इस ई सी एल रामपुर बटुरा: लूट की खदान अफसरों की खादी में छुपा कोयला माफिया
अनूपपुर जिस खदान से देश की ऊर्जा को ईंधन मिलना चाहिए वहां आज भ्रष्टाचार की भट्ठी में ईमानदारी जल रही है रामपुर बटुरा ओपन कास्ट माइन इस ई सी एल की गर्व कहलाने वाली परियोजना आज एक संगठित लूट खदान बन चुकी है – जहां कोयले से ज़्यादा काला धंधा निकल रहा है और सबसे दुखद पहलू? इस लूट की छत्रछाया इस ई सी एल के अपने अधिकारियों ने दी है
6000 की सीढ़ी से ऊपर चढ़ता भ्रष्टाचार
यहां हर ट्रक मालिक को कोयला नहीं पहले ‘कट’ देना पड़ता है ट्रक में कोयला तभी लोड होगा जब आप ‘लिफ्टर दरबार’ में ₹6000 की भेंट चढ़ाएंगे अब ये लिफ्टर कोई मामूली मजदूर नहीं ये खदान के काले व्यापार के फ्रंटमैन हैं ये पैसा धीरे-धीरे चढ़ता है – पहले रोड सेल इंचार्ज जितेंद्र पांडे की जेब गरम होती है फिर टेक्निकल इंस्पेक्टर की उंगलियां गिनती करती हैं और अंत में चुपचाप जी एम साहब की अलमारी की तिजोरी मुस्कुरा उठती है
जितेंद्र पांडे – रोड सेल का राजा या रिश्वत का रिसीवर
जिसे नियुक्त किया गया था कोयले के वितरण की निगरानी और कोयले की गुणवत्ता मापने के लिए वही बन चुका है रिश्वत के कारोबार का मुखिया ट्रक मालिकों की भाषा में कहें तो – पांडे जी बिना पैसा लिए कोयले की धूल भी नहीं उठने देते अगर कोई ट्रक मालिक ‘कट’ देने से मना कर दे तो समझिए उस ट्रक की किस्मत में ‘सूखा टायर’ ही लिखा है जितेंद्र पांडे अब अफसर नहीं ‘कट माफिया’ का ब्रांड बन चुका है
जी एम साहब – खामोशी की कीमत कितनी है?
रामपुर बटुरा खदान में जो कुछ हो रहा है उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि या तो जी एम साहब अंधे हैं या फिर बहुत ज़्यादा देख चुके हैं पूरे खदान में अवैध वसूली का खेल चल रहा है और महोदय की चुप्पी सब कुछ कह रही है सवाल उठता है – क्या जी एम साहब की खामोशी भी बिकाऊ है? या उन्होंने इस ई सी एल की कुर्सी को ‘एटीएम’ समझ लिया है, जहां हर ट्रक से निकले ₹6000 उन्हें चुप रहने की फीस में मिलते हैं?
निजी मशीनें निजी मुनाफा – सरकारी व्यवस्था को ठेंगा
खदान की सरकारी मशीनें ‘बीमार’ घोषित हैं, जबकि निजी लिफ्टरों की मशीनें फुर्ती से कोयला भरती हैं क्या ये कोई तकनीकी संयोग है या फिर सोची-समझी साजिश? असल में निजी मशीनें सिर्फ कोयला नहीं भरतीं ये अफसरों की जेब भी भरती हैं! ये ‘प्रायवेट लिफ्टर’ अफसरों के खास हैं उनका ट्रक 3 घंटे में चलता है, बाकी ट्रक दिनभर धूप में भूखा-प्यासा खड़ा रहता है
शिकायतें बेमानी – सिस्टम को घूस की भूख!
कई ट्रक मालिक यूनियनें और स्थानीय जागरूक लोग प्रशासन तक गुहार लगा चुके हैं सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट लाइव शिकायतें की जा चुकी हैं लेकिन कार्रवाई? सिफर! जैसे कोई अदृश्य हाथ हर शिकायत को दफ्तर में घुसने से पहले ही दबा देता है क्या इस भ्रष्ट सिस्टम की एकमात्र कमजोरी पैसा है और हर इंसाफ को घूस से हराया जा सकता है?
क्या इस ई सी एल अब ‘साउथ ईस्टर्न कट लूट
बन चुका है
SECL – South Eastern Coalfields Limited, अब मजाक में कहलाने लगा है –
साउथ ईस्टर्न कट लूट
क्योंकि यहां अब कोयले से ज़्यादा कट का कारोबार है अधिकारी अब कोयला नहीं देखते ‘कलेक्शन चार्ट’ देखते हैं ट्रकों की संख्या नहीं गिनते ‘कट’ की राशि गिनते हैं
जनता की मांग – अफसरों को बर्खास्त कर केस दर्ज किया जाए
रामपुर बटुरा खदान अब जांच नहीं, जवाब मांग रही है जनता पूछ रही है
क्या जितेंद्र पांडे पर अविलंब निलंबन होगा?
क्या जी एम को पद से हटाकर सी बी आई जांच की सिफारिश की जाएगी?
क्या सरकार इन कोयला चोरों पर शिकंजा कसेगी या केवल बयानबाजी होगी
अगर नहीं, तो जनता अब चुप नहीं बैठेगी सोशल मीडिया सड़क कोर्ट हर मंच से आवाज़ उठेगी और ये आवाज़ तब तक रुकेगी नहीं जब तक खदान को अफसरों के भ्रष्ट पंजों से आज़ादी नहीं मिलती
इस ई सी एल की खदानें अब देश का ईंधन नहीं अफसरों का एटीएम बन चुकी हैं और अगर अब भी जनता चुप रही तो कल यही हाल हर खदान का होगा