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आयुर्वेद से ही संभव है बच्चों का सर्वांगीण विकास – डा. मेघा गुप्ता

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आयुर्वेद से ही संभव है बच्चों का सर्वांगीण विकास – डा. मेघा गुप्ता

 

सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित हुआ स्वर्ण प्राशन संस्कार

 

मनेंद्रगढ़। सरस्वती शिशु मंदिर में बुधवार को पुष्य नक्षत्र के शुभ अवसर पर बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन के लिये स्वर्ण प्राशन संस्कार का आयोजन किया गया।

डा. पूर्णिमा सिंह के मार्गदर्शन में आयुर्वेद चिकित्सक डा. मेघा गुप्ता ने बच्चों को स्वर्ण प्राशन कराया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि समाजसेवी सुन्दर लाल दुग्गड़, अध्यक्षता विद्यालय समिति के उपाध्यक्ष समाजसेवी महेन्द्र जैन, विशिष्ट अतिथि डा. मेघा गुप्ता, रामचरित द्विवेदी और प्रेम कुमार यादव उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। विद्यालय प्राचार्य विनोद शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए स्वर्ण प्राशन संस्कार की परंपरा और बच्चों के स्वास्थ्य पर इसके लाभों की जानकारी दी। मुख्य अतिथि सुन्दर लाल दुग्गड़ ने कहा की भारतीय संस्कृति में आयुर्वेद केवल उपचार नहीं बल्कि जीवन जीने की एक स्वस्थ पद्धति है। बच्चों में प्रारंभ से ही ऐसे संस्कार डालना उनके उज्ज्वल भविष्य की नींव है।

कार्यक्रम अध्यक्ष महेन्द्र जैन ने इस अवसर पर कहा की स्वर्ण प्राशन जैसी प्राचीन विधियाँ हमें हमारी परंपराओं से जोड़ती हैं। इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और मानसिक विकास होता है।

डा. मेघा गुप्ता ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आयुर्वेद की यह उपयोगी प्रक्रिया स्वर्ण प्राशन बच्चों की स्मरण शक्ति, बुद्धि और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। स्वर्ण भस्म, घृत, मधु और औषधियों के संयोग से तैयार यह द्रव्य शरीर को दीर्घकालिक रूप से स्वस्थ बनाता है। रामचरित द्विवेदी ने कहा की आयुर्वेद हमारी अमूल्य धरोहर है जिसे आधुनिक जीवनशैली में अपनाकर हम स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं। श्रीमती नीतू सिंह ने संचालन करते हुए कहा कि विद्यालयों में ऐसे आयोजन नियमित रूप से होते रहें ताकि बच्चों में भारतीय परंपरा और स्वास्थ्य विज्ञान की समझ विकसित हो।

कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य विनोद शुक्ला ने विद्यालय परिवार की ओर से सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस मौके सरस्वती शिशु मंदिर के आचार्य दिवाकर मिश्रा, सत्य प्रकाश, श्री वैष्णव, ओमप्रकाश सोनी, दीपक पांडेय, आचार्या श्रीमती रत्नमणि, आचार्या श्रीमती मंजुला सोनी, आचार्या श्रीमती मोनिका श्रीवास्तव, आचार्या शशिकला, आचार्या श्रीमती नीतू सिंह, आचार्या श्रीमती रमा सोनी, नागेन्द्र आचार्य, देवधारी आचार्य मौजूद रहे। यह आयोजन आयुर्वेद के महत्व को जन-जन तक पहुँचाने और बच्चों के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल साबित हुआ।

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