॉसिल पार्क जाकर निरीक्षण किया
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव ने गोंडवाना फॉसिल पार्क का निरीक्षण करते हुए कहा कि हसदेव नदी के किनारे मिले समुद्री जीवाश्म जो कि करीब 28 करोड़ वर्ष पुराने है जिन्हें विभाग द्वारा संरक्षित किए जाने के नाम पर सरकारी पैसों का जमकर बंदरबाट हुआ है। जिला अध्यक्ष ने पत्रकारों को फॉसिल पार्क में खुले में पड़े फॉसिल को दिखाते हुए कहा कि करीब चार वर्षों पूर्व शोधकर्मियों की एक टीम यहां आई थी जिन्होंने सबसे पहले फॉसिल को संरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं जाने की बात कही थी. आज चार वर्षों बाद तक फॉसिल पार्क में संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपयों का बजट व्यय किया गया है। स्वागत द्वार से लेकर बाउंड्रीवाल, बैठक व्यवस्था और पत्थरों की कलाकृति उकेरने जैसे कई तरह के कार्य किए गए परंतु जिस जगह फॉसिल है वो जगह आज भी खुली हुई है जो लगातार धूप पानी के संपर्क में आकर फॉसिल को खो रही है। यदि जल्द ही उस क्षेत्र को संरक्षित नहीं किया गया तो आने वाले कुछ वर्षों बाद वहां उपलब्ध फॉसिल विलुप्त हो जाएंगे
अशोक श्रीवास्तव ने बताया कि वन विभाग द्वारा फॉसिल को संरक्षित करने के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किए जाने की संभावना है क्योंकि विभाग आज तक यह सार्वजनिक नहीं कर रहा है कि फॉसिल पार्क को संरक्षित करने के नाम पर कितने बजट का व्यय किया गया। उन बजटों का भुगतान किन किन व्यक्तियों, संस्था या फर्म को किया गया है। श्रीवास्तव ने कहा कि वन विभाग के अधिकारी सत्ता के नेताओं के संरक्षण में जमकर बंदरबाट करने में लगे हुए है जिसकी शिकायत प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख को भी की गई है। यदि इस पर संज्ञान नहीं लिया गया तो जल्द ही वन विभाग के खिलाफ आंदोलन भी शुरू किया जाएगा
स्थानीय पार्षद स्वप्निल सिन्हा ने भी कहा कि वन विभाग के अधिकारियों को सार्वजनिक करना चाहिए कि कितनी राशि खर्च की है। आम जनता के टैक्स से मिलने वाली राशि को वन विभाग के अधिकारियों ने फॉसिल को संरक्षित करने के नाम पर बंदरबाट किया है जो बेहद दुर्भागजनक जनक है
जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सौरव मिश्रा ने कहा कि हसदेव नदी के किनारे मिले समुद्री जीवाश्म जिनकी कार्बन डेटिंग कर पता किया गया कि यह 28 करोड़ वर्ष पुराने जीवाश्म है जिन्हें विभाग द्वारा संरक्षित किया जाना है परंतु इस फॉसिल पार्क में राज्य सरकार के बजट को व्यय करने के उद्देश्य से हसदेव नदी के किनारे प्राकृतिक हार्ड ग्रेनाइट रॉक्स को काट के प्राचीन जीवजंतुओ की कला कृतियाँ बनायी जा रही है। बड़े पत्थरों को तराश के ज़मीन, पानी और एम्फीबियन के अब तक 30 प्राचीन जानवरों की मूर्तियाँ बनायी जा चुकी है जिसमें समुद्री जीवाश्म होने की संभावना है। इतने करोड़ वर्ष पुराने जीवाश्म वाले क्षेत्र में इस तरीके से अनधिकृत निर्माण कार्य करा कर नुकसान पहुंचाया जा रहा है जबकि उक्त स्थान को केवल संरक्षित किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में समुद्री जीवाश्म को कोई नुकसान ना पहुंचे और शोधकर्ता अपने शोध के माध्यम से अन्य जानकारियां एकत्रित करते रहे