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डॉक्टरों की मांग को लेकर नागरिक बैठे आमरण अनशन 

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डॉक्टरों की मांग को लेकर नागरिक बैठे आमरण अनशन 

बिना विशेषज्ञ वर्षों से संचालित स्वास्थ्य केंद्र
कोतमा वर्षों से डॉक्टरों की कमी और अपनी लचर व्यवस्थाओं को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोतमा के सामने सोमवार से नागरिकों द्वारा विरोध प्रदर्शन करने के बाद आमरण अनशन शुरू कर दिया गया। प्रथम दिन पूर्व पार्षद देवशरण सिंह एवं दीपक पटेल के द्वारा आमरण अनशन की शुरुआत की गई। जिसमें पूरे दिन नगरवासी पहुंचते हुए अपना समर्थन देते रहे। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर थाना प्रभारी द्वारा भी लगातार अनशन स्थल पहुंचते रहे

नगरवासियों के द्वारा अनशन की सूचना पूर्व में ही जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग को दी गई थी। जिसके बाद 2 दिनों पूर्व सीएमएचओ द्वारा कोतमा में नागरिकों से बात की गई जिसमें डॉक्टरों की पदस्थापना सहित व्यवस्था में सुधार पर चर्चा होती रही। आखिरकार बैठक बेनतीजा रही। जिसके बाद अनशनकारियों द्वारा नगर में प्रदर्शन के बाद आमरण अनशन शुरू कर दिया गया

अनशनकारी देवशरण सिंह एवं दीपक पटेल ने बताया कि जिले का सबसे प्रमुख नगर कोतमा माना जाता है जहां मात्र 2 डॉक्टर के भरोसे हजारों की आबादी निर्भर है।
डॉक्टरों की कमी के कारण अस्पताल रेफर केंद्र बनकर रह गया है। नियमित एंबुलेंस नहीं उपलब्ध होती है जिससे मरीज असुविधा का सामना करते है

शासन द्वारा करोड़ों रुपए दवाई के नाम पर खर्च किए जाते हैं उसके बाद भी मरीज को रेबीज, टिटनेस, सर्दी , बुखार, उल्टी जैसी सामान्य दवाई के लिए भटकना पड़ता है।
पूरे अस्पताल परिसर में गाजर घास एवं गंदगी का अंबार लगा रहता है। सफाई कर्मी को ड्रेसर बनाकर रखा गया है जिससे सफाई प्रभावित होती है। अस्पताल में उपलब्ध मौसमी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे एसी,टीवी,फ्रिज, कूलर, हीटर या तो बिगड़े रहते है या गायब रहते हैं

डॉक्टरों की भारी कमी: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य केंद्र कोतमा में 4 पद महिला रोग, शिशु रोग, हड्डी सहित एक अन्य विशेषज्ञ होने चाहिए जो कि पिछले कई वर्षों से एक भी विशेषज्ञ नहीं है। इसी प्रकार 6 एमबीबीएस डॉक्टर की जगह मात्र 3 ही है जिनमें एक डॉक्टर मेडिकल लीव पर है। बीएमओ एवं फार्मासिस्ट जैसे महत्वपूर्ण पद भी वर्षों से रिक्त पड़े हुए है

कुछ दिनों पूर्व ही भाजपा के बड़े नेता इंद्र जैन की मौत का आरोप भी स्वास्थ्य विभाग का थी। जिसके बाद मंत्री दिलीप जायसवाल के भ्रमण एवं कड़ी फटकार के बाद भी कोई सुधार नहीं हो सका

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