आखिर कहां और कैसे करें निकाय क्षेत्र का विकास
विभागों की अड़ेंगे बाजी है जारी
शासन की योजनाओं में बाधा बन रहा है वन अमला
राजनगर :-
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोयलांचल को तीन नगर परिषदों की सौगात देकर क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर रखने का कार्य किया था,इसके पश्चात नगर परिषदों में शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं के तहत विकास कार्य कराया जा रहा है किंतु यह विकास कार्य कुछ लोगों और शासन के कुछ विभागों को रास नहीं आ रहा, वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपने निजी स्वार्थ के कारण शासन की योजनाओं में बाधा डाल रहे हैं,कुछ लोग कालरी की जमीन का हवाला देकर विकास कार्य को अवरुद्ध कराना चाहते हैं जिसमें वन अमला भी अपनी रोटी सेकता है ,जबकि सच्चाई यह है कि तीनों नगर परिषदों में कालरी के द्वारा ली गई लीज पर ही विकास कार्य किया जाना है, विचारणीय तथ्य है कि या तो निकायों को विकास कार्य शासन के मंशा अनुरूप नियमानुसार करने दिया जाए यदि कार्यों को रोका जाता है तो फिर एस ईसीएल या जो विभाग विकाश कार्यों में रोड़ा बन रहे हैं वह कार्य पूर्ण कराये, आखिर विभागों की अड़ंगेबाजी में जनता का क्या कसूर है, जनता को जो अनिवार्य सुविधाएं सरकार की तरफ से मिलनी चाहिए वह तो उनका हक बनता है,
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर परिषद राजनगर में
निविदा प्राप्त करके निविदाकार ने सड़क का निर्माण कार्य चालू किया है तो यह विकास कार्य कुछ लोंगो को यह नागवार लग रहा है।
शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं कायाकल्प अभियान और सीएम इंफ्रा,एसडीआरएफ एवं प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे महत्वाकांक्षी योजनाओं पर भी वन विभाग अड़गेबाजी लगा रहा है,बनगवा निकाय के अन्तर्गरत विभिन्न योजनाओं के तहत सड़कों एवं अन्य विकाश कार्यों का निर्माण कार्य कराया जा रहा,कोई ऐसी बात नहीं है कि अपने मन मुताबिक कार्य कराया जा रहा है।
शासन कि ये महत्वाकांक्षी योजनाएं है जिन पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों की निगाहें हैं,रही बात नियमों की तो नियम तो खुद जंगल विभाग वाले तोड़ते है,जंगल की जमीन पर लाखों रुपए की उगाही करके रातों-रात वन विभाग निर्माण करवा देता है वहीं दूसरी तरफ कोल इंडिया उन जमीनों को भी अपनी कहता है जिसका लीज लिए कई साल बीत गए और उन जमीनों का उपयोग भी कोल इंडिया ने कर लिया और लिए गये लीज का प्रयोजन भी अब समाप्त हो चुका है, नियम तो यह भी है कि जिस उद्देश्य के लिए लीज लिया गया हो यदि उस पर वह कार्य न कराया जाए तो लीज स्वयं ही समाप्त हो जाएगा, सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जब फॉरेस्ट से लीज पर कॉलरी ने भूमियों को क्षेत्र के विकास के लिए ले रखा है तो ऐसी स्थिति में फॉरेस्ट विभाग को क्या हक बनता है कि वह निर्माण कार्यों में आनाकानी करें,मतलब साफ है कि अगर नगरीय निकाय जनता और क्षेत्र के हितों को ध्यान में रखते हुए विकास कार्यों को करना चाहे तो संबंधित संस्थाएं रोड़ा बने और खुद भी कोई काम नहीं करना है, इसका परिणाम यह है कि झिरियाटोला से राजनगर थाना तक के निर्माण कार्य को वन विभाग ने रोक रखा है जो एक बहुत ही महत्वाकांक्षी सड़क है और इस सड़क से आसपास के गांव सहित छत्तीसगढ़ राज्य के भी लोग नेशनल हाईवे 43 तक पहुंचने के लिए उपयोग करते हैं,लेकिन वन विभाग के अड़ंगेबाजी के कारण आलम यह है कि सड़क के ऊपर डामर की परत नहीं चढ़ाई गई और बरसात से कटे साइड शोल्डर को भी नहीं भरा गया, इसकी वजह से आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है आखिर इन होने वाली दुर्घटनाओं का जिम्मेदार कौन है? वही दूसरी तरफ एसईसीएल प्रबंधन के हसदेव क्षेत्र के द्वारा वन विभाग को एसईसीएल की उन जमीनों को वापस किया जा रहा है जिनका उपयोग एसईसीएल प्रबंधन को अब नहीं करना है तो वही एसईसीएल प्रबंधन आखिर म.प्र.में संबंधित विभागों को जमीन वापस क्यों नहीं कर रही है, जिस पर भी जिला प्रशासन को संज्ञान लेकर क्षेत्र के विकास में सोचना होगा,तभी क्षेत्र का विकास संभव है।
यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि पूर्व में बनी सड़कों एवं अन्य निर्माण कार्य जिसका- जिसका लीज एसईसीएल ने ले रखा है उसके मरम्तिकरण करने पर वन विभाग उसको अपना बताकर रोक लगा देता है वही एसईसीएल के द्वारा ली गई जमीन पर ही कई सैकड़ा अवैध निर्माण कार्य कराए गए तो वन विभाग का अमला क्या कर रहा था?
वही जब वन विभाग के अधिकारियों से बात की जाती है तो उनके द्वारा परिवेश पोर्टल में अनुमति लेकर कार्य कराए जाने की बात कही जाती है,लेकिन यहां सवाल है उठता है कि जब विभाग ने उक्त जमीन को एसईसीएल को लीज पर दे रखी है तो आवेदन कैसे होगा और क्यों होगा? क्या लीज पर दी गई जमीनों के लीज निरस्त हो गए हैं ? ऐसे कई अनसुलझे सवाल अब सामने आ रहे हैं जिससे जहां एक और विकास की गंगा बहाने में सरकारी विभाग रोड़ा बन रहे,वंही दूसरी तरफ प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के योजनाओं का लाभ नागरिकों को नही मिल पा रहा,ऐसे में कैसे विकास संभव है?
इनका कहना है
इस संबंध में अनूपपुर कलेक्टर हर्षल पंचोली से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यदि सड़क पूर्व में बनी है और परिषद द्वारा उसका मरमतीकरण कार्य कराया जा रहा है उस सड़क की जानकारी उपलब्ध कराए मैं तत्काल डीएफओ अनूपपुर से बात करके सड़क मरम्मती करण कार्य प्रारंभ करवाता हूं
डी एफ ओ अनूपपुर से जब बात की गई तो उन्होंने अपना फोन नहीं उठाया
वही नगर परिषद Achcha के अध्यक्ष यशवंत सिंह ने कहा के नगर क्षेत्र में हमारी जनता निवास करती है तो उनकी सुविधाओं के लिए सड़क नाली एवं अन्य विकास कार्य किए ही जाएंगे