चंद्रशेखर त्रिपाठी का निधन विंध्य की पत्रकारिता के एक युग का अवसान
मनोज कुमार द्विवेदी , अनूपपुर ,मप्र
अनूपपुर / गुरुवार की दोपहर के थोड़ा पहले शहडोल से मोबाइल पर आई एक दुखद सूचना ने विचलित कर दिया। दैनिक समय के संपादक
श्री चंद्रशेखर त्रिपाठी शास्त्री जी का गुरुवार की सुबह लगभग 10:15 बजे निधन हो गया।
वह पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और उनका उपचार मुख्यालय स्थित निजी अस्पताल में करवाया जा रहा था। इस दुखद खबर से मुझ जैसे तमाम शुचितापूर्ण पत्रकारिता के पैरोकार अत्यंत व्यथित हो गये। सोशल मीडिया मे शोक संवेदना के हजारों संदेश भरे पडे हैं ।
श्री चंद्रशेखर त्रिपाठी 1980 के दशक से संयुक्त शहडोल जिला और बाद के दशकों मे उमरिया, अनूपपुर ,सीधी,डिण्डोरी समेते समूचे विंध्य क्षेत्र की पत्रकारिता का एक स्थापित हस्ताक्षर था। अत्यंत सरल, सौम्य, व्यवहारकुशल श्री त्रिपाठी ग्रामीण एवं आंचलिक पत्रकारिता के चलते – फिरते विश्वविद्यालय थे।
1984 मे पहली बार मेरा एक लेख “शिव का गला नीला क्यों ” समय पेपर के 2 पेज मे प्रकाशित हुआ था। तब से आज तक चंद्रसेखर त्रिपाठी जी को देखने, सुनने, जानने का लम्बा अवसर मिला। 1980 के दशक की संपादकीय कितनी दुरुह और कितना दुष्कर रहा होगा,इसकी कल्पना तक आज की डिजिटल पीढी नहीं कर सकती।
तब दैनिक समय के दो कालम की खबर जिला प्रशासन और राजनेताओं को हिला कर रख देता था। तब ना मोबाइल कम्प्यूटर, लेपटाप थे और ना ही फैक्स ,इंटरनेट। हाथों से कलम से लिखी खबरों को चार बार पढ कर एडिट करना और उसे तथ्यपरक बना कर प्रकाशित करने जैसा कार्य श्री त्रिपाठी के मार्गदर्शन मे चार दशक तक होता रहा ।
आज अब जबकि श्री चंद्रशेखर त्रिपाठी जी नहीं रह गये हैं तो उनके ना रह जाने का सूनापन वर्षों तक बना रहेगा। विंध्य क्षेत्र की पत्रकारिता के लिये यह अपूरणीय क्षति है। जिसकी भरपाई हाल – फिलहाल तो नहीं होने वाली।
मैं शोकाकुल दैनिक समय परिवार को यह ईश्वरीय वज्राघात सहने की शक्ति प्रदान करने के लिये प्रभू से प्रार्थना करता हूँ तथा परमपिता परमेश्वर से पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों मे स्थान देने की प्रार्थना करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ । आज उनके निधन से समूचे पत्रकारिता जगत में शोक की लहर व्याप्त है। सभी यह सनझ पा रहे हैं कि यह विंध्य की पत्रकारिता के एक युग का अवसान है।


















