हर्ष उल्लास के साथ मनाया करवा चौथ का पर्व,चाँद देखने के बाद खोला व्रत
आगर मालवा/नगर में करवा चौथ का पर्व बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया रात को चाँद देखने के बाद महिलाओं ने व्रत खोला और अपने पति की लम्बी उम्र की प्रर्थना की।
इस पर्व पर श्री कृष्ण भगवान की आज्ञा मानकर द्रौपदी ने भी करवा-चौथ का व्रत रखा था। इस व्रत के प्रभाव से ही पांचों पांडवों ने महाभारत के युद्ध में विजय हासिल की। इस व्रत में भगवान शिव शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देवता की पूजा का विधान है। व्रत वाले दिन कथा सुनना बेहद जरूरी माना गया है।
यह पर्व करवा माता को समर्पित होता है। कहते हैं कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा माता की पूजा करने से पति की आयु लंबी होती है। साथ ही व्रती के सुख-सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। यह पर्व आगर सहित देशभर में धूमधाम से मनाया गया।
यह आत्म-संयम, धर्मपरायणता और जीवनसाथी के दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की प्रार्थना का प्रतीक है। पारंपरिक रूप से, चंद्रोदय से पहले जल ग्रहण करने से व्रत टूट जाता है और ऐसा माना जाता है कि इससे व्रत की पवित्रता नष्ट हो जाती है। महिलाएँ दिन में पूजा करती हैं, सजती-संवरती हैं और अपने पति के लिए प्रार्थना करती
महिलाएँ करवा चौथ का व्रत रात को चांद निकलने के बाद खोलती हैं. व्रत खोलने के लिए चंद्रमा को अर्घ्य (जल अर्पित) देने और फिर छलनी (एक प्रकार की जालीदार टोकरी) से चांद और अपने पति का चेहरा देखने के बाद पति के हाथ से जल ग्रहण किया जाता है.
रात में, सबसे पहले चंद्रमा के दर्शन किए जाते हैं.
चंद्रमा को जल अर्पित किया जाता है.
चंद्र दर्शन के बाद, छलनी से चंद्रमा और अपने पति का चेहरा देखा जाता है. यह प्रेम, पवित्रता और समर्पण का प्रतीक है.
पति के हाथों से जल ग्रहण करके व्रत खोला जाता है.।


















