धुरवासिन में पुश्तैनी ज़मीन विवाद: हरिजन-आदिवासी परिवारों ने तोड़फोड़ का लगाया आरोप, भूमि स्वामी पक्ष ने बताया निराधार
ग्रामीण बोले – “हमारे मकान, बाड़ी और तालाब सब उजाड़ दिए गए” | भूमि स्वामी बोले – “सीमांकन तहसीलदार के निर्देश पर किया गया, कोई नुकसान नहीं”
अनूपपुर
जिले के ग्राम धुरवासिन (वार्ड क्रमांक 04) में 45 वर्षों से बसे हरिजन और आदिवासी समुदाय के लगभग 21 परिवारों की पुश्तैनी ज़मीन को लेकर विवाद तेज़ हो गया है
ग्रामीणों का आरोप है कि निज़ामुद्दीन खान पिता इदरीस ने जेसीबी और मशीनरी के माध्यम से उनके खेत, बाड़ियाँ, शौचालय और बाउंड्री दीवारें तोड़ दीं। वहीं दूसरी ओर, निज़ामुद्दीन ने सभी आरोपों को भ्रामक और निराधार बताया, और कहा कि उन्होंने केवल अपनी रजिस्टर्ड भूमि पर सीमांकन किया है
ग्रामीणों का आरोप – जेसीबी से फसलें रौंदी और बाउंड्री तोड़ी
पीड़ित परिवारों का कहना है कि वे पिछले 45 वर्षों से अपनी पुश्तैनी भूमि पर रह रहे हैं। उनके पूर्वजों ने यहाँ कुएँ, बाड़ियाँ, शौचालय और आम के पेड़ लगाकर जीवनयापन किया
ग्रामीणों के अनुसार, निज़ामुद्दीन खान ने कुछ माह पूर्व भिंडी और भुट्टे की फसलें रौंद दीं, मकानों की दीवारें, बाउंड्री और शौचालय तोड़ दिए और कई घरों के चारों ओर फेंसिंग कर दी। इसके कारण कई परिवारों का आवागमन बाधित हो गया है
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भूमि स्वामी ने गलत चौहद्दी बनाकर फर्जी रजिस्ट्री कराई, जबकि रजिस्ट्री दस्तावेज़ में यह स्पष्ट है कि किसी भी सार्वजनिक रास्ते या निस्तार भूमि को बाधित नहीं किया जाएगा।
डर और दबाव में राजीनामा, तहसील में अस्वीकार
ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश की गई और “राजी-बाजी” के नाम पर कुछ लोगों को झूठे कागज़ों पर हस्ताक्षर करने को मजबूर किया गया।
बाद में उन्होंने तहसील न्यायालय में नोटरी के माध्यम से राजीनामा अस्वीकार किया
ग्रामीणों का कहना है कि शिकायत के बावजूद प्रशासन स्थल निरीक्षण नहीं कर रहा
सरपंच का बयान
जिनके घरों पर जबरन फेंसिंग की जा रही है, वे यहाँ के पुश्तैनी निवासी हैं। मामले की जांच कलेक्टर और संभाग आयुक्त से कराई जानी चाहिए। निष्पक्ष जांच जरूरी है।”
— तेजवती सिंह, सरपंच, ग्राम पंचायत धुरवासिन
भूमि स्वामी पक्ष का बयान
वहीं निज़ामुद्दीन खान ने बताया कि सभी आरोप भ्रामक और निराधार हैं
जितने भी लोग मेरे पास निवास कर रहे हैं, उनका कोई मकान या शौचालय नहीं तोड़ा गया। सीमांकन तहसीलदार और पटवारी की मौजूदगी में किया गया। मैंने केवल अपनी रजिस्टर्ड भूमि पर ही बाउंड्री बनाई है। तालाब का चौड़ीकरण दो साल पहले हुआ था, जिससे उसका कुछ हिस्सा मेरी भूमि में आ गया। ग्रामीणों के आरोप तथ्यहीन हैं।
आवागमन बाधित और तालाब पर कब्ज़ा
ग्रामीण संतराम चौधरी का कहना है कि विवाद के कारण गांव का आम रास्ता और तालाब क्षेत्र प्रभावित हुआ है। महिलाएं अब पानी और अन्य दैनिक ज़रूरतों के लिए लंबा रास्ता अपनाने को मजबूर हैं
भूमि स्वामी पक्ष का कहना है कि निर्माण केवल वैध सीमा के भीतर किया गया है
ग्रामीणों की मुख्य माँगें
अवैध कब्ज़े और फर्जी रजिस्ट्री की जांच कर निष्पक्ष रिपोर्ट जारी की जाए।सार्वजनिक रास्ता और तालाब क्षेत्र पुनः बहाल किया जाए।पीड़ित परिवारों की सुरक्षा और मुआवजा सुनिश्चित किया जाए। विवादित भूमि पर जांच पूरी होने तक निर्माण पर रोक लगाई जाए


















