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ब्लैक  डॉयमंड ब्लाइंडनेस जब लालच ने निगल ली ज़मीन और ज़मीर एरिया सेल्स ऑफिसर श्रीनिधि मिश्रा की भूमिका संदिग्ध

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ब्लैक  डॉयमंड ब्लाइंडनेस जब लालच ने निगल ली ज़मीन और ज़मीर

एरिया सेल्स ऑफिसर श्रीनिधि मिश्रा की भूमिका संदिग्ध


खनिज संपन्नता से अभिशप्त विकासहीनता – यह वाक्य शहडोल संभाग की वास्तविकता को पूरी तरह अभिव्यक्त करता है मध्यप्रदेश का यह संभाग SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) की रीढ़ माना जाता है जिसके अंतर्गत चार बड़े कोयला क्षेत्र – जोहिला, सोहागपुर, जमुना-कोतमा और हसदेव – शामिल हैं यहाँ की दर्जनों कोयला खदानें देश की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं अकेले शहडोल संभाग से अरबों रुपये का राजस्व केंद्र और राज्य सरकार को प्राप्त होता है इसके अलावा इस क्षेत्र में कोयले के साथ-साथ रेता, बाक्साइट ग्रेनाइट पत्थर मीथेन गैस और वनोपज जैसे प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है

किन्तु विडंबना यह है कि इतना खनिज वैभव होने के बावजूद यह क्षेत्र विकास की दृष्टि से आज भी उपेक्षित है सड़कें टूटी हुई हैं ग्रामीण क्षेत्र स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार की मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं और आदिवासी जनता शोषण और गरीबी के दुष्चक्र में फंसी हुई है विकास का कोई स्थायी ढांचा यहाँ नहीं दिखाई देता और जनता आज भी मूलभूत अधिकारों के लिए संघर्षरत है

इस क्षेत्र में कोयले की चोरी एक संगठित अपराध के रूप में फल-फूल रहा है चोर सुरंगें बनाई जाती हैं जिनके माध्यम से अवैध रूप से कोयला निकाला जाता है जब कोई मजदूर इन सुरंगों में दबकर मर जाता है तो न ही उसकी मौत दर्ज होती है और न ही उसका नाम किसी मजदूरी सूची में होता है -बल्कि ऊपर से बारूद लगाकर सुरंग को ही उड़ा दिया जाता है, ताकि साक्ष्य मिट जाएं यह एक क्रूर अमानवीय और गैर-कानूनी व्यवस्था है जिसमें स्थानीय माफिया, खदान अधिकारियों और राजनीतिक संरक्षण का गहरा गठजोड़ है

प्रश्न उठता है कि – क्या सुरंग बनना रोका नहीं जा सकता? क्या CCTV, ड्रोन सर्वे या ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार जैसी तकनीकें लगाकर इन सुरंगों को रोका नहीं जा सकता? तकनीक की कोई कमी नहीं है कमी है तो केवल इच्छाशक्ति और ईमानदार कार्यवाही की
आज यह क्षेत्र ‘खनिज उपनिवेश’ (Mineral Colony) बनकर रह गया है – जहाँ संसाधन तो निकाले जाते हैं लेकिन स्थानीय जनता को न तो उनका लाभ मिलता है और न ही सुरक्षित जीवन पब्लिक सब जानती है लेकिन डर भूख और व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत न होने के कारण सबकुछ “सामान्य” चलता है गंभीर राष्ट्रीय मुद्दा कोयले की अवैध तस्करी और फर्जी बिल्टी घोटाला (Coal Mafia Nexus in India) तकनीकी विश्लेषण व दस्तावेज़ी विश्लेषण

भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले ऊर्जा संसाधनों में कोयले की प्रमुख भूमिका है कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी, सालाना करोड़ों टन कोयले का उत्पादन करती है लेकिन इसके समानांतर, एक अंधकारमय, छायाचित्र है – कोल माफिया का
ये संगठित माफिया तंत्र सरकारी सिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठाकर हर साल हजारों करोड़ रुपये का कोयला अवैध रूप से निकालकर प्राइवेट कंपनियों को बेचता है यह सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, प्रशासनिक पारदर्शिता, और कानून व्यवस्था के लिए भी गंभीर खतरा है

कोल माफिया का पूरा नेटवर्क (A) माइंस स्तर पर घोटाले

हम बात करें तो ताजा उदाहरण सोहागपुर एरिया की खुली खदान परियोजना रामपुर बटूरा का है जहां पर एरिया सेल्स मैनेजर श्रीनिधि मिश्रा के सर पर रोड सेल इंचार्ज जितेंद्र पांडे द्वारा फर्जी ट्रक पंजीकरण माइंस में कोयला लोडिंग से पहले फर्जी नंबर प्लेट वाले ट्रक लगाए जाते हैं ये ट्रक कोल इंडिया के कर्मचारी और टायरेक्स मशीन ऑपरेटर की मिलीभगत से लोड किए जाते हैं

डबल लोडिंग स्कीम एक असली ट्रक के साथ एक फर्जी ट्रक खड़ा कर दिया जाता है जिसे चोरी-छुपे लोड किया जाता है

डंप यार्ड से डायवर्जन डंप यार्ड से सीधे रूट डायवर्ट कर प्राइवेट गोदामों तक कोयला पहुंचाया जाता है

(B) दस्तावेज़ी फर्जीवाड़ा फर्जी बिल्टी (Bilti) का नमूना

Coal Dispatch Challan – SECL

Bilti No: SECL/BI/CH/2025/0045632

Date: 04-04-2025

Truck No MP65-H-3542

Grade: G-10 (Actual: G-5)

Gross Wt 28,500 kg

Tare Wtb12,400 kg

Net Weight 16,100 kg

DestinationbShyam Fuel Pvt Ltd,

Katni

Mines: Chirimiri OC, Hasdeo Area

Driver Signb_______

Authorized by (Fake Signature)

QR/Barcode एडिटिंग स्कैन कर QR कोड से जुड़ी जानकारी बदल दी जाती है

फर्जी E-Way Bill सरकारी पोर्टल पर E-Way Bill जनरेट कर उसमें गलत डिलीवरी पता दर्शाया जाता है

C ग्रेड में हेराफेरी (Grade Manipulation)

G5 ग्रेड के उच्च गुणवत्ता वाले कोयले को कागजों पर G10 दर्शाया जाता है

ग्रेड मिक्सिंग के जरिए औसत गुणवत्ता दर्शाकर उच्च दरों पर बिक्री होती है

तकनीकी स्तर पर फर्जीवाड़े की प्रणाली प्रशासनिक मिलीभगत का विश्लेषण

गेट पास सेटिंग माइंस गेट पर ₹2,000 से ₹5,000 में नकली पास जारी

वेट ब्रिज धोखाधड़ी वजन मशीन ऑपरेटर प्रति ट्रक ₹1,000-₹3,000 लेकर डुप्लिकेट रसीद देता है

चेक पोस्ट पर सेटिंग पुलिस और परिवहन अधिकारियों को प्रति ट्रक ₹500-₹1000 दिए जाते हैं

राष्ट्रीय प्रभाव (A) आर्थिक नुकसान कोल इंडिया को सालाना अनुमानित ₹12,000 करोड़ से अधिक की हानि सरकारी राजस्व में गिरावट जिससे सार्वजनिक कल्याण योजनाओं को नुकसान और ऊर्जा संकट

बिजलीघरों तक उच्च गुणवत्ता का कोयला नहीं पहुँचता

ऊर्जा उत्पादन में गिरावट, जिससे लोड शेडिंग की समस्या उत्पन्न होती है

पर्यावरणीय खतरे अवैध डंपिंग यार्ड्स से प्रदूषण फैलता है

कोल ट्रांसपोर्ट बिना सुरक्षा मानकों के होता है तकनीकी समाधान ब्लॉकचेन आधारित ट्रैकिंग सिस्टम प्रत्येक कोयला ट्रक का immutable डेटा

 

RFID-Geo Fence Integration जिससे ट्रक रूट से बाहर जाए तो अलार्म प्रशासनिक सुधार

भ्रष्ट कर्मचारियों की समयबद्ध जांच और निलंबन

माफिया प्रभावित माइंस में केंद्रीय एजेंसियों की तैनाती

पुलिस की जवाबदेही और ट्रांसपोर्ट चेक पोस्ट पर विजिलेंस की निगरानी कानूनी सख्ती

कोल माफिया के खिलाफ NDPS या UAPA जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा

फर्जी दस्तावेज बनाने वाले प्रिंटरों की जांच और सीलिंग

कोल माफिया का यह नेटवर्क मात्र कोयले की चोरी नहीं है बल्कि यह राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, राजस्व प्रणाली, और प्रशासनिक पारदर्शिता पर एक सुनियोजित हमला है यदि इसे अब भी नजरअंदाज किया गया तो आने वाले वर्षों में भारत को न केवल आर्थिक घाटा उठाना पड़ेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ऊर्जा क्षेत्र में अपनी विश्वसनीयता खोने खतरा रहेगा

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