[शैलेन्द्र जोशी ] सितंबर को रवि योग के साथ भद्रा के साये में मानेगी अनंत चतुर्दशी ( डॉ. अशोक शास्त्री )
इस साल भद्रा के साये में अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी। इस दिन श्रीहरि विष्णुजी के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है और मूर्ति विसर्जन के साथ गणेश उत्सव का समापन होता है।
इस संदर्भ में मालवा के प्रसिद्ध ज्योतिष गुरु डॉ अशोक शास्त्री ने बताया की सनातन धर्म में हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन विष्णुजी के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन बड़े धूमधाम से गणपति बप्पा की विदाई की जाती है। अनंत चतुर्दशी के दिन विष्णु जी की पूजा-उपासना के बाद महिलाएं बाएं और पुरुष दाएं हाथ में चौदह गांठो वाला अनंत धागा बांधते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन विष्णुजी की विधिवत पूजा-आराधना बेहद शुभफलदायी मानी जाती है। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी के दिन,विश्वकर्मा पूजा और पूर्णिमा श्राद्ध भी मनाया जाएगा ।
ज्योतिष गुरु डॉ. अशोक शास्त्री के मुताबिक चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर को दोपहर 03 :10 बजे लगेगी और अगले दिन 17 को दोपहर 12 :44 बजे समाप्त होगी । इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी के दिन रवि योग के साथ भद्रा का साया भी रहेगा। प्रातः 06:07 से दोपहर 01:53 बजे तक रवि योग बनेगा। रवि योग में धर्म-कर्म के कार्य शुभ माने जाते हैं। वहीं, प्रातः11:44 से रात्रि 09:55 बजे तक भद्रा भी रहेगी ।
अनंत चतुर्दशी की पूजाविधि :
अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठें।
स्नानादि के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
एक छोटी चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं।
इस पर विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
विष्णुजी का ध्यान करें और संभव हो तो व्रत रखें।
परिवार के सदस्यों की संख्या के बराबर विष्णुजी को अनंत रक्षा सूत्र अर्पित करें।
अब पूजा शुरू करें। विष्णुजी के समक्ष दीपक प्रज्ज्वलित करें।
उन्हें फल,फूल,धूप,दीप और नैवेद्य अऱ्पित करें।
अनंत चतुर्दशी की कथा सुनें।
मां लक्ष्मी,विष्णुजी समेत सभी देवी-देवता की आरती उतारें।
केले के पौधे की पूजा करें और जल अर्पित करें।
अपनी क्षमतानुसार दान-पुण्य के कार्य करें।
इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करना शुभ माना जाता है।
अनंत सूत्र बांधने की विधि: मान्यताओं के अनुसार, पूजा के बाद महिलाओं को बाएं हाथ में और पुरुषों को दाएं हाथ में अनंत सूत्र बाधना चाहिए। रक्षासूत्र पहनते समय ‘ऊँ अनंताय नमः’ मंत्र का जाप कर सकते हैं।