भोपाल।। आइए मिलते हैं भोपाल के बांस शिल्पकार धर्मेंद्र रोहर से.. बांस के कुशल शिल्पकार धर्मेंद्र आज अपने परिवार के साथ मिलकर न केवल भोपाल में बल्कि प्रदेश के दूसरे शहरों में जाकर बच्चों को बांस शिल्प का ज्ञान करा रहे हैं।
बच्चों और युवाओं को बांस क्राफ्ट के गुर सिखाते ये हैं बांस शिल्पकार धर्मेंद्र रोहर. जो बांस के बने उत्पादों के लिए खास पहचान रखते हैं। धर्मेंद्र की बनाई कलाकृतियों में मध्यप्रदेश के आदिवासी समाज के जीवन को सहज ही महसूस किया जा सकता है। उनकी कलाकृतियों में आदिवासी जीवन उनकी कला संस्कृति और संगीत को प्रमुखता से जाना पहचाना जा सकता है।
धर्मेंद्र जी के शिल्प में सामान्य लोक – वाद्यों के साथ मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और महारष्ट्र के जनजातीय समुदाय द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले लोक वाद्यों की संपूर्ण रेंज प्रस्तुत है.. वाद्य यंत्रों की इस शृंखला में मादर ढोल, ढोलकी, टिमकी, डफ , सारंगी, एक-तारा, तमूरा, तुन्तुना, पीहा-पीही प्रमुख है। उनकी कलाकृतियों में घर साज सज्जा की वस्तुओं को भी खास पहचान मिली है।
धर्मेंद्र बांस शिल्प कला के लिए बाकायदा प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करते रहते हैं. वे प्रदेश में आयोजित विभिन्न शिक्षा संस्थानों के कार्यशालाओं में हिस्सा लेकर बच्चों को बांस शिल्पकला की बारीकियों से अवगत कराते हैं। आज उनके प्रयासों से कई बच्चे बांस शिल्प कला को सीखने के लिए प्रयासरत हैं।
बांस शिल्प के कुशल शिल्पकार धर्मेंद्र रोहर अपने प्रयासों के जरिए नई पीढी को पारंपरिक बांस शिल्प से अवगत करा रहे हैं। साथ ही साथ बांस से निर्मित यह कलाकृतियां लोगों के आकर्षण का केंद्र बन रही है।