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सी.एम. राइस स्कूल निर्माण में गड़बड़ी: भ्रष्टाचार, मजदूरों का शोषण और प्रशासन की चुप्पी

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सी.एम. राइस स्कूल निर्माण में गड़बड़ी: भ्रष्टाचार, मजदूरों का शोषण और प्रशासन की चुप्पी

जैतहरी (खूंटा टोला)। जैतहरी क्षेत्र के खूंटा टोला में निर्माणाधीन सी.एम. राइस स्कूल का कार्य इन दिनों विवादों में घिरता जा रहा है। जहां यह परियोजना शिक्षा के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, वहीं अब यह भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और श्रमिक शोषण का पर्याय बन चुकी है

स्थानीय लोगों और मजदूरों के अनुसार निर्माण कार्य का जिम्मा संभाल रहे बाहरी ठेकेदार द्वारा न सिर्फ निर्माण सामग्री की अवैध चोरी की जा रही है, बल्कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता भी बेहद घटिया स्तर की है। ईंट, सीमेंट और सरिया जैसे मुख्य सामग्री में कमीशनखोरी और गड़बड़ी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। यह निर्माण कार्य मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है

श्रमिकों की सुरक्षा और अधिकारों की अनदेखी

सबसे गंभीर स्थिति तो श्रमिकों की है, जिन्हें ना तो न्यूनतम मजदूरी मिल रही है और ना ही किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था। स्थानीय मजदूरों से 70 से 80 फीट की ऊँचाई पर बिना किसी सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट या अन्य उपकरणों के कार्य करवाया जा रहा है, जिससे उनकी जान हर वक्त खतरे में है। इसके अतिरिक्त इस चिलचिलाती गर्मी में उनके लिए ना तो कोई छांव या विश्राम स्थल की व्यवस्था है और ना ही पीने के पानी का इंतजाम किया गया है

ठेकेदार के हौसले बुलंद, जिम्मेदार मौन

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि ठेकेदार खुलेआम नियमों की अनदेखी कर रहा है और उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से उदासीन बना हुआ है। इससे पहले भी कई जनप्रतिनिधि, समाजसेवी और स्थानीय संगठन इस मुद्दे को लेकर अधिकारियों को ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लगता है जैसे प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है

जनहित की अनदेखी, कब जागेगा प्रशासन?

यह सवाल अब आम जनता के मन में उठने लगा है कि आखिर कब तक जिले के अधिकारी इन अनियमितताओं पर आंखें मूंदे बैठे रहेंगे? क्या निर्माण में गुणवत्ता सुनिश्चित करना, मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करना और जनता की शिकायतों पर समय रहते कार्रवाई करना प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है?

अब देखना यह होगा कि क्या जिला प्रशासन जागता है और दोषियों पर कार्रवाई करता है, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह सरकारी फाइलों में दबकर रह जाएगा

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