दीपावली पर्व पर सिर्फ हरित पटाखों का ही सीमित मात्रा एवं निर्धारित समयावधि में उपयोग करने की अपील
अनूपपुर 15 अक्टूबर 2025/दीपावली प्रकाश का पर्व है। दीपावली पर्व के दौरान विभिन्न पटाखों का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। पटाखों के निर्माण में विभिन्न प्रकार के केमिकल्स का उपयोग होता है। ज्वलनशील एवं ध्वनिकारक पटाखों के उपयोग के कारण परिवेशीय वायु में प्रदूषक तत्वों एवं ध्वनि स्तर में वृद्धि होती है। विभिन्न भौगोलिक गतिविधियों के कारण ठंड के मौसम में वायु का डिस्पर्सन वायुमण्डल में अधिक ऊंचाई तक नहीं होने के कारण परिवेशीय वायु में वायु प्रदूषक तत्वों का स्तर बढ़ जाता है, जो मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए हानिकारक है। जन स्वास्थ्य की सुरक्षा एवं वायु प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण सेन्ट्रल जोन भोपाल द्वारा जारी आदेश में पटाखों के निर्माण, उपयोग, विक्रय, वितरण एवं प्रस्फोटन के संबंध में मानक संचालक प्रक्रिया निर्धारित की गई है। ऐसे शहर जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब (एक्यूआई 201-300), बहुत खराब (एक्यूआई 301-400) अथवा गंभीर (एक्यूआई 401-500) श्रेणी में पाए जाने पर वहां पर सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री अथवा उपयोग पर पूर्णतः प्रतिबंध रहेगा। ऐसे शहर जिनकी वायु गुणवत्ता सूचकांक मोटरेट (एक्यूआई 101-200) श्रेणी की पायी गयी है वहां केवल हरित पटाखों की ही बिक्री एवं उपयोग किया जा सकेगा। जिनकी तीव्रता प्रस्फोटन स्थल से चार मीटर की दूरी पर 125 डीबी(ए) से अधिक शोर उत्पन्न करने वाले तथा लड़ी (जुड़े हुए पटाखों) का निर्माण, उपयोग, विक्रय, वितरण एवं प्रस्फोटन भी प्रतिबंधित है। दीपावली पर्व के समय रात्रि 08 बजे से 10 बजे तक ग्रीन पटाखों का उपयोग सिर्फ उन शहरों में किया जा सकेगा जहां कि वायु गुणवत्ता सूचकांक मध्यम अथवा उससे कम श्रेणी की है।
पटाखों का प्रस्फोटन संवेदनशील क्षेत्र जैसे अस्पताल, नर्सिंग होम, हेल्थ केयर सेंटर, शैक्षणिक संस्थानों, धार्मिक स्थानों इत्यादि से 100 मीटर की दूरी तक प्रतिबंधित है। पटाखों की ऑनलाईन सेल जैसे अमेजॉन, फ्लिपकार्ट इत्यादि से प्रतिबंधित है। पटाखों के जलने के उपरांत बचे हुए कागज के टुकड़े एवं अधजली बारूद के सम्पर्क में आने से पशुओं एवं बच्चों के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना रहती है। पटाखों के जलने के उपरांत उत्पन्न कचरे को ऐसे स्थानों पर ना फेका जाए जहां पर प्राकृतिक जल स्त्रोत/पेयजल स्त्रोत के प्रदूषित होने की संभावना हो। आमजन से अपील की गई है कि सिर्फ हरित पटाखों का उपयोग सीमित मात्रा एवं निर्धारित समयावधि में किया जाए।
पटाखों के जलने के उपरांत बचे हुए कचरे को सामान्य घरेलू कचरे के साथ ना मिलाएं तथा इस कचरे को पृथक स्थान पर एकत्रित किया जाकर नगर पालिका के कर्मचारियों को सौंपा जाए। नगरीय निकायों से भी अनुरोध है कि पटाखों का कचरा पृथक से एकत्रीकरण कर उसका अपवहन सुनिश्चित करें।


















